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वह गेंद फेंकते वक्त बल्लेबाज को देखता ही नहीं था, किसी ने कहा कीड़ा तो किसी ने मेढक

Bihari News

किसी ने कहा कीड़ा तो किसी ने मेढक, वह जो बिना देखे कर देता था बल्लेबाज को आउट

वह गेंद फेंकते वक्त बल्लेबाज को देखता ही नहीं था

किसी ने कहा कीड़ा तो किसी ने मेढक

विरोधी टीम ने एक्शन का उड़ाया मजाक तो गेंदबाज ने विकेट लेकर कर दी बोलती बंद

18 साल की उम्र में खेला पहला इंटरनेशनल मैच, डेब्यू सीजन में 43 विकेट चटकाकर बना दिया रिकॉर्ड

अपने अजीबोगरीब बॉलिंग स्टाइल के लिए जो है पूरी दुनिया में है मशहूर

एक बेहद उम्दा कथन है – ‘सवाल होंगे, मजाक होंगे, कोई हस देगा तुम्हारे हौंसलों पे, लेकिन जरुरी ये है कि आखिरी हंसी तुम्हारी हो’, आज की कहानी इसी कथन को चरितार्थ करती है.
अपने (unusual bowling style) असामान्य बॉलिंग स्टाइल और (skill)कौशल के साथ, एक क्रिकेटर ने 1990 के दशक के बीच में एक उभरते हुए क्रिकेट खिलाड़ी के रूप में ख्याति प्राप्त की थी. हालाँकि, उनकी सफलता कड़ी मेहनत से अर्जित की गई थी. हाई स्कूल में, विरोधी अक्सर उनकी गेंदबाजी के तरीके पर हंसते थे, और क्योंकि वह प्रसिद्ध क्रिकेट स्कूलों में नहीं जाते थे, कई ने प्रतिभाशाली खिलाड़ी को गंभीरता से लेने से इनकार कर दिया था. आज हम बात करेंगे एक ऐसे खिलाड़ी की, जो अपनी अजीबोगरीब बॉलिंग स्टाइल के लिए क्रिकेट वर्ल्ड में अपनी अलग पहचान बनाए हुए हैं. दक्षिण अफ्रीका के पॉल एडम्स जिनका पूरा नाम है पॉल रीगन एडम्स, आज के अंक में इन्हीं के बारे में कुछ जानी-अनजानी और अनकही बातों को जानने की कोशिश करेंगे.

20 जनवरी, 1977 को दक्षिण अफ्रीका की राजधानी केपटाउन के ग्रासी पार्क में विलियम और एने एडम्स के घर एक बेटे का जन्म हुआ. उन्होंने उनका नाम पॉल रखा. पॉल एडम्स को बचपन से ही क्रिकेट के प्रति गहरी दिलचस्पी थी. एक यंग लड़के के रूप में वो स्कूल में और एक स्थानीय लोअर डिवीजन क्लब ब्लू बेल्स के लिए खेलते थे. आपको जानकर हैरानी होगी कि एडम्स ने एक बल्लेबाज के रूप में क्रिकेट खेलना शुरू किया था लेकिन स्कूल टीचर ने उन्हें स्पिन बॉलिंग करने का सुझाव दिया. एडम्स की गेंदबाजी को लेकर उनके टीचर कहते हैं, “जब वह पहली बार गेंदबाजी करने गया तो दूसरी टीम उसके गेंदबाजी करने के तरीके पर हंसते थे. लेकिन जब वह उनके विकेट लेने लगा तो उनकी हसी गायब हो गई.” एडम्स ने इसके बाद साउथ अफ्रीका कोल्ट्स, स्कूल की सी साइड टीम ज्वाइन किया लेकिन 1995 में इंग्लैंड दौरे के लिए साउथ अफ्रीका की अंडर-19 टीम में उनको नहीं चुना गया और क्लाइव राईस प्लैसन क्रिकेट एकेडमी के लिए भी उनको ठुकरा दिया गया.

