महाराष्ट्र का एक मात्र केंद्रीय विश्वविद्यालय इन दिनों चर्चा के केंद में बना हुआ है. विश्वविद्यालय से मिली जानकारी के अनुसार और मीडिया में चल रही खबरों की माने तो कुलपति के विवादों के कारण लगातार बदनाम हो रहा है। कुलपति की कथित व्हाट्सएप चैट और गुडनाइट पीने की बात को कुलपति ने परिवार के सामने प्रेस कान्फ्रेस में भी स्वीकार ली है। कुलपति की चैट को पढ़ें तो कई संदेशों में मामला सब साफ स्पष्ट है। कुलपति ने संवैधानिक पद पर रहते हुए अनैतिक, अश्लील और शासकीय पद और गोपनीयता की शपथ के विरुद्ध कार्य किये हैं। यही कारण है कि विश्वविद्यालय के शिक्षकों और विद्यार्थियों में आक्रोश है। यही नहीं वर्धा वासियों सहित देश भर में कुलपति का विरोध जारी है।

कुलपति से जुड़े स्क्रिन शॉट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं जिसमें यह लिखा गया है…

चंदन सा बदन….
Hi…
सुप्रभात जैसे संबोधन कुलपति ने स्वयं पहल की है। बातचीत में पहल के अलावा कहा गया कि –
मैं दो बजे दिल्ली पहुंच रहा हूं।
संभव हो तो मिलो।
महिला द्वारा बताए गए समय और सरकारी गेस्ट हाउस पर स्वयं के कार्य का नियोजन और महिला से मुलाकात। नियुक्ति का झांसा देकर शोषण भी साफ है।
चैट से –
दिखाओ…
अब वो क्या देखना चाहते हैं?
लो ना….
इन वाक्यों में क्या लेना या देना चाहते है?
फोटो भेज कर सुंदरता को प्रमाणित करने इच्छा प्रकट करना। फ्लाइंग किस का चित्र भेजना और महिला को pic do कहकर चित्र मांगना। गेस्ट हाउस के रूम नंबर की जानकारी दे कर बुलाना जैसी वार्ता से स्पष्ट है कि यह ब्लैकमेल का प्रकरण झूठा है। इनके अलावा अब कुलपति ने प्रेस कोंफ्रेस चैट जब स्वीकार की है तो इसका विश्लेषण निहायत जरूरी है। कुलपति की व्याभिचारिक और अनैतिक इच्छाएं चैट में स्पष्ट हैं। नौकरी का लालच को चैट में देखें तो आवेदनपत्र का आदान प्रदान और चयन का दावा किया गया है। चैट से….
होगा होगा होगा।
वचन देता हूं।
मैं कॉल करूंगा।
आधार सहित नियुक्ति होगी।
डेट निर्धारित होगा।
कोई झूठ नहीं जो कह रहा हूं कर दिखाऊंगा।

यह सभी संवाद भी खुद ब खुद स्पष्ट करता है कि कुलपति शुक्ल के साथ कहीं भी ब्लैकमेल नहीं हुआ है बल्कि कुलपति अपने संवैधानिक पद का दुरुपयोग कर अनैतिक कृत्यों के लिए विश्वविद्यालय की बलि चढ़ा दी है। चैट के अनुसार वे युवती को नियुक्ति संबंधी दावा कर रहे हैं। सरासर गोपनीयता भंग कर रहे है। आरोपी उच्चाधिकारी द्वारा एक युवती का गलत फायदा भी उठाया गया है। मीडिया में इन सभी प्रकरणों के आने से जनमानस भी क्षुब्ध है। एक केंद्रीय शिक्षण संस्थान में उच्च पदाधिकारी द्वारा संस्थान का दुरुपयोग करना देश के लिए शर्मनाक है। विगत प्रेस कांफ्रेंस में कुलपति के ब्लैकमेलिंग संबंधी आरोप अब एक नया अपराध सा है। इन सभी प्रकरण से लगता है कि देश की वे संस्थाएं भी सो रही हैं जिन्हें इस मामले पर गंभीर होना चाहिए। शिक्षकों विद्यार्थियों और जनमानस के प्रतिरोध, सत्याग्रह, प्रार्थना और आक्रोश को देखते हुए जरूरत है केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो और SIT गठित करने की।

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