बिहार में परिवारों की संख्या जातीय गणना के शुरूआती आंकड़ों के अनुसार लगभग साढ़े तीन करोड़ होने का अनुमान है. बता दें की लगभग एक करोड़ और 89 लाख साल 2011 में परिवारों की संख्या थी. यदि इन 12 वर्षों के आंकड़े को देखे तो इस वर्ष यानि 2023 में यह वृद्धि 1.61 करोड़ तक हो सकती है. यदि बिहार के राजधानी पटना को देखें तो पहले यह जनसंख्या 58 लाख थी अब यह बढ़ के 73 लाख हो चूकी है. यानी 2011 से 2023 के बीच में लगभग 15 लाख या उससे भी अधिक की वृद्धि हुई है. बताते चलें की जातीय गणना के पहले चरण की शुरूआती रिपोर्ट के अनुसार ये आंकड़े बताए गये हैं. लेकिन जातीय गणना के पहले चरण की ये शुरूआती रिपोर्ट है इसलिए यह आंकड़े फाइनल नहीं हैं. फाइनल आंकड़ों को बाद में जारी किया जाएगा.
जातीय आधारित गणना का पहला चरण 21 जनवरी को पूरा हो गया था. लेकिन पटना समेत कई जिलों से किसी कारणवश पूरे रिपोर्ट नहीं आ सके थे. इसलिए उन अधूरे रिपोर्ट्स को 25 जनवरी तक जमा करवाने के निर्देश दिए गये थे. जिस वजह से अंतिम रिपोर्ट्स आने का सिलसिला 25 जनवरी को देर रात तक भी जारी रहा. इन्हीं पहले चरण के शुरूआती रिपोर्ट से प्राप्त आंकड़ों का पता चला की साढ़े तीन करोड़ परिवारों की संख्या राज्य में होने का अनुमान है. लेकिन अब फाइनल आंकड़े तो तभी आयेंगे जब इससे सम्बंधित सामेकित रिपोर्ट तैयार हो जाएंगे. जिस प्रकार 2011 और 2023 के बीच आंकड़ों को देख कर इन 12 सालों में 61 लाख की वृद्धि होने का अनुमान लगाया गया है ठीक वैसे हीं यह भी अनुमान लगाया जा रहा है की राज्य में एक से सवा करोड़ घर या बसावट होने का आंकलन किया जा रहा. यदि पटना की बात करें तो यहाँ प्रति परिवार सदस्यों की संख्या में 1.2 की बढ़ोतरी हुई है. क्योंकि 2011 के जनगणना के अनुसार प्रति परिवार में सदस्यों की संख्या 4.1 थी व 2022 में यह संख्या 5.3 पर आ गयी है.
चलिए अब अपने चर्चा के बीच हम बात करेंगे जातीय गणना की रिपोर्ट्स में आये पटना की जनसंख्या के बारे में. जैसा की हमने पहले भी बताया की यहाँ के जनसंख्या में पहले के मुकाबले यानी 2011 से लेकर 2023 इन 11 से 12 सालों के बीच 15 लाख या उससे भी अधिक की वृद्धि हुई है. यदि पटना में 2011 के कुल जनसंख्या आंकड़े को देखे तो यहाँ की आबादी 58 लाख 38 हजार और 465 तक थी लेकिन अब वर्ष 2022 में यह आंकड़ा 73 लाख 52 हजार और 729 तक आ गया है. इस हिसाब से यह वृद्धि दर 23.73 प्रतिशत से बढ़ कर 25.93 प्रतिशत तक आ गयी है. वहीँ यदि पटना जिले में मकानों की संख्या देखे तो वर्ष 2011 में यहाँ कुल मकानों की संख्या 9 लाख 75 हजार और 578 थी जो अब 11 लाख 65 हजार और 748 तक आ गयी है. महिला और पुरुषों के जनसंख्या की गणना पहले चरण में एक साथ हीं हुई है. लेकिन इनकी अलग–अलग गणना दूसरे चरण में 1 अप्रैल से 30 अप्रैल के बीच होगी.
पहले जारी परिवारों की संख्या में कई जिलों से संशोधित रिपोर्ट आने के बाद उनके स्तर में थोड़ी कमी आई है. जिसके वजह से थोड़े परेशानी का सामना अंतिम रिपोर्ट को तैयार करने में किया जा रहा है. जातीय आधारित गणना को लेकर विशेष तौर से तैयार की गयी वेबसाइट पर रिपोर्ट तैयार होने के बाद सार्वजनिक किया जाना है. अनुमान है की यह रिपोर्ट एक दो दिन में तैयार कर लिया जाएगा. राज्य में जिलावार परिवारों की संख्या कितनी है यह रिपोर्ट आने के बाद हीं पता चल पाएगा. ऐसे में किस जिले में कितने परिवारों की संख्या कितनी बढ़ी है इस बात का भी पता चल पाएगा. साथ हीं साथ इस बात का भी पता चल जाएगा की राज्य में कच्चे मकान, पक्के मकान और झोपड़ियों की संख्या का भी पता चल जाएगा. साथ हीं साथ बेघर परिवारों की संख्या कितनी है इस बात की भी जानकारी मिल जाएगी.
जैसे की हमने पहले भी बताया की अप्रैल महीने से होने वाले गणना के दूसरे चरण की शुरुआत होगी. दूसरे चरण के होने वाले जातीय गणना में जाती के साथ–साथ सम्बंधित फॉर्म पर सामजिक–आर्थिक गणना के लिए तैयार किये गये सम्बंधित प्रश्न भी प्रकाशित किये जाएंगे. दूसरे चरण की गणना को आसानी से कराया जा सके इसके लिए इसे प्रकाशित करने के साथ–साथ अन्य तैयारी भी शुरू कर दी जाएगी.ऐसा करने से दूसरे चरण की गणना को आसानी से करवाया जा सकेगा. साथ हीं साथ ऑनलाइन माध्यम से भी इस चरण में आंकड़े एकत्रित किए जाएंगे.