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टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में सबसे कम उम्र में डेब्यू करने वाले विकेटकीपर जो 16 सालों तक रहा भारतीय टीम का स्टेपनी

Bihari News

धाकड़ विकेटकीपरबल्लेबाज, जो 16 सालों तक बना रहा टीम इंडिया का स्टेपनी

टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में सबसे कम उम्र में डेब्यू करने वाले विकेटकीपर

16 सालों का लंबा करियर लेकिन कभी नहीं बन पाए टीम इंडिया के नियमित सदस्य

जो 16 सालों तक बना रहा टीम इंडिया का स्टेपनी

अपनी कप्तानी और बल्लेबाजी से जिसने टीम को पहली बार जितवाया रणजी ट्रॉफी

साल 2002, भारत का इंग्लैंड दौरा, सीरीज के दूसरे टेस्ट में एक 17 साल का लड़का स्टंप के पीछे खड़े होकर विकेटकीपिंग कर रहा था. 16 साल बाद भी यही खिलाड़ी साउथ अफ्रीका में विकेटकीपिंग करता दिखा. लेकिन 16 सालों में इस विकेटकीपरबल्लेबाज ने महज 25 टेस्ट खेले और मात्र 38 वनडे. भारत के इस प्रतिभाशाली विकेटकीपरबल्लेबाज का इंटरनेशनल करियर लंबा मगर बेहद अनिश्चित रहा. वजह थे महेंद्र सिंह धोनी. भारत ने साल 2002 से लेकर 2019 तक धोनी समेत कुल 7 विकेटकीपर को आजमाया. आज जिस खिलाड़ी की बात करने जा रहे हैं वह इन 16 सालों में टीम इंडिया में स्टेपनी बने रहे.

बात करेंगे भारत के एक प्रतिभाशाली विकेटकीपरबल्लेबाज के बारे में, जिसका करियर लंबा तो रहा लेकिन वो कभी टीम इंडिया के नियमित सदस्य नहीं बन पाए. बात हो रही है भारत के पूर्व विकेटकीपरबल्लेबाज पार्थिव पटेल के बारे में. आज के लेख में हम पार्थिव पटेल के जीवन से जुड़ी कुछ जानीअनजानी और अनकही बातों को जानने की कोशिश करेंगे.

9 मार्च, 1985 को गुजरात के अहमदाबाद में पैदा हुए पार्थिव पटेल टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में सबसे कम उम्र में डेब्यू करने वाले विकेटकीपर थे. पार्थिव के पिता का नाम अजय पटेल है. आपको शायद ये बात मालूम नहीं होगी कि पार्थिव जब 9 साल के थे तब उन्होंने अपना एक उंगली गंवा दिया था, जिस वजह से शुरुआत में उन्हें विकेटकीपिंग करने में काफी कठिनाई होती थी लेकिन कठिन मेहनत और अभ्यास से उन्होंने विकेटकीपिंग में महारथ हासिल कर ली. क्रिकेट के प्रति जुनून और कड़ी मेहनत रंग लाई और पार्थिव पटेल ने गुजरात की घरेलु टीम में अपना स्थान बना लिया. पार्थिव पटेल ऑस्ट्रेलिया के महान विकेटकीपरबल्लेबाज एडम गिलक्रिस्ट को अपना आदर्श मानते थे और उन्हीं के जैसा खिलाड़ी बनने का सपना देखते थे. घरेलु क्रिकेट में गुजरात के लिए शानदार प्रदर्शन करने के चलते वो राष्ट्रीय चयनकर्ताओं की नजर में आ गए और वो दिन भी आया जिसका सपना भारत का बच्चाबच्चा देखता है.

साल 2002 में भारतीय टीम इंग्लैंड दौरे पर गई थी, उस समय अजय रात्रा टीम इंडिया के नियमित विकेटकीपर थे. पहले टेस्ट के दौरान रात्रा चोटिल हो गए जिसके बाद पार्थिव पटेल को टेस्ट डेब्यू करने का मौका मिल गया. उस समय उन्होंने पाकिस्तान के पूर्व विकेटकीपर हनीफ मोहम्मद के रिकॉर्ड को तोड़ा था. हनीफ ने 17 साल 300 दिन की उम्र में विकेटकीपर के तौर पर अपना टेस्ट अंतराष्ट्रीय डेब्यू किया था वहीं पार्थिव पटेल की उम्र तब 17 साल 152 दिन की थी. उस मैच में पार्थिव ने घंटे भर बल्लेबाजी करते हुए भारत को हार से बचाया था. लेकिन 2004 में महेंद्र सिंह धोनी के उदय और खराब विकेटकीपिंग के चलते पार्थिव टीम इंडिया से साइडलाइन हो गए.

