जिंदगी में कठिनाईयां किस के पास नहीं होती है. लेकिन वीर वहीं कहलाता है जो इन परिस्थितियों को पार कर पहुंच जाता है. आपको भी लग रहा होगा कि हम शुरुआत में ही इस तरह की बात क्यों कह रहे हैं, दरअसल चक दे क्लिक्स के आज के सेगमेंट में हम बात एक ऐसे ही खिलाड़ी के बारे में करने जा रहे हैं जिसका जीवन अनेकों कठिनाइयों से गुजरा लेकिन उसके बाद भी उस खिलाड़ी ने हिम्मत नहीं हारी और आज एक बार फिर से भारतीय टीम का हिस्सा है. जब इस खिलाड़ी की जरूरत मैदान पर हुई तो इसने टीम को एक मुकाम दिलवाया वहीं जब निजी जीवन में परेशानी आई तो इस खिलाड़ी ने उसे भी पार कर दिया. ऐसे में आज हम बात करेंगे एक ऐसे योद्धा खिलाड़ी के बारे में जिसने क्रिकेट के मैदान से लेकर निजी जीवन तक यह खिलाड़ी एक वीर की तरह लड़ा और जीता. जी हां आप सही समझ रहे हैं हम बात करेंगे भारतीय टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी के बारे में…
बता दें कि मोहम्मद शमी का जन्म 3 सितंबर 1990 को उत्तर प्रदेश के छोटे से गांव साहसपुर में हुआ था. इनका पूरा नाम है मोहम्मद शमी अहमद है. इनके पिता किसान थे. किसान परिवार में जन्में मोहम्मद शमी का शारीरिक बनावट बचपन से ही एक खिलाड़ी की तरह था. हर युवाओं की तरह मोहम्मद शमी को भी क्रिकेट से लगाव था. वे बचपन में ही अपने भाइयों के साथ खेलते हुए क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था. शमी परिवार में अकेले नहीं थे जोकि क्रिकेट खेलना चाहते थे उनके तीन और भाई थे जो तेज गेंदबाज बनना चाहते थे. लेकिन मोहम्मद शमी की बात ही कुछ अलग थी. वे विलक्षण प्रतिभा के धनी थे. कहते हैं न पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं. शमी के पिताजी को भी उनकी प्रतिभा बचपन में ही देख लिये थे. और साल 2005 में उन्हें मुरादाबाद के क्रिकेट एके़डमी में दाखिला करवाया. जहां उन्हें बदरुद्दीन सिद्दीकी के मार्गदर्शन में अपने क्रिकेट को आगे बढ़ाया. शमी के खेल को देखते हुए उनके कोच ने उन्हें अंडर 19 के ट्रायल के लिए भेजा लेकिन वे राजनीतिक कारणों से वहां पर सफल नहीं हो पाए. शमी ने हार नहीं मानी और वे लगातार अपना ध्यान खेल के प्रति लगाए रखें. फिर शमी के पिता और कोच ने शमी को कोलकाता भेजने का फैसला कर लिया.
शमी जब कोलकाता पहुंचे तो वहां पर उन्होंने डलहौजी एथलीट क्लब में उन्होंने खेलना शुरू किया. इसी क्लब में खेलते हुए शमी पर नजर बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन के सेक्रेटरी की पड़ी. वे शमी की गेंदबाजी से काफी प्रभावित हुए. फिर क्या था शमी की गाड़ी चल निकली थी. शमी को टाउन क्लब की ओर से खेलने के लिए 75 हजार रुपये के कॉन्ट्रैक्ट ऑफर किया गया. इसी क्लब से खेलते हुए मोहम्द शमी का चयन बंगाल क्रिकेट अंडर-22 में हुआ था. इसके बाद इंडन गार्डन में उन्होंने सौरभ गांगुली को नेट में उन्होंने बॉलिंग किया था. नेट पर बॉलिंग करते हुए शमी ने गांगुली को खासा प्रभावित किया. जिसके बाद गांगुली ने नेशनल सलेक्टर को कहा था कि आप इस गेंदबाज पर नजर बनाए रखें. इस दौरान शमी घरेलू क्रिक्रेट में शानदार प्रदर्शन कर रहे थे. उनके प्रदर्शन के बीच में ही आया साल 2010 जिसमें उनका डेब्यू घरेलु क्रिक्रेट में असम के खिलाफ हुआ. जिसमें उन्होंने 3 विकेट अपने नाम कर लिया.
