सीएम नीतीश कुमार अपने फैसले को लेकर हमेशा चर्चा के केंद्र में रहे हैं. चाहे वह मामला हो मंत्रियों को हटाने का या फिर गठबंधन तोड़ने का उन्होंने पिना पलक छपके वह काम कर दिया है. लेकिन अब कहा जा रहा है कि क्या नीतीश कुमार की यही शैली उनके लिए मजबूरी बनती जा रही है क्या ? क्योंकि पिछले दिनों जिस तरह के राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिले हैं उससे तो यही प्रतित हो रहा है कि नीतीश कुमार कुछ मामलों में मजबूर बनते दिख रहे हैं. विपक्ष भी लगातार नीतीश कुमार पर यह आरोप लगा रही है कि अब नीतीश कुमार कमजोर हो गए हैं. जरा याद करिए उस दिन को जब बिहार में बीजेपी और जदयू की सरकार हुआ करती थी तब नीतीश सरकार के दो मंत्री पर दाग लगा था एक थे मेवालाल चौधरी और दूसरी थी मंजू वर्मा नीतीश कुमार ने इन दोनों को पार्टी से बाहर करने में तनीक भी परहेज नहीं किया. इतना ही नहीं ये दोनों ही नेता नीतीश कुमार के पार्टी से आते हैं. लेकिन पिछले कुछ दिनों से नीतीश कुमार का जो रवैया रहा है उससे अब लगने लगा है कि वे कमजोर होते जा रहे हैं.
नीतीश कुमार जब से महागठबंधन के साथ मिलकर सरकार बनाएं हैं उसके बाद से एक के बाद एक कारनामा सामने आ रहा है. पिछले पांच महीने की ही बात कर लें तो सुधाकर सिंह और कार्तिकेय सिंह के ऊपर कई तरह के आरोप लगे और उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया लेकिन अब पूरा मसला फंस गया बिहार के शिक्षा मंत्री को लेकर बता दें कि शिक्षा मंत्री इन दिनों रामचरित मानस को लेकर विवादों में हैं और नीतीश सरकार के अगर हम पूराने ढर्रे को देखें तो ऐसे में शिक्षा मंत्री को मंत्रिपद से हटा देना चाहिए था लेकिन नीतीश कुमार ने ऐसा नहीं किया और इस पूरे मसले को राजद के पास छोड़ दिया कि आप देख लिजिए इनका क्या करना है. हालांकि इससे पहले नीतीश कुमार के साथ ऐसा कभी नहीं हुआ है. ऐसे में नीतीश कुमार के ऊपर कई तरह की बातें कही जा रही है.
आपको याद होगा जब महागठबंधन के साथ मिलकर नीतीश कुमार की सरकार बनी थी उसी समय कई खबरें सामने आई थी जिसमें यह बताया गया था कि तेजस्वी यादव के साथ उनके सलाहकार संजय यादव सरकारी कार्यक्रम में बैठे हुए थे तो वहीं तेजप्रताप के साथ उनके बहनोई यानी की मीसा भारती के पति सरकारी बैठक में उनके साथ बैठे हुए थे इतना ही नहीं नीतीश कुमार की पार्टी के नेता और मंत्री लेसी सिंह के खिलाफ उनके ही पार्टी के विधायक बीमा भारती ने आरोप लगाया था कि इनका संबंध अपराधियों के साथ है.
आपको बता दें कि बिहार के शिक्षा मंत्री रामचरित मानस के बयान से पहले भी विवाद में आ चुके हैं. लेकिन उसके बाद भी वे मंत्रिपद पर काबिज हैं. कहा तो यह भी जा रहा है कि चंद्रशेखर तेजस्वी के करीबी बताए जा रहे हैं. कहा तो यह भी जा रहा है कि सुधारक सिंह और कार्तिकेय सिंह के खिलाफ कार्रवाई होने के बाद चंद्रशेखर पर सरकार कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है. आपको बता दें कि चंद्रशेखर को 20 फरवरी 2022 को दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया था उस दौरान उनके पास गन और कारतूस भी था. हालांकि उन्हें उस दौरान जाने दिया गया था.
अब जरा नीतीश कुमार के आज के चेहरे को देखिए और उस समय के चेहरे को याद करिए जब उन्होंने अपनी ही पार्टी के मेवालाल चौधरी और मंजू वर्मा को मंत्री पद से हटाया था. इतना ही नहीं साल 2015 में तो नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद ही उन्हें मंत्रीपद से इस्तीफा देने को कह दिया था और जब उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया तो उस सरकार से बाहर हो गए और बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना लिए थे. ऐसे में अब कहा जा रहा है कि इतने मजबूत नीतीश कुमार इतने मजबूर क्यों हो गए हैं. वे अब फैसला लेने से पहले इतना सोचते क्यों हैं ? वे अब अपना फैसला राजद के पास क्यों छोड़ रहे हैं.
आपको याद होगा जब नीतीश कुमार ने बीजेपी का साथ छोड़ा था तो उन्होंने कहा था कि वे बीजेपी से आजाद हो गए हैं. वहां बीजेपी के मंत्री और विधायक नीतीश कुमार की बात नहीं मान रहे थे. लेकिन महागठबंधन में भी कमोबेस वही स्थिति है यहां भी तो नीतीश कुमार के ऊपर कई तरह के बयान सामने आ रहे हैं. हालांकि नीतीश कुमार जिस तेवर के लिए जाने जाते थे वर्तमान में उनके रवैये में अंतर दिख रहा है. हालांकि इनके लिए यह कहा जाता है कि वे कब क्या करेंगे वे सिर्फ नीतीश कुमार जानते हैं.