पार्थिव पटेल ने जनवरी, 2003 में न्यूजीलैंड के खिलाफ अपना वनडे इंटरनेशनल डेब्यू किया था. पार्थिव पटेल को 2003 वर्ल्ड कप के लिए टीम इंडिया के स्क्वाड में चुना गया था लेकिन वो एक भी मैच नहीं खेले. राहुल द्रविड़ ही विकेटकीपर की भूमिका में रहे ताकि टीम में एक अतिरिक्त बल्लेबाज या गेंदबाज खिलाया जा सके. इन 2 सालों के स्पैन में पटेल ने गिनेचुने ही मुकाबले खेले. वो सिर्फ 13 वनडे की खेले जिसमें उनका औसत 14.66 का ही रहा और 28 रन ही उनका उच्चतम स्कोर रहा. फिर पार्थिव पटेल ने साल 2010 में भारतीय टीम में वापसी की थी. न्यूजीलैंड के खिलाफ चौथे और पांचवें वनडे में. उन्होंने इस पल का जश्न एक के बाद एक दो अर्धशतक लगाकर मनाया. बाद में उन्हें दक्षिण अफ्रीका के भारत दौरे में घायल सचिन तेंदुलकर की जगह लेने के लिए बुलाया गया.

2011 वेस्टइंडीज दौरा

इस दौरे पर विकेटकीपरकप्तान महेंद्र सिंह धोनी समेत कई सीनियर खिलाड़ियों जैसे सचिन तेंदुलकर, जहीर खान आदि को आराम दिया गया था ऐसे में विकेटकीपर के तौर पर पार्थिव पटेल और रिद्धिमान साहा को टीम में शामिल किया गया था. उस दौरे पर खेले गए एकमात्र टी20 मुकाबले में पार्थिव पटेल ने अपना टी20 इंटरनेशनल डेब्यू भी किया था. उस टी20 मुकाबले में पार्थिव ने शिखर धवन के साथ ओपनिंग की थी और 20 गेंदों पर 26 रन बनाए थे. वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज के दूसरे वनडे मैच में पार्थिव पटेल ने नाबाद 56 रनों की पारी खेली थी.

2016 इंग्लैंड का भारत दौरा

2016 में इंग्लैंड की टीम भारत दौरे पर थी तब विकेटकीपर रिद्धिमान साहा चोटिल हो गए थे तब पार्थिव को उनकी जगह टेस्ट टीम में बुलाया गया था. मोहाली में खेले सीरीज के तीसरे टेस्ट मैच में पार्थिव पटेल ने पहली पारी में नाबाद 67 रन और दूसरी पारी में 54 रन बनाए थे, जिसके दम पर भारत ने जीत दर्ज की थी. पार्थिव पटेल इंटरनेशनल क्रिकेट में भले ही एक स्टेपनी की तरह थे लेकिन डोमेस्टिक क्रिकेट में उनका कद काफी बड़ा था.

2016-17 रणजी ट्रॉफी में पार्थिव पटेल ने अपनी टीम गुजरात की अगुवाई की थी और उनकी कप्तानी में गुजरात ने क्वार्टरफाइनल में ओडिशा और सेमीफाइनल में झारखंड को हराकर फाइनल में प्रवेश किया था. फाइनल में उनका सामना डिफेंडिंग चैंपियन मुंबई से इंदौर में हुआ. पार्थिव ने पहली पारी में 90 और दूसरी पारी में 143 रनों की पारी खेली थी. पटेल के शानदार प्रदर्शन के दम पर गुजरात की टीम ने पहली बार ट्रॉफी पर कब्जा किया था. रणजी ट्रॉफी के फाइनल में सफल पीछा करते हुए पटेल का 143 रन सर्वोच्च स्कोर था. इस जीत ने गुजरात को पहली टीम बना दिया और पार्थिव पटेल तीनों प्रमुख घरेलू खिताब जीतने वाले पहले कप्तान बन गए.

जुलाई, 2018 में पार्थिव पटेल को 2018-19 दलीप ट्रॉफी के लिए इंडिया ग्रीन का कप्तान बनाया गया था. इसके बाद उनको अक्टूबर, 2019 में 2019-20 देवधर ट्रॉफी के लिए इंडियाबी का कप्तान बनाया गया था.

