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आस्था-विश्वास का केंद्र, पटना का महावीर मंदिर

Bihari News

आस्थाविश्वास का सौन्दर्य समेटे है अनंत, महावीर के प्रताप से पाटलिपुत्र में है वसंत

ना बात है ये धर्म की ना जाति की ये बात है, इंसान और इंसानियत के कर्म की ये बात है

कोई राही या मुसाफिर कहीं भी आता जाता है, आपकी एक झलक पाने को अपना निज सौभाग्य बताता है

बिहार में ऐसे कई दर्शनीय, ऐतिहासिक और तीर्थ स्थल मौजूद हैं जो कि आपके बिहार पर्यटन को यादगार बना सकते हैं उन्ही में से एक है पटना का महावीर मंदिर. महावीर मंदिर बिहार की राजधानी में स्थित एक ऐसा धार्मिक और पवित्र स्थल जहाँ पहुंचकर लोग खुद को सौभाग्शाली समझते हैं. यह देश के सर्वोत्तम और प्राचीन हनुमान मन्दिरों में से एक है. यह मंदिर उत्तर भारत का सबसे प्रसिद्द मंदिर है. महावीर मंदिर का निर्माण वर्ष 1730 में रेलवे स्टेशन पटना जंक्शन पर किया गया . जिसे स्वामी बालानंद द्वारा स्थापित किया गया था. उस समय रेलवे स्टेशन पर एक बहुत बड़ा पीपल का पेड़ था जहाँ हनुमान जी की मूर्ति स्थपित की गई. शुरूआती निर्माण के समय अभी तरह सड़के पक्की नहीं थी. बल्कि कच्ची सड़क हुआ करती थी इस कच्ची सड़क पर बैलगाड़ी चला करती थी जिससे मंदिर के निर्माण के लिए एक एक ईट ढोई गई थी. सन्न 1948 तक इस मंदिर पर कई गुटों का कब्जा र्हालेकिन इसके बाद पटना हाई कोर्ट ने इस मंदिर को भक्तों को सुपुर्द कर दिया. साल 1983 में इस मंदिर की विस्तार की राह प्रसस्त हुई. और साल 1985 के दौरान मंदिर को एकबार फिर से नए तरीके से निर्माण किया गया. पटना का यह हनुमान मंदिर सिर्फ बिहार में ही नहीं बल्कि देशभर में मशहूर है.

संकट मोचन की प्रतिमा भक्तों के दिल में एक विशेष स्थान रखती है. रामनवमी के पावन अवसर पर बिहार के अलग अलग स्थानों से इस मन्दिर में लोग आते हैं. यही नहीं प्रतिदिन यहाँ हजारों की संख्या में लोगो की भीड़ उमड़ती है. लाखों भक्तों की आस्था से जुड़ा यह मन्दिर अपने धार्मिक महत्व और मान्यताओं के लिए जाना जाता है. इस मन्दिर के बारे में यह मान्यता है कि, यहां आने वाले हर भक्त की मुराद जरूर पूरी होती है, कोई भी भक्त यहां से खाली हाथ नहीं लौटता है।महावीर मन्दिर में भक्तों के साथ किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं किया जाता है. सुबह वाल्मीकि रामायण का पाठ एक दैनिक दिनचर्या है जिसमें सभी महत्वपूर्ण शास्त्रों से नियमित पाठ शामिल हैं.

इसके अलावा इस मन्दिर के परिसर में भगवान राम, श्री कृष्ण , और दुर्गा माता का भी मन्दिर हैं. इन मन्दिरों में राधाकृष्ण, रामसीता, शिवपार्वती, नंदी, भगवान गणेश समेत तमाम देवीदेवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं. इसके अलावा इस मन्दिर के बगल में पीपल का पेड़ भी है, जिसमें भगवान शनिदेव विराजमान हैं.

मंदिर की एक ख़ास विशेषता इसके प्रसाद में है. जिसे नैवेद्यम के नाम से जाना जाता है. जो पीठासीन देवताओ को अर्पित किया जाता है. जिसे तिरुपति और आंध्र प्रदेश के विशेषज्ञों द्वारा तैयार किया जाता है. पटना के महावीर मंदिर की पहचान के साथ जुड़ चुके नैवेद्यम लड्डू की खुशबू भक्तों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता ही है साथ ही साथ इसकी एक विशिष्ट पहचान पटना के साथ पूरी तरह जुड़ चुकी है. घी, बेसन, केसर और मेवे से बने प्रसाद ‘नैवेद्यम’ का स्वाद जिसने एक बार लिया, उसे वह ताउम्र याद रह जाता है. नैवेद्यम और महावीर मदिर का साथ 26 साल का हो चुका है. पटना महावीर मंदिर के नैवेद्यम ने अपनी बिक्री केरिकॉर्ड भी तोड़ चुके है.

महावीर मन्दिर न सिर्फ लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र है, बल्कि गरीब लोगों के उपकार का माध्यम भी है. इस मंदिर के नाम से और आय से बिहार में पांच बड़े अस्पताल संचालित हो रहे हैं. जहाँ गरीब लोगो की बेहद ही कम शुल्क में इलाज किया जाता है. जिसे एक ट्रस्ट श्री महावीर स्थान न्यास समिति संचालित कर रही है. यह उत्तर भारत की सबसे बड़ी शार्मिक न्यास समिति है. इसके साथ ही यह धार्मिक समिति बिहार के ग्रामीण इलाकों में अनाथालय भी चलाती है. महावीर मन्दिर धर्म के साथ सहयोग परोपकार में अग्रणी है. यह पहला धार्मिक ट्रस्ट है जिसने मातापिता की समर्पित सेवा के लिए श्रवण कुमार अवार्ड की शुरुआत की.जिसमें प्रथम पुरस्कार के रूप में ₹1,00,000 दूसरा ₹50,000 और तीसरा एक ₹25,000 निर्धारित किया गया है. इसके अलावा, 5,000 के 10 पुरस्कार हैं. प्रत्येक पुरस्कार मातापिता की समर्पित सेवा के लिए है.

अगर आपका कभी पटना आना हुआ तो हनुमान मंदिर के दर्शन करने जरुर यहाँ जाएं

जय श्री राम

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