एडी बार्लो

जब पॉल एडम्स को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा था, तभी क्रिकेटर और कोच एडी बार्लो की नजर उनपर पड़ी.
बार्लो एडम्स की क्षमता के कायल हो गए थे. बार्लो ने उन्हें पश्चिमी प्रांत यानी साउथ अफ्रीका वेस्टर्न प्रोविंस क्रिकेट टीम में जगह दिलाने में मदद की और बेहद कम समय में एडम्स ने वेस्टर्न प्रोविंस बी टीम से वेस्टर्न प्रोविंस ए में जगह बना ली. अब पॉल एडम्स की गिनती दक्षिण अफ्रीका के बेहतरीन क्रिकेट खिलाड़ियों में होने लगी थी. एडम्स ने तब सिर्फ 2 पारियों में 9 विकेट ले लिए थे और इसी के दम पर उनको नवंबर,1995 में इंग्लैंड के खिलाफ साउथ अफ्रीका ए टीम में शामिल कर लिया गया था. एडम्स ने इंग्लैंड के 2 टॉप बल्लेबाज हिक और थोर्प को आउट किया था. उसी दौरान ब्रायन मैकमिलन ने एडम्स को निकनेम दिया था ‘गोगा’ जिसका मतलब है कीड़ा.
उस मैच को लेकर एडम्स के कोच बार्लो ने कहा है, उन्होंने कहा, ‘मैंने कलाई का ऐसा स्पिनर नहीं देखा, जिसका लेंथ पर इतना अद्भुत नियंत्रण हो. वो आगे कहते हैं, “एडम्स के माता-पिता मैच देखने के लिए किम्बर्ली गाड़ी से आए थे”

एडम्स ने अपनी असामान्य बॉलिंग स्टाइल से काफी ज्यादा ध्यान आकर्षित किया था, उनके अनयूजुअल बॉलिंग स्टाइल को ‘चाइनामैन’ या ‘फ्रॉग इन द ब्लेंडर’ स्टाइल यानी किसी मेढक की तरह कहा जाता है. सर आसमान की तरफ, जब एडम्स गेंद को रिलीज़ करते थे,. यह एक ऐसा स्टाइल था जिसने कई इंग्लिश बल्लेबाजों को चकरा दिया था. बल्लेबाजों को ऐसा लगता था जैसे पॉल गेंद डालते वक्त उन्हें देखते ही नहीं और ये उन्हें खुश करता था साथ ही हैरान भी. लेकिन क्या सचमुच पॉल एडम्स गेंद को रिलीज़ करते वक्त बल्लेबाज को नहीं देखते थे. इसपर खुद एडम्स कहते हैं, “लोग सोचते हैं मैं गेंदबाजी करते समय बल्लेबाज को नहीं देख पाता लेकिन ऐसा नहीं है. जब मैं अपना सिर गिराता हूं, तब भी मैं उसे अपने मन की आंखों से देख सकता हूं. यह अभ्यास से आता है. यह सिर्फ भाग्य नहीं है.”

सफलता के बावजूद, एडम्स को बार-बार विवादों का भी सामना करना पड़ा था. आलोचकों ने अक्सर एडम्स की युवावस्था और अनुभव की कमी का उल्लेख किया जब वह 18 साल की उम्र में (सबसे कम उम्र के खिलाड़ी चुने गए) राष्ट्रीय टीम में शामिल हुए थे. ट्रेवोर चेस्टरफील्ड क्रिकइन्फो में लिखते हैं, “साउथ अफ्रीका का टेस्ट कैप पाने वाले सबसे युवा खिलाड़ी के बॉलिंग एक्शन पर खूब कमेंट किए गए. कुछ को हैंडल करना आसान नहीं था.”
साल 1999 में एडम्स ने पैट सिमकोक्स को अफ्रीकी टीम में रिप्लेस किया था. कईयों ने उस वक्त इस फैसले की आलोचना की और इस फैसले को राजनीति से प्रेरित बताया. जोफ्री डीन ‘केपटाउन’ में लिखते हैं , ‘ये एक बलिदान है, यह एक राजनीति से प्रेरित फैसला है क्योंकि एडम्स इस सीजन बढ़िया गेंदबाजी नहीं कर रहे थे.’ 2001 में एडम्स को दोस्तों के साथ होटल रूम में गांजा फूंकने के लिए फाइन किया गया था. बाद में एडम्स ने उस घटना के लिए माफ़ी मांगी थी, और कहा था दोबारा ऐसा नहीं होगा. हालांकि विवादों ने एडम के करियर को उतना नुकसान नहीं पहुंचाया.

