अब तक कई बार ऐसा देखा गया है की जब भी नीतीश कुमार ने पाला बदला है या फिर कोई बड़े सियासी फैसले उन्होंने लिए हैं, तबतब उनकी नजदीकियां विपक्षी दलों से बढ़ गयी है. इससे पहले भी यह देखा गया था की नीतीश इफ्तार पार्टी के आयोजन में विपक्ष के यहाँ पहुंचे और कुछ दिनों बाद हीं विपक्ष से रिश्ता जुड़ने की खबर सामने आ गयी.

खैर राजनीती गलियारे में तो अक्सर ये चीजें होती हीं रहती हैं. लेकिन नीतीश कुमार का अंदाज थोड़ा अलग होता है. चलिए अभी हाल के हीं मामले को देखते हैं, जहाँ चैती छठ में खरना का प्रसाद ग्रहण करने CM नीतीश बीजेपी के राष्ट्रिय प्रवक्ता संजय मयूख के घर पहुंचे. नीतीश के साथसाथ उनके कैबिनेट के कई मंत्रियों को भी बीजेपी के राष्ट्रिय प्रवक्ता संजय मयूख के घर देखा गया. विजय चौधरी और संजय झा जो की जदयू कोटे के हीं मंत्री हैं वे भी वहीँ मौजूद थे. यूँ नीतीश कुमार और उनके मंत्रियों का विरोधी दल के घर मौके पर मौजूद होना लोगों को थोड़ा हैरान कर रहा. लोगों के बीच इस बात के कयास लगाये जा रहें हैं की किसी नए सियासी समीकरण के संकेत बिहार में आने वाले समय में फिर से देखने को मिल सकते हैं.

दरअसल इससे पहले भी नीतीश कुमार इफ्तार पार्टी के आयोजन में शामिल होने बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के घर इसी अंदाज में पहुंचे थे. उस वक्त भी लोगों में इस बात की चर्चा थी की कहीं सियासी रुख कोई नया मोड़ ले. सियासत ने भी कुछ हीं समय के बाद नया मोड़ ले लिया और बीजेपी का दामन छोड़ नीतीश राजद से जुड़ गये. यहीं वजह है की खरना का प्रसाद खाने नीतीश जैसे हीं बीजेपी नेता संजय मयूख के घर पहुंचे वैसे हीं हर कोई इस मामले पर सियासत में होने वाले मौसम के बदलाव का अंदाजा लगा रहा है.

खैर पर्वत्यौहार या किसी कार्यक्रम के आयोजन पर एकदुसरे के यहाँ आनाजाना तो होता हीं रहता है. इसे हम शिष्टाचार मुलाकात के रूप में भी ले सकते हैं. लेकिन नीतीश कुमार के मन में क्या चल रहा इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता. सीबीआई और ED की तेजस्वी यादव और उनकी बहन मिसा भारती से पूछताछ वाले मामले को लेकर नीतीश कुमार ने अब चुप्पी बना रखी है. राहुल गाँधी की लोकसभा सस्यता रद्द हो जाने वाले मामले पर भी नीतीश की तरफ से अब तक कोई बयान सामने नहीं आया है. महागठबंधन सरकार में कुल सात दल हैं जिनके मुखिया नीतीश कुमार है. इन्ही दलों की सहायता से नीतीश बिहार के सियासत की कमान संभाल रहें हैं. महागठबंधन दलों में हर कोई इस मामले को लेकर अपनी बातों को सामने रख रहा है. वहीं जदयू के राष्ट्रिय अध्यक्ष ललन सिंह भी इस मामले में पीछे नहीं है. वे भी जम कर इन मुद्दों पर अपनी बातों को रख रहें हैं. लेकिन नीतीश कुमार अब तक चुप्पी साधे बैठे हैं.

विपक्षी दलों के घर आनाजाना तो कभी अपने हीं पक्ष के लोगों के मामले को लेकर सीबीआई की पूछताछ पर चुप्पी साधने से भी लोगों के द्वारा सियासी रुख बदलने के अंदाजे लगाये जा रहें हैं. दरअसल साल 2013 में नीतीश कुमार ने NDA का साथ छोड़ दिया था. उसके बाद नीतीश कुमार द्वारा विधानसभा का चुनाव राजद और कांग्रेस के साथ साल 2015 में गठबंधन बना कर लड़ा गया था. लेकिन फिर आगे चल कर लालू परिवार पर साल 2017 में सीबीआई द्वारा मामला दर्ज किया गया. सीबीआई द्वारा मामला दर्ज होने के कुछ समय बाद ही महागठबंधन से नीतीश कुमार दूर हो गये और बीजेपी के साथ मिलकर उन्होंने सरकार बना लिया. लोगों के अनुसार इस बार भी वहीँ पुरानी चीजें दोहराई जा रहीं हैं. नीतीश का बीजेपी नेता संजय मयूख के घर छठ पूजा के आयोजन पर जाना, राहुल और तेजस्वी मामले पर चुप्पी बनाये रखना और लालू परिवार पर सीबीआई द्वारा मामला दर्ज करना. खैर सियासत में बदलाव तो होते हीं रहते है, लेकिन अब यह बदलाव कब देखने को मिलेगा ये तो समय हीं बताएगा.

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