Placeholder canvas

41 साल की उम्र में किया था डेब्यू, सिर्फ 2 गेंदों पर ले लिया हैट्रिक

Bihari News

सिर्फ दो गेंदों पर हैट्रिक लेने वाला विश्व का एकलौता गेंदबाज

वो खिलाड़ी जिसके खेल से ज्यादा उसकी उम्र की चर्चा हुई

41 साल की उम्र में आईपीएल में डेब्यू करने वाला एकलौता खिलाड़ी

ना घरेलू क्रिकेट और ना ही इंटरनेशनल क्रिकेट खेला फिर भी आईपीएल में मचाया धमाल

सिर्फ दो गेंदों पर हैट्रिक लेने वाला विश्व का एकलौता गेंदबाज

जिसे बूढ़ा कहकर टीम से निकाल देते थे

दोस्तों वैसे तो एक खिलाड़ी के लिए स्पोर्ट्स की दुनिया में उसके खेल का प्रदर्शन उसकी फिटनेस पर निर्भर करता है। फिर चाहे क्रिकेट ही क्यों ना हो। हमनें क्रिकेट की दुनिया में दो तरह के खिलाड़ी देखें है एक वो जो बहुत ही कम उम्र में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रख लेते है। सचिन तेंदुलकर, शेफाली वर्मा और मुस्फिकुर रहमान ये वही कम उम्र के सितारे है वहीं दूसरी तरफ और वो खिलाड़ी जो क्रिकेट में ढलती उम्र के बाउजूद सन्यास ना लेकर 22 गज की पट्टी में धमाल मचाते नजर आते है। जैसे ब्राड होज, ।लेकिन विश्व क्रिकेट में एक ऐसा भारतीय खिलाड़ी भी है जिसने ना तो घरेलू क्रिकेट खेली और ना ही उसे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में खेलने का कभी मौका मिला। फिर भी क्रिकेट के प्रति उसके जुनून और जज्बे को दुनिया ने देखा है। जब उसने एक ऐसी उम्र में आईपीएल में डेब्यू किया जहां बड़े बड़े खिलाड़ी रिटायर होकर उस टीम के मेंटोर बन जाते हैं। तब उसने 43 साल की उम्र में आईपीएल डेब्यू किया। और अपनी करिश्माई वा फिरकी गेंदबाजी से हर किसी को हैरत में डाल दिया। फिर भी उसकी चर्चा खेल से ज्यादा उसकी उम्र की होती है। आज हम अपने इस विडियो में उसी जाबांज खिलाड़ी की बात करेंगे। जिसका नाम प्रवीण तांबे है।

हम बात करने वाले है प्रवीण तांबे की.. जिसने आईपीएल में सबसे अधिक उम्र में डेब्यू किया। और महज दो गेंदों पर हैट्रिक चटकाई। इतना ही नहीं आईपीएल के एक मैच में कोलकाता नाइट राइडर्स के जबड़ों से जीत निकालकर अपनी टीम राजस्थान रॉयल्स की झोली में डाली थी।

प्रवीण तांबे का जन्म 8 अक्टूबर 1971 को महाराष्ट्र के मुंबई शहर में हुआ था। इनका पूरा नाम प्रवीण विजय तांबे है। प्रवीण का नाम पिता विजय तांबे जो एक क्रिकेटर रह चुके है। उनकी मां ज्योति तांबे हाउसवाइफ है। परिवार में एक भाई और एक बहन है। प्रवीण के पिता डोमेस्टिक क्रिकेटर रह चुके है। इसलिए कह सकते है कि प्रवीण को क्रिकेट विरासत में मिली। प्रवीण को बचपन से ही क्रिकेट पसंद था। जब प्रवीण सिर्फ 4 साल के थे तो वो अपने पिता के साथ ग्राउंड पर जाया करते थे जहां उनके पिता क्रिकेट की प्रैक्टिस किया करते थे उन दिनों उनके पिता जॉनसन एंड जॉनसन टीम के लिए खेल रहे थे। इस तरह प्रवीण का झुकाव भी धीरे धीरे क्रिकेट की तरह होने लगा था। प्रवीण ने अपनी स्कूलिंग गवर्मेंट हाई स्कूल से पूरी की। फिर कॉमर्स में बैचलर डिग्री लेने के बाद उन्होंने एक फास्ट ट्रैक इन्वेसमेंट कम्पनी में बतौर अकाउंटेंट काम भी करना शुरू कर दिया था। नौकरी के दौरान प्रवीण को ओरियंट सिपिंग के बारे में पता चला। जो जॉब के साथ साथ क्लब क्रिकेट खेलने का मौका भी देती थी।