पार्थिव पटेल को आईपीएल के पहले एडिशन में चेन्नई सुपरकिंग्स ने खरीदा था. वह टीम के नियमित सदस्य रहे, जहां वो मैथ्यू हेडन के साथ पारी का आगाज करते थे. वो विकेटकीपिंग नहीं करते थे क्योंकि टीम में खुद कप्तान धोनी थे, जो विकेटकीपर की भूमिका में थे. चौथे सीजन में पार्थिव को कोच्ची टस्कर्स केरला ने खरीदा. 2012 आईपीएल सीजन में पार्थिव को डेक्कन चार्जर्स ने खरीदा फिर 2013 में सनराइजर्स हैदराबाद ने और 2014 में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने अपने साथ जोड़ा. पार्थिव पटेल को 2015 में मुंबई इंडियन्स ने खरीदा, जहाँ वो टीम के ओपनर थे.

2018 में एक बार फिर रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने उन्हें अपने साथ जोड़ा.

दिसंबर, 2020 में पार्थिव पटेल ने क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास की घोषणा कर दी थी. लेकिन रिटायरमेंट के बाद भी वो खुद को क्रिकेट से दूर नहीं रख पाए. रिटायरमेंट के बाद वो मुंबई इंडियन्स के टैलेंट स्काउट के साथ जुड़ गए. वर्तमान में पार्थिव पटेल बतौर क्रिकेट एक्सपर्ट काम कर रहे हैं.

पार्थिव पटेल भारत के उन चुनिंदा क्रिकेटरों में से हैं, जो 2005 से ही टी20 क्रिकेट खेल रहे हैं. यह वो दौर था जब विश्व क्रिकेट में टी20 फॉर्मेट आया भी नहीं था. लेकिन पार्थिव पटेल, रोबिन सिंह, और रोहन गावस्कर ने 2005 में ही अपना पहला टी20 मैच खेल लिया था. हालांकि टी20 क्रिकेट खेलने वाले पहले भारतीय क्रिकेटर दिनेश मोंगिया हैं. मोंगिया ने जुलाई, 2004 में ही टी20 क्रिकेट खेल लिया था.

पार्थिव के इंटरनेशनल करियर से जुड़ा एक मजेदार वाकया है दोस्तों. यह 2004 भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे की बात है. सिडनी के मैदान में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच टेस्ट मैच खेला जा रहा था, जिसमें पार्थिव पटेल विकेटकीपिंग कर रहे थे.

इस बीच पार्थिव पटेल की ऑस्ट्रेलिया के स्टीव वॉ को विकेट के पीछे से स्लेज करने की एक कोशिश काफी पॉपुलर हुई थी. स्टीव का ये आखिरी टेस्ट था. सिडनी के मैदान पर ये टेस्ट हो रहा था जिसमें वो स्टीव वॉ को उकसाने की कोशिश करते दिखे थे. स्टीव अपने स्लॉग स्वीप के लिए जाने जाते थे. और इसी को ध्यान में रखकर पीछे से पार्थिव ने अंग्रेजी में कहा था,

अपना स्वीप शॉट खेल लो, फिर कहां मौका मिलेगा.’

कुछ देर तक नजरांदाज करने के बाद जब स्टीव वॉ पलटे तो पार्थिव को कहा,

कुछ तो इज्जत दो. जब मैंने टेस्ट में डेब्यू किया था, तब तुम नेपीज में थे.’

ये सुनकर पार्थिव हंसे और सोच में पड़ गए कि सही में स्टीव वॉ ने 1985 में डेब्यू किया था. और उसी साल वो पैदा हुए थे.

पार्थिव पटेल ने भारत के लिए 25 टेस्ट, 38 वनडे और 2 टी20 मुकाबले खेले. इस दौरान उन्होंने टेस्ट में 934 रन, वनडे में 736 और टी20 में 36 रन बनाए थे. उनके नाम एक भी इंटरनेशनल शतक दर्ज नहीं है. उन्होंने टेस्ट में 6 और वनडे में 4 अर्धशतक लगाए हैं. विकेटों के पीछे से पार्थिव पटेल ने तीनों फॉर्मेट मिलाकर कुल 112 शिकार किए. पार्थिव को ज्यादा मौके नहीं मिलने का कारण एक तो धोनी थे दूसरा उनका बतौर विकेटकीपर खराब प्रदर्शन था. कमजोर विकेटकीपिंग पार्थिव के लिए आलोचना का सबब बनती रही.

पार्थिव पटेल के निजी जीवन की बात करें तो उन्होंने अपने बचपन की दोस्त अवनी जावेरी से 9 मार्च, 2008 को शादी रचाई थी. अवनी पेशे से एक इंटीरियर डिज़ाइनर हैं. दोनों को एक बेटी है जिसका नाम वेनिका है.

आप पार्थिव पटेल के क्रिकेटिंग करियर को किस तरह देखते हैं ? कमेंट करके जरुर बताएं.

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