नीतीश के शिखंडी कहने पर राजद नेता से स्पष्टीकरण मांगा गया. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगा कि नीतीश कुमार ने भी कभी किसी नेता को लेकर इस शब्द का इस्तेमाल किया था. बिहार की सियासत में इन दिनों बयानबाजी का दौर जारी है. पिछले दिनों जिस तरह से राजद नेता सुधारकर सिंह नीतीश कुमार हमलावर रहे हैं उसके बाद तो यही कहा जा रहा था कि सुधारक सिंह अब राजद छोड़ देंगे. हालांकि बाद में राजद की तरफ से उन्हें उनके बयान को लेकर जवाब मांगा गया. इस जवाब को लेकर उन्होंने मीडिया में भी जवाब दिया है जिसमें उन्होंने कहा कि हमने किसी भी भी संसदीय भाषा की मर्यादा को नहीं तोड़ा है. उसके बाद भी हमें नोटिस भेजा गया है. अब सुधारकर सिंह ने लिखित में अपना जवाब पार्टी को भेज दिया है.

तो चलिए अब बात कर लेते हैं नीतीश कुमार ने कब इस शब्द का इस्तेमाल किया था. दरअसल संकर्षण ठाकुर की किताब बिहारी बंधु के अध्याय सात जिसका शीर्षक है गलत शुरुआत इसमें उन्होंने नीतीश कुमार और विजय कृष्ण (राजद के कभी कद्दावर नेताओं में गिनती होती थी) के बीच के संवाद का जिक्र किया है. दरअसल यह बात तब की है जब नीतीश कुमार कुर्मी चेतना यात्रा में शामिल होने के बाद लालू यादव के धूर विरोधियों में से एक माने जाने लगे थे. इस समय लालू यादव के साथ के नेता लालू यादव के कार्यों से संतुष्ट नहीं थे. इन्ही में से एक थे नीतीश कुमार. जोकि समाजिक न्याय की बात करते थे लेकिन लालू यादव की पार्टी में थे. कुर्मी चेतना रैली में शामिल होने के बाद यह साफ हो गया था कि लालू यादव के साथ अब नीतीश कुमार नहीं है. लेकिन उस दौर में लालू यादव का विरोध करना अपने राजनीतिक कैरियर पर हमला करना था. लेकिन नीतीश कुमार को कुर्मी चेतना रैली में लोगों को साथ मिला उस माहौल को भांपते हुए उन्होने लालू यादव के विरोध में बिगूल फूंक दिया. उस रैली के समाप्त होने के बाद लालू यादव के चहेते नेता अब्दुल बारी सिद्धीकी नीतीश कुमार से मिलने पहुंचे. उन्होंने नीतीश कुमार से कहा कि लालू यादव आपकी बात सुनने को तैयार हैं. उनसे मिलो, अपने मुद्दों पर बात करो, पार्टी मत तोड़ो. हमर एक परिवार हैं. इसके बाद सिद्दीकी के साथ बैठे विजय कृष्ण ने कहा कि वह अभी फोन मिलाकर मुलाकात तय कर सकता है. इसपर नीतीश झिझक गए और उन्होंने कहा कि आप शिखंडी बन गए क्या? नीतीश ने विजय कृष्ण की तुलना महाभारत के एक तुच्छ पात्र से करते हुए ताना मारा. मुझे सीख मत दिजिए, मैंनें जो रास्ता अपनाया है, उसी पर चलूंगा

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अब उपेंद्र कुशवाहा भी नीतीश कुमार के उन दिनों के राह पर चलने की बात कह रहे हैं. इसीलिए पिछले दिनों उन्होंने जदयू में अपनी हिस्सेदारी की बात कही है. हालांकि शुरुआत में जिस हिस्सेदारी की वे बात कर रहे थे लोगों को समझ में नहीं आया लेकिन उन्होंने बाद में यह स्पष्ट किया की साल 1994 में नीतीश कुमार लालू यादव से जिस हिस्सेदारी की मांग कर रहे थे वही हिस्सेदारी अब हमको चाहिए. ऐसे में बिहार में इन दिनों सियासी पारा लगातार उपर चढ़ा हुआ है. जदयू राजद और बीजेपी के बीच में इन दिनों घमासान मचा हुआ है. तीनों ही पार्टी के नेताओं की तरफ से लगातार बयान सामने आ रहे हैं. ऐसे में यह कहा जा रहा है. बिहार कि सियासत में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. राजनीतिक पार्टियों की तरफ से दिये जा रहे बयानों के अब कई मायने मतलब भी निकाले जा रहे हैं.

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