प्रवीण की भी शुरू से यही ख्वाइश थी कि वो कोई क्रिकेट खेलने वाली कम्पनी में काम करे। प्रवीण को जैसे ही ये बात पता चली की एक कंपनी जॉब के साथ क्रिकेट भी खिलवाती है तो उन्होंने बिना देरी किए ओरियंट सिपिंग कंपनी को ज्वाइन कर लिया। यह बात बहुत कम लोग जानते है कि प्रवीण शुरू से ही एक तेज गेंदबाज बनना चाहते थे। लेकिन जब प्रवीण ओरियंट की तरफ से एक मैच खेल रहे थे तो उनकी तेज गेंदबाजी इतनी इफेक्टिंग नहीं हो रही थी। नतीजा यह रहता कि उनकी खराब लाइन और लेंथ की वजह से विरोधी बल्लेबाज उनकी खूब धुनाई करते। वो पैसों की तरह रन लुटा रहे थे। तभी मैच के बीच में ही उस टीम के कप्तान अजय कदम ने प्रवीण को स्पिन गेंदबाजी करने को कहा। क्योंकि कप्तान अजय को पता था कि प्रवीण टेनिस बॉल से स्पिन फेंक चुके है जिसके बाद उन्होंने लेग स्पिन गेंदबाजी की। और ऐसी खतरनाक गेंदबाजी की जिसे देखकर जो कप्तान कुछ देर पहले प्रवीण से परेशान था वही उसे मैच जीतने के बाद गोद में लिए जश्न मना रहा था क्योंकि लेग स्पिन गेंदबाजी करते हुए प्रवीण ने 3 विकेट चटकाए थे।उस मैच के बाद से प्रवीण ने तेज गेंदबाजी को छोड़कर अपनी लेग स्पिन पर फोकस करना शुरू कर दिया था।

इस दौरान प्रवीण तांबे की लाइफ में सबकुछ ठीक ही चल रहा था कि उन्हें एक खबर मिली कि ओरियंट सिपिंग ने कई क्रिकेटरों को जॉब से निकाल दिया है। ओरियंट सिपिंग का यह कदम प्रवीण को झटका देने वाला था। क्योंकि इसमें प्रवीण का नाम भी शामिल था। प्रवीण के लिए ये काफी मुश्किल वक्त था। क्योंकि प्रवीण की जॉब चली जाने से उनके परिवार की आर्थिक स्थिती बिगड़ बिगड़ गई थी। लेकिन फिर भी प्रवीण ने हिम्मत नहीं हारी। और क्रिकेट खेलना जारी रखा। प्रवीण जानते थे कि सिर्फ क्रिकेट प्रैक्टिस जारी रखने से बात नहीं बनने वाली। इसलिए उन्होंने विभिन्न कंपनियों में जॉब के लिए प्रयास जारी रखा।

एक समय तो ऐसा भी आया कि उन्हें 1200 रूपये की नौकरी तक करनी पड़ी। वो कहते है ना कि बहादुर का साथ भी किस्मत देती है। काफी हाथ पांव मारने के बाद प्रवीण को साल 2002 में मुंबई स्थित डी वाई पाटिल स्पोर्ट्स एकेडमी में जॉब का ऑफर आया। हालाकि यह एक कांट्रैक्ट बेस जॉब थी। प्रवीण जानते थे कि उनके पास अभी कुछ नहीं है। इसलिए उन्होंने इस जॉब को स्वीकार कर लिया। और उन्होंने वहां जॉब करनी शुरू कर दी। इस बीच प्रवीण ने जॉब के साथ साथ क्लब क्रिकेट और लोकल क्रिकेट खेलना भी जारी रखा। समय के साथ साथ प्रवीण की गेंदबाजी में भी निखार आता चला गया। और लोकल टूर्नामेंट के वो स्टार खिलाड़ी बनकर उभरे। लोकल टूर्नामेंट और क्लब क्रिकेट में शानदार खेल दिखाने के बाद प्रवीण अब मुंबई की घरेलू क्रिकेट में अपना स्थान बनाना चाहते थे। वो जानते थे कि घरेलू क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन ही टीम इंडिया के दरवाजे खोलेगा। इसलिए प्रवीण ने कड़ी मेहनत शुरू कर दी। लेकिन दो बार रणजी ट्रॉफी लिस्ट में नाम आने के बाद भी उन्हें मुंबई की रणजी टीम में जगह नहीं दी गई। क्योंकि प्रवीण की उम्र अधिक थी। फिर इस बात से बहुत निराश हुए। उन्हे जरा भी अंदाजा नहीं था कि उम्र उनके आड़े आ रही है । फिर भी उन्होंने हार नही मानी और अपना बेस्ट देते रहे।

