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फिर पलट गए नीतीश कुमार

Bihari News

सियासत के बारे में कहा जाता है इसमें कब बदलाव हो जाएं कुछ भी कहना मुश्किल है. देश के साथ ही कई प्रदेशों में इस तरह की घटनाएं सामने आई हे जिसमें पहले कुछ कहा गया उसके बाद उसमें कई तरह के बदलाव सामने आए हैं. केंद्र की मोदी सरकार ने भी आम लोगों के खाते में 15 लाख रुपये देने की बात कही थी लेकिन बाद में इसी सरकार की तरफ से यह कहा गया कि वह एक राजनीतिक जुमला था. कोई भी सरकार इतनी राशि नहीं बांट सकती है. खैर इसी तरह के कई वाक्या है जोकि आये दिन देखने को मिलता है. अब इधर बिहार में भी एक मामला सामने आया है जिसमें नीतीश कुमार ने पहले कहा था कि हम इस मामले में कोई भी रियायत नहीं कर सकते हैं लेकिन बाद में नीतीश कुमार की सरकार ने भी उसमें रियात करना शुरू कर दिया है.

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नीतीश कुमार बिहार विधानसभा में साल 2022 में कहा था कि अगर कोई शराब पियेगा और गड़बड़ पियेगा तो वो मरेगा. अगर कोई शराब पीकर मर जाता है, तो उसके प्रति दया नहीं रखनी चाहिए. लोगों को शराब पीने से मना करना चाहिए. हालांकि यह बात पुरानी हो गई है. और नीतीश कुमार उस विधानसभा की बात को भूल गए हैं. नीतीश कुमार नालंदा और पूर्वी चंपारण जिलों में जहरीली शराब पीने से मरने वाले परिजनों को अब आर्थिक मदद कररहे हैं. बिहार पुलिस मुख्यालय की तरफ से जारी बयान में यह बताया गया है कि सरकार जहरीली शराब से हुई 53 मौतों के पीड़ितों के परिजनों को 2.1 करोड़ रुपये का मुआवजा देगी. साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि पीड़ित परिवारों को लेकर चिन्हित कर लिया गया है. विभाग की तरफ से यह बताया गया कि पूर्वी चंपारण में रहमस्यमय परिस्थितियों में 41 लोगों की जान चली गई थी. वहीं नालंदा को लेकर दी गई जानकारी के अनुसार सोहसराय थाना क्षेत्र में शराब के नशे में 12 लोगों की जान चली गई थी. पोस्टमार्टम के बाद यह सिद्ध हो पाया था कि मौत का कारण जहरीली शराब बताया गया था.

आपको बता दें कि सीएम नीतीश कुमार ने साल 2016 में पूर्ण शराबबंदी लागू की गई थी. जब जहरीली शराब से लोगों की मौत हुई तो उसके बाद बीजेपी और वाम दलों ने सरकार से मुआबजे की मांग की थी. इसी दौरान नीतीश कुमार ने कहा था कि जो पियेगा वह तो मरेगा ही. हालांकि बाद में उनका मन बदला और नीतीश कुमार ने बिहार में जहरीली शराब से होने वाली मौत के बाद उनके परिजनों को मुआवजा देने की बात कही गई.

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बिहार में जब शराबबंदी की गई थी उस समय बिहार में दो अलग अलग धड़े बन गए थे एक तो शराबबंदी कानून का समर्थन कर रहा था तो वहीं दूसरा इस कानून को लागू करने की बात कह रहा था. हालांकि इस शराबंदी कानून में बाद में बदलाव देखने को मिला जब इस कानून को लोग तोड़ने लगे तब इसके कानून में संशोधन किया गया. हालांकि अभी भी सवाल वहीं पर अटका है कि बिहार में शराब बंदी लागू है उसके बाद आए दिन शराब की बड़ी खेप पकड़ी जाती है. जिसके कारण नीतीश सरकार पर लगातार आरोप लगते रहे हैं.

हालांकि अब यही कहा जा रहा है कि बिहार में या तो जहरीली शराब बनती है या फिर बाहर से आ रही है ऐसे में इस कानून के लागू हुए इतने दिन हो गए हैं उसके बाद भी इसपर पूर्णतः रोक क्यों नहीं लग रहा है. नीतीश कुमार के अब तक के फैसले में इस फैसले ने नीतीश कुमार को सबसे ज्यादा किरकिरी करवाया है. ऐसे में अब देखना है कि नीतीश कुमार इस कानून को लेकर आगे किस तरह का फैसला लेते हैं.

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