इसके बाद साल 2012 और 13 के रणजी मुकाबले में मोहम्मद शमी का प्रदर्शन देखने को मिला. इन्होंने अपनी गेंदबाजी के बदौलत हैदराबाद की टीम को पहली पारी में 36 रन देकर 4 विकेट अपने नाम कर लिया था. दूसरी पारी में तो शमी का जादू ऐसे चला जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी उन्होंने 71 रन देकर 6 विकेट अपने नाम कर लिया था. इसके बाद वे लोगों को नजर में आने लगे थे. रणजी में उनका प्रदर्शन दिन प्रतिदिन बेहतरीन होता जा रहा था. अगर हम घरेलु क्रिकेट के आंकड़ों को देखें तो 73 मैचों में उ्नहोंने 278 विकेट अपने नाम किए हैं. वहीं उन्होंने लिस्ट ए के 110 मैच खेले हैं जिसमें उन्होंने 205 विकेट अपने नाम किये हैं. घरेल क्रिकेट में उनके शानदार प्रदर्शन का इनाम उन्हें मिला और वे भारतीय टीम मे वे शामिल हुए.
मोहम्मद शमी का भारतीय टीम में एंट्री अशोक डिंडा की गैरमौजूदगी में हुई उन्हें पाकिस्तान के खिलाफ एक दिवसीय मैच में खेलने का मौका मिला. इस मैच में उन्होंने कुल 9 ओवर किये जिसमें 23 रन देकर एक विकेट अपने नाम किया. इसी साल मोहम्मद शमी का टेस्ट डेब्यू भी हुआ. इसके बाद अगले साल 2014 में उन्होंने टी-20 में भी डेब्यू किया और वह भी पाकिस्तान के खिलाफ. इसी साल मोहम्मद शमी का IPL सफर शुरू हुआ और वे कोलकाता टीम के हिस्सा रहे. इसके बाद साल 2014-18 में वे दिल्ली टीम का हिस्सा रहे उसके बाद साल 2019 में वे किंग्स इलेवन पंजाब टीम का हिस्सा रहे. लेकिन इस दौरान शमी घुटने के चोट के कारण परेशान रहे. इस दौरान वे लगातार टीम इंडिया से अंदर बाहर होते रहे. साल 2015 के विश्वकप को कौन भूल सकता है. जिसमें भारत सेमीफाइनल में बाहर हो गई थी. लेकिन इस विश्वकप में भारतीय तेज गेंदबाजी का जलवा पूरे विश्व ने देखा था. इस विश्वकप में शमी दूसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज बने थे. इस सीरीज में शमी ने कुल 7 मैचों में 17 विकेट अपने नाम कर लिया था. इस विश्वकप का पहला मैच भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ था जिसमें उन्होंने 35 रन देकर चार विकेट अपने नाम किया था. और विश्वकप की शुरुआत बेहतरीन हुई थी . हालांकि इसके बाद वे लगातार चोटिल होते रहे. उस दौरान स्थिति यह थी कि साल 2016 से 18 के बीच में वे मात्र पांच वनडे मैच ही खेल सके थे. चोट के बाद जब एक बार फिर से वे मैदान में आए तो उन्होंने तहलका मचा दिया. वेस्टइंडीज के खिलाफ चार टेस्ट मैचों की सीरीज में उन्होंने कुल 11 विकेट अपने नाम कर लिया. इसके बाद दक्षिण अफ्रीका के दौरान हुए तीन मैचों में 15 विकेट इन्होंने अपने नाम कर लिया. इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए सीरीज में इन्होंने 16 विकेट अपने नाम कर लिया. फिर इंग्लैड के साथ हुए मैच में शमी ने 16 विकेट अपने नाम कर लिया. इन दिनों शमी का प्रदर्शन बेहतरीन चल रहा था लेकिन किश्मत को कुछ और ही मंजूर था. साल 2018 में शमी की पत्नी हसीन जहां ने उनके ऊपर कई गंभीर आरोप लगा दिया. इसी साल यानी की साल 2018 में शमी देहरादून से नई दिल्ली आ रहे थे इस दौरान उनका कार एक्सीडेंट का शिकार हो गया और शमी की दाई आंख के ऊपर चोट आई थी. जिसमें कुछ टांके भी पड़े थे… हालांकि शमी ने इस एक्सीडेंट को भी अन्य परेशानियों की तरह पार कर लिया…