एक वक्त तो प्रवीण को लगने लगा था कि क्रिकेट उनके लिए बना ही नहीं। प्रवीण की जिंदगी ऐसे दोहराए पर खड़ी थी जहां एक तरफ वो काफी निराश और हताश थे तो दूसरी तरफ वो कड़ी मेहनत कर रहे थे। तभी समय बदला और प्रवीण की किस्मत भी। साल 2013 प्रवीण के लिए अब तक के सबसे सुनहरे पल लाने वाला था। जब आईपीएल का छठा सीजन शुरू होने वाला था। और यही से प्रवीण तांबे को उनके करियर की नई उम्मीद और दिशा नजर आई।

दरअसल उन दिनों राहुल द्रविड़ राजस्थान रॉयल्स टीम के कप्तान थे जिन्हे अपनी टीम के लिए एक लेग स्पिनर की तलाश थी। इसलिए राहुल द्रविड़ ने एक बार सभी लोकल खिलाड़ियों को ट्रायल के लिए नेटस पर बुलाया उन खिलाड़ियों में प्रवीण तांबे भी शामिल थे। सभी गेंदबाज बारी बारी से अपना हुनर दिखा रहे थे। और इन सभी गेंदबाजों पर राहुल अपनी पैनी नजर बनाए हुए थे इसी बीच ट्रायल में प्रवीण तांबे का नंबर आया उन्होंने गेंदबाजी की तो राहुल द्रविड़ देखकर चौंक गए। उन्होंने प्रवीण से कहा सुनो तुम एक बार फिर से गेंद डालो। प्रवीण ने दोबारा उसी अंदाज में गेंद फेंकी तो राहुल द्रविड़ ने मन बना लिया और मन में कहा मुझे मेरा लेग स्पिनर मिल गया। राहुल द्रविड़ प्रवीण की गेंदबाजी से इतने प्रभावित हुए की बचे हुए खिलाड़ियों का ट्रायल लिए बिना ही चले गए। क्योंकि उन्होंने प्रवीण तांबे चुन लिया था। हालाकि उस समय प्रवीण की उम्र 41 साल थी। फिर भी राहुल द्रविड़ ने उन्हें टीम में लेने का फैंसला कर लिया था। राहुल ने राजस्थान रॉयल्स की फ्रेंचाइजी से बात की और उन्हें नीलामी के दौरान उनके बेस प्राइस में खरीदकर टीम में शामिल कर लिया। प्रवीण ने साल 2013 के आईपीएल में 41 साल की उम्र में डेब्यू किया। लेकिन उन्हें बहुत ज्यादा मौके नहीं मिले। प्रवीण पूरे आईपीएल में ज्यादातर बेंच पर ही बैठे ही दिखाई दिए। लेकिन इसी साल सितंबर महीने में चैंपियंस लीग ट्वेंटी ट्वेंटी भी खेला जाना था। जिसमें राजस्थान रॉयल्स की टीम भी पार्टिसिपेट कर रही थी। यहां प्रवीण को कई मौकों पर प्लेइंग इलेवन में शामिल किया गया था। और यही वजह थी कि सबकी नजर प्रवीण पर थी। और फिर नजर क्यों ना हो जिस खिलाड़ी को खुद राहुल द्रविड़ ने चुना हो । उसमें कुछ तो कला होगी। प्रवीण ने पूरे टूर्नामेंट में अपना जलवा दिखाया। और शानदार गेंदबाजी की। इसी टूर्नामेंट के एक मैच में साउथ अफ्रीका के लायंस के खिलाफ उन्होंने 15 रन देकर चार विकेट झटके थे। प्रवीण ने पूरे टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा 12 विकेट लेकर पहले स्थान पर थे। जहां उन्हें गोल्डन अवार्ड से नवाजा गया। यहां से प्रवीण ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। और अपनी शानदार किफायती गेंदबाजी की बदौलत आगे बढ़ते चले गए। इसी साल प्रवीण मुंबई की रणजी टीम में भी जगह बनाने में कामयाब हो गए।

