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बिहार में खाद्य तेलों के दामों में हुई बढ़ोतरी, घरेलू बजट पर पड़ेगा असर…

Bihari News

दिनप्रतिदिन लोगों को महंगाई का मार सहना पड़ रहा है. ऐसे में एक बार फिर खाद्य तेल के दामों में उछाल देखने को मिल रहा हैं. लोगों के बिच यह उम्मीद थी कि तेलों के दामों को त्योहार को देखते हुए बढाया गया है और जब त्योहार खत्म हो जायेंगे तो तेल के दामों में गिरावट कर दी जाएगी. पर अब देख कर एस अलग रहा है जैसे उनके उम्मीद पर पानी फेरा जा रहा है. क्योंकि सरकार के द्वारा दाम कम करने के बजाय और भी बढ़ोतरी की जा रही हैं. बता दे कि सरसों तेल, सोया रिफाइंड और पाम रिफाइंड की तेलों की कीमतों में बढ़ोतरी कर दी गयी हैं. जिसका असर सीधे आम लोगों के जेब पर पड़ने वाला हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि जिस तेल में सर्वाधिक तेजी की गयी है, उसमें पाम रिफाइंड तेल शामिल हैं. इसकी कीमत में 15 रुपये लीटर की बढ़ोतरी की गयी हैं. वहीं अन्य खाद्य तेल जैसे सरसों तेल या सोया रिफाइंड में 10 रुपये प्रति लीटर का इजाफा देखने को मिल रहा हैं. तेलों के दाम बढ़ने से लोगों के घरेलु बजट में भी अंतर देखने को मिल सकता हैं.बताते चले कि पहले जिस सरसों तेल का दाम 150 से 175 रुपये प्रति लीटर हुआ करता था, वहीं अब इसके दामों को बढ़ा कर 160 रुपये से 185 रुपये कर दिए गए हैं. सोया रिफाइंड का भाव पहले जहां 140 से 150 रुपये प्रति लीटर था वहीं अब इसके दामों को बढ़ा कर 150 से 160 रुपये प्रतिलीटर कर दिया गया हैं. इसके अलावा जिस तेल के दामों में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी की गयी है पाम रिफाइंड , उसके दाम पहले 105 रुपये लीटर थे जिसे अब बढ़ाकर 120 रुपये लीटर कर दिए गए हैं. यानी कि इस तेल में पूरे 15 रुपये प्रति लीटर का इजाफा किया गया हैं.अब आपके मन में यह सवाल जरुर आ रहे होंगे कि आखिर सरकार के द्वारा खाद्य तेलों के दामों में बढ़ोतरी क्यों की जा रही है, वो भी तब जब सारे त्योहार खत्म हो गए हैं और अब त्योहार के लिए तेल की मांगे भी घट गयी है. तो मैं, आपको बता दूँ कि मिली जानकारी के अनुसार बिहार खुदरा विक्रेता महासंघ के महासचिव रमेश तलरेजा के द्वारा बताया गया है कि बेमौसम बारिश होने की वजह से तिलहन फसलों को नुक्सान पहुँच गया हैं. वहीं यह भी अनुमान लगाया गया है कि इस वर्ष सरसों और सोयाबीन का पैदावार कम हुआ हैं. जिसके बाद विदेशी बाजारों में खाद्य तेल की कीमतों में बढ़ोतरी कर दी गयी हैं. साथ ही स्टॉक सीमा हटने पर भी असर बाजार पर पड़ा है. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि खाद्य तेलों के मामले में भारत विदेशी बाजारों पर भी 60 से 65 प्रतिशत तक निर्भर रहता हैं. बताते चले कि तेल के दामों में इजाफा किये जाने के बाद यह उम्मीद की जा रही है कि प्रतेक घरों में प्रति माह का बजट 100 से 150 रुपये बढ़ सकता हैं. इससे अब लोगों की परेशानी घटने के बजाय केवल बढ़ने ही वाली हैं. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि खाद्य तेलों में आगे भी कुछ बढ़ोतरी देखने को मिल सकती हैं. अब आगे देखने वाली बात यह होगी कि लोगों को कब इस महंगाई से राहत मिलती हैं.

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