अपने पहले सीजन 1995/96 में जिस खिलाड़ी को नौसिखिया और अनुभवहीन समझा गया, उसने 8 मैचों में 43 विकेट चटकाए थे. यह डेब्यू सीजन में किसी अफ्रीकी खिलाड़ी द्वारा दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था. साल 2000 तक एडम्स साउथ अफ्रीका क्रिकेट के सेंट्रल प्लेयर बन गए थे. साउथ अफ्रीका के कप्तान हैन्सी क्रोनिया कहते हैं, “वह अब और अभी आत्मविश्वासी गेंदबाज बन गए हैं. उसने अपना कंट्रोल वापस पा लिया है और हमेशा सीखता रहता है. वह काफी मेहनत करके आया है और अब हमारी टीम की गेंदबाजी आक्रमण का महत्वपूर्ण हिस्सा है.” लेकिन घुटनों की इंजरी ने कुछ समय के लिए एडम्स को क्रिकेट से दूर कर दिया, वो इस दौरान भारत दौरे को मिस कर गए लेकिन बाद में उन्होंने मैदान पर वापसी की और इस बार और भी मजबूती से. चेस्टरफील्ड ने तब लिखा था, “इस गर्मी में…हमने देखा है कि एडम्स गेंदबाज से अधिक आत्मविश्वास से भरे हुए हैं.”

साल 2002 में एडम्स 100 विकेट लेने वाले दक्षिण अफ्रीका के 7वें खिलाड़ी बने थे. इसी साल एडम्स को स्टीव एलवर्थी, एंड्रू हॉल, ग्रीम स्मिथ और मार्टिन वैन जार्सवेल्ड के साथ 2001/2002 सीजन के लिए बेस्ट खिलाड़ी चुना गया था. यूनाइटेड क्रिकेट बोर्ड ऑफ साउथ अफ्रीका ने अपने मीडिया रिलीज़ में कहा था, “पांचों को उनके उत्साही और प्रभावशाली प्रदर्शन के लिए चुना गया था. साल के दौरान दक्षिण अफ्रीकी टीम को भारी हार का सामना करना पड़ा … एडम्स, हॉल और स्मिथ को विशेष रूप से इसलिए चुना गया क्योंकि उन्होंने घरेलू श्रृंखला के मध्य में राष्ट्रीय टीम में आने के बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ एक उलटफेर किया.”

बतौर खिलाड़ी 2003 में एडम्स का प्रदर्शन और भी निखरा. अक्टूबर, 2003 में उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ पहले टेस्ट मैच में 7 विकेट लेकर अफ्रीकी टीम को जीत दिला दी. उस टेस्ट के बाद एडम्स बर्मिंघम पोस्ट को कहते हैं, ‘कई लोगों ने मेरे इंटरनेशनल करियर के अंत की बात लिखी. उन्होंने टीम में मेरे चयन पर भी सवाल खड़े किए इसलिए आज के प्रदर्शन पर मुझे ख़ुशी है. मैं सिर्फ बेसिक्स पर ध्यान देता हूं.’

26 दिसंबर, 1995 को इंग्लैंड के खिलाफ अपना पहला इंटरनेशनल टेस्ट खेलने वाले पॉल एडम्स ने 10 मार्च 2004 को न्यूजीलैंड के खिलाफ अपना अंतिम टेस्ट खेला था. वहीं 10 जुलाई, 2003 को एडम्स ने जिम्बाब्वे के विरुद्ध अपना आखिरी वनडे खेला था. हालांकि 2006 में भारत के विरुद्ध उनको दक्षिण अफ्रीका की टेस्ट टीम में चुना गया था लेकिन पहले टेस्ट से पहले उनको स्क्वाड से ड्रॉप कर दिया गया.
पॉल एडम्स ने इसके बाद 2 साल और इंतजार किया लेकिन अब उनको लग गया कि अफ्रीकी रंगों में उनकी वापसी संभव नहीं है इसलिए अपने डेब्यू टेस्ट के 4 साल बाद और वनडे अंतराष्ट्रीय डेब्यू के 5 साल बाद उन्होंने प्रोफेशनल क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी. संन्यास के बाद उन्होंने केप कोब्राज क्रिकेट टीम की कोचिंग भी की.

पॉल एडम्स ने दक्षिण अफ्रीका के लिए 45 टेस्ट मैचों में खेलते हुए 134 विकेट चटकाए, इस दौरान उन्होंने 4 बार फाइव विकेट हॉल और एक बार 10-विकेट हॉल हासिल किया. 24 वनडे अंतराष्ट्रीय मैचों में एडम्स ने 29 विकेट झटके. पॉल एडम्स के नाम 141 फर्स्ट क्लास मैचों में 412 विकेट दर्ज हैं, इस दौरान उनके बल्ले से 1752 रन भी निकले. एडम्स ने 76 लिस्ट ए मैचों में 84 विकेट लिए हैं. पॉल एडम्स को उनकी असाधारण गेंदबाजी स्टाइल के लिए क्रिकेट वर्ल्ड हमेशा के लिए याद करेगा.

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