हसीन जहां की ओर से लगाए गए आरोप के बाद से सभी लोग हैरान रह गए. बता दें कि शमी की पत्नी ने फेसबुक पेज पर आरोप लगाते हुए पोस्ट लिख दी जिसमें उन्होंने वाट्सऐप पर चैट के कई स्कीन शॉट्स भी शेयर कर दी. हसीन जहां की तरफ से जो आरोप लगाया जा रहा था उसमें यह बताया जा रहा था कि दूसरी लड़कियों से शमी की चैट होती थी. हसीन इस दौरान यह दिखाना चाह रही थी की शमी का किसी दूसरी लड़की के साथ अफेयर चल रहा है. इतना ही नहीं हसीन जहां ने यह भी आरोप लगाया कि वे हमारे साथ माररपीट करते थे. कई सालों तक उन्हें प्रताड़ना सहना पड़ा है. तमाम तरह के आरोप लगने के बाद BCCI ने भी कॉन्ट्रैक्ट तोड़ दिया था. लेकिन शमी कहा हार मानने वालों में से वे रोज अभी भी मैदान में प्रैक्टिस के जा रहे थे. इसी साल यानी की साल 2018 में शमी देहरादून से नई दिल्ली आ रहे थे इस दौरान उनका कार एक्सीडेंट का शिकार हो गया और शमी की दाई आंख के ऊपर चोट आई थी. जिसमें कुछ टांके भी पड़े थे… हालांकि शमी ने इस एक्सीडेंट को भी अन्य परेशानियों की तरह पार कर लिया… इस दौरान शमी के लिए मुझे यही याद आ रहा है कि चुनौती से जो डर गया वो जीते जी ही मर गया, मानव वही महान जो, विपदाओं में निखर गया. तमाम चुनौतियों, वाधाओं को दूर करते हुए शमी एक योद्धा की तरह बाहर निकला. फिर आया. साल 2019 के विश्वकप में एक बार फिर से मोहम्मद शमी वापस लौट कर आए तो अफगानिस्तान के खिलाफ उन्होंने हैट्रिक लगा दी और यह मैच भारत 11 रनों से जीत गया था. आपको बता दें कि भारत की तरफ से विश्वकप में हैट्रिक लगाने वाले वे दूसरे गेंदबाद है इससे पहले चेतन शर्मा में ने यह कारनामा किया था. शमी ने 80 मैचों में 150 विकेट अपने नाम किया है यह किसी भारतीय द्वारा अभी तक नहीं किया गया है. इसके साथ ही 3 लगातार वनडे में 4 विकेट लेने का भी कारनामा शमी कर चुके हैं. शमी जब अपने पूराने दिनों से लौटकर आए तो उनकी गेंदबाजी में एक और धार आ चुकी थी. उन्होंने गेंदबाजी के नए तकनीक को विकसित किया जिसकी प्रशंसा विश्व क्रिकेट में की जाती है. मोहम्मद शमी ऑस्ट्रेलिया टी-20 विश्वकप 2022 की टीम का हिस्सा हैं और अपनी गेंद से बल्लेबाजों को परेशान कर रहे हैं. हमारी शुभकामनाएं उनके साथ है. वे अपने पुराने दिनों को भूलकर एक बार फिर से पुराने अंदाज में हमें दिखें…
चलते चलते एक सवाल के साथ आपको छोड़े जाता हूं कि शमी की गेंदबाजी का कौन सा स्पेल आपको सबसे बेहतरीन लगा आप हमें कमेंट कर के जरूर बताएं.