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ममता की छाव से क्या नीतीश को मिलेगी ताकत ?

Bihari News

बिहार की सियासत और बिहार के मुख्यमंत्री को समझना सभी के बस की बात नहीं है.बिहार की सियासत को लेकर राजनीतिक पंडित भी यह नहीं कह पाते हैं कि आने वाले दिनों में हवा का रूख किस ओर होगा. लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर जिस तरह के हालात बनते दिख रहे हैं उसके बाद से नीतीश कुमार सबसे ज्यादा एक्टिव दिखाई दे रहे हैं. दरअसल नीतीश कुमार विपक्षी एकता को एकजुट करने में लगे हुए हैं. इसी कड़ी में पिछले दिनों दिल्ली का दौरा किया था जिसमें विपक्ष के कई बड़े चेहरे एक साथ दिखाई दिये थे ऐसे में एक बार फिर से यह उम्मीद कि जा रही है की नीतीश कुमार विपक्षी एकता को मजबूत करने के लिए एक कदम आगे बढ़ने जा रहे हैं.

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मीडिया में चल रही खबरों की मानेतो नीतीश कुमार कोलकाता और लखनऊ का दौरा करने वाले हैं. बताया जा रहा है कि पहले वे अखिलेश यादव से मुलाकात करेंगे उसके बाद ममता बनर्जी से मुलाकात करने वाले हैं. ऐसे में कई तरह की कयासें लगाई जा रही है कि आखिर नीतीश कुमार के मन में चल क्या रहा है? क्योंकि नीतीश कुमार जिन दो नेताओं को साधने चले हैं वे दोनों नेता ऐसे हैं जोकि कांग्रेस को लोकसभा में पंसद नहीं कर रहे हैं. ममता बनर्जी भी कांग्रेस के साथ जाने को लेकर अपना स्पष्ट रुख दिखा चुकी है अखिलेश यादव भी कई बार इंटरव्यू में अपनी बात कह चुके हैं. ऐसे मे नीतीश कुमार को लेकर लोग यही कह रहे हैं कि यह नीतीश कुमार के लिए कितना सलफलतम होगा कहना मुश्किल है.

लेकिन ममता बनर्जी को लेकर एक बात यह भी कहा जा रहा है कि ममता बनर्जी अगर किसी पर एक बार विश्वास कर लें तो वह उसके हाथ हो लेती है. हम देखसकते हैं बिहारी बाबू को ममता बनर्जी ने सांसद बना दिया. ऐसे में अब कहा जा रहा है कि अगर ममता बनर्जी नीतीश कुमार का समर्थन करते हैं तो यह विपक्षी एकता को लेकर एक सार्थक पहल के रूप मे देखा जा रहा है. सियासी जानकारों के बीच इस बात को लेकर भी चर्चा की जा रही है कि अचानक से विपक्ष के नेता नीतीश के साथ क्यों आने लगे हैं. कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार जबसे यह बात कहने लगे हैं कि वे विपक्ष के रूप में प्रधानमंत्री उम्मीदवार वे नहीं बनेंगे उसके बाद से नीतीश कुमार को ज्यादा तरजीह मिलने लगी है.

ममता बनर्जी को लेकर बोलते हुए सीएम नीतीश कुमार ने कहा है कि जब भी मैं उनसे मिलूंगा, आपको सूचित कर दूंगा. जिस समय वे यह बात बोल रहे थे उस दौरान उनके बोलने में एक विश्वास और गंभीरता साफ तौर पर देखी जा सकती है. आपको बता दें कि पिछले दिनों जिस तरह से तेजस्वी यादव के साथ नीतीश कुमार का दिल्ली दौरा हुआ था उसके बाद इसे एक सकारात्मक पहल के रूप मे देखा जा रहा है. उस दौरान विपक्ष के कई बड़े नेता की नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव से मुलाकात हुई है. हालांकि नीतीश कुमार के सामने अभी भी जो सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है वह यह कि कांग्रेस और कांग्रेस को नहीं पसंद करने वाली पार्टियों को वो कैसे एक धागे में पिरा पाएंगे. अगर वे ऐसा करने में सफल रहे तो फिर यह कहा जा रहा है कि बीजेपी को थोड़ी परेशानी में डाल सकते हैं. बता दें कि पिछले कुछ दिनों से जिस तरह से ममता बनर्जी का बयान सामने आ रहा है उसमें वे केंद्र सरकार पर लगातार हमलावर हैं और विपक्ष को एकजुट करने की बात कह रहे हैं. नीतीश के पहल को भी इसी संकेत के साथ जोड़कर देखा जा रहा है.

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