साल 2014 के आईपीएल में कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ एक मैच में उन्होंने दो गेंदों पर हैट्रिक लेकर सनसनी फैला दी। और रातों रात स्टार बन गए। आगे चलकर प्रवीण को आईपीएल की कई टीमों के लिए खेलने का मौका मिला। इस बीच उन्होंने अच्छा प्रदर्शन तो किया लेकिन उन्हें मुंबई की रणजी टीम में इक्का दुक्का ही मैच खेलने को मिले। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेलना तो प्रवीण के लिए तो बस एक सपना रह गया था। क्योंकि प्रवीण जिस उम्र पर खड़े थे इस उम्र में तो खिलाड़ी क्रिकेट को अलविदा कह देता है। प्रवीण तो डेब्यू करने की सोच रहे थे। प्रवीण को समझ आ गया था कि उनका भविष्य अब सिर्फ लीग क्रिकेट में ही है। इसलिए उन्होंने अपने खेल को जारी रखा। साल 2018 में उन्हे यूएई की टी टेन लीग में खेलने का मौका मिला। और वह शेन वाटसन की कप्तानी वाली टीम सिंधी की तरफ से खेले। क्योंकि शेन वाटसन पहले भी प्रवीण के साथ खेल चुके है आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स के साथ। टी टेन लीग के एक मैच में उन्होंने केरला नाइट के खिलाफ खेलते हुए पांच विकेट लेकर एक नया रिकॉर्ड ही बना दिया था। प्रवीण को इस लीग में खेलने के लिए खामियाजा भी भुगदना पड़ा। दरअसल किसी भी भारतीय खिलाड़ी को विदेशी लीग में खेलने के लिए बीसीसीआई की अनुमित लेनी पड़ती है साथ ही उन्हें एनओसी भी लेना होता है लेकिन प्रवीण तांबे ने यूएई में खेलने के लिए बोर्ड से अनुमति नही ली थी इसलिए बोर्ड ने उन्हें अपकमिंग आईपीएल में बैन कर दिया।

साल 2020 में आईपीएल से बाहर होने बाद प्रवीण को cpl यानी कैरेबियन प्रीमियर लीग की तरफ से खेलने का बुलावा आया। जहां उन्होंने ट्रिंनबागो नाइट राइडर्स की तरफ से खेलने का मौका मिला।और उन्होंने वहां भी धमाल मचाया। इसके साथ ही प्रवीण सीपीएल खेलने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी भी बन गए थे। प्रवीण की उम्र अब 51 साल हो चुकी है और वो अभी यूएई में लीजेंड क्रिकेट लीग खेल रहे है। आपको बता दें कि प्रवीण तांबे के जीवन पर एक फिल्म भी बनी है। जो साल 2022 में रिलीज हुई थी। जिसमे प्रवीण तांबे का किरदार बॉलीवुड अभिनेता श्रेयस तलपडे ने निभाया है। प्रवीण तांबे की मुंबई में एक क्रिकेट एकेडमी हैं। जहां फुरसत के समय वो बच्चो को गेंदबाजी के गुण सिखाते है।

51 वर्षीय प्रवीण तांबे ने अपने क्रिकेट करियर में 2 फर्स्ट क्लास मैच और 64 टी 20 मैचों मे कुल 72 विकेट हासिल किए है।

दोस्तों क्या सच में प्रवीण तांबे की उम्र उनके करियर में बाधा बनी? आप क्या सोचते हैं? आप हमें अपनी राय कमेंट करके बता सकते हैं . 

Leave a Comment