बिहार में पिछले कुछ सालों से सड़कों को लेकर खुब काम हुआ है. प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में सड़को की स्थिति में सुधार हुआ है और जिन इलाकों में सड़कें नहीं थी वहां पर भी सड़कों को लेकर काम जारी है. साथ ही साथ बिहार में नेशनल हाइवे एक्सप्रेसवे के निर्माण कार्य में भी तेजी देखी जा रही है. हालांकि इस कार्य में बिहार सरकार के साथ ही केंद्र सरकार की महती भूमिका है. पिछले दिनों बिहार में सोन नदी पर पंडुका पुल का शिलान्यास किया गया है. कहा जा रहा है कि इस पुल के निर्माण हो जाने से यह धार्मिक के साथ ही व्यापारिक रूप से भी काफी महत्वपूर्ण होने वाला है. कहा जा रहा है कि इस पुल के निर्माण से छत्तीसगढ़ और झारखंड के आदिवासी समाज के लोगों को इसका खूब लाभ मिलने वाला है. इन सब के अलावा एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में जाने के लिए एक लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी उससे अब लोगों को निजात मिलने वाला है. इस दौरान लोगों को अतिरिक्त किराया भी देना पड़ता था. सोन नदी पर पंडुका पुल बन जाने से बिहार और झारखंड की दूरी 80 किमी कम हो जाएगी. पहले डालटेनगंज से औरंगाबाद जाने के लिए 100 किमी की दूरी तय करनी होती थी लेकिन जब पुल का निर्माण हो जाएगा तो डालटेनगंज से गढ़वा और भवनाथपुर की दूरी सीधा आधा हो जाएगी. ऐसे में कहा जा रहा है कि बिहार और झारखंड के लोगों को व्यापार करने में सहुलित होगी.

इस पुल को लेकर यह भी कहा जा रहा है कि बिहार के रोहतास जिले को धान का कटोरा कहा जाता है इस जिले का धान और गेंहूं झारखंड जाएगा तो वहीं झारखंड जिले के पलामू, गढ़वा, लोहरदगा, लातेहार जहां पर सब्जियों का उत्पादन बेहतरीन तरीके से होती है. ऐसे में अब यह कहा जा रहा है कि यह पुल इन दोनों ही प्रदेशों के लिए एक बरदान के रूप में हैं. अगर इस पुल को पर्यटन की लिहाज से देखा जाए तो कैमूर की पहाड़ियों से लेकर रोहतासगढ़, गप्ता धाम, ततला भवानी, दशशीश नाथ, चौरासन शिवमंदिर, महादेव खोह और दुर्गावती जलाशय के साथ ही कैमुर में घूमने के लिए कई जलप्रपात हैं. ऐसे में कहा जा रहा है कि इन स्थलों पर पर्यटको की संख्या में भी इजाफा होगा. कहा जा रहा है कि इन इलाकों में यातायात की सुविधा इतनी अच्छी नहीं होने के कारण पर्यटन को इतना लाभ नहीं मिल पाया है. लेकिन अब पुल के बन जाने के बाद से इन क्षेत्र में लोगों को काफी लाभ मिलने वाला है.

इस मौके पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि पुल निर्माण से बिहार का खोआ झारखंड तक पहुंचेगा. यहां के कृषि उत्पादों का नया बाजार मिलेगा. इस दौरान उन्होंने बोलते हुए कहा कि इस पिछड़े क्षेत्र में पुल का मतलब बहुत ज्यादा है. इस पुल के निर्माण होने के बाद झारखंड, यूपी, बिहार, छत्तीसगढ़ तीन राज्यों को लाभ मिलने वाला है. उन्होंने यह भी कहा कि बिहार को अगर धनवान बनना है तो सबसे पहले उसे रोड का विकास करना होगा. उन्होंने कहा कि 2024 तक बिहार 13 NH का निर्माण 1 लाख 10 हजार करोड़ की लागत से किया जाना है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि रोहतास से भी नए दो ग्रिनफिल्ड गुजरेंगे जिससे पटना और कोलकाता की यात्रा कम समय में की जा सकेगी.

इस पुल निर्माण से दोनों राज्यों के 50 लाख लोगों को इसका सीधा लाभ मिलने वाला है. बता दें कि यह पुल रोहतास जिला के पंडुका से अकबरपुर NH 119 तक जाएगा तो वहीं दूसरा खंड झारखंड के गढ़वा से श्रीनगर कांडी होते हुए उटारी NH 39 तक पहुंचेगा. कहा जा रहा है कि पंडुका पुल निर्माण होने के बाद से बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश तक का यात्रा लोगों की सुलभ हो जाएगी और दूरी भी कम हो जाएगी. कहा जा रहा है कि जब यह पुल बनकर तैयार हो जाएगा तो बिहार के नौहट्टा से दो-तीन किमी की दूरी तय कर झारखंड में गढ़वा जिले के श्रीनगर पहुंच सकते हैं. अगर हम इसी दूरी को वर्तमान में देखें तो गढ़वा से औरंगाबाद की दूरी 150 किमी की है जबकि नौहट्टा से गढ़वा, पलामू की दूरी 120 किमी की है. वहीं पंडुका पुल बन जाने के बाद से छत्तीसगढ़ की दूरी 99 किमी हो जाएगी जोकि अभी 220 किमी की है. इधर उत्तर प्रदेश का जिला सोनभद्र भी मात्र 13 किमी की दूरी तय करके पहुंचा जा सकता है. जिसकी वर्तमान दूरी 170 किमी है. ऐसे मं यह कहा जा रहा है कि पंडुका पुल के निर्माण हो जाने के बाद से बिहार झारखंड उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लोगों को यात्रा के दौरान काफी लाभ मिलने वाला है. बिहार के लोग उत्तर प्रदेश झारखंड और छत्तीसगढ़ बहुत ही कम समय में आसानी से पहुंच सकते हैं. ऐसे में अब बस लोगों को यही उम्मीद है कि जितनी जल्दी हो सके इस पुल का निर्माण किया जाए.

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