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चार्जिंग स्टेशन ही नहीं है तो कैसे चलेंगे ई-वाहन? इसमें सरकार दे रही है सब्सिडी

Bihari News

इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर राज्य और केंद्र सरकार द्वारा लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए सब्सिडी दी जा रही ताकि वें इलेक्ट्रिक गाड़ियों को खरीद सकें. बता दें की इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए कई तरह की सुविधाएं स्मार्ट सिटी परियोजना के अंतर्गत उपलब्ध करवाए जाने की बात हो रही है. स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत स्मार्ट पार्किंग में अलग से इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए भी पार्किंग उपलब्ध करवाए जाएंगे. जिसमे चार्जिंग स्टेशनो की उपलब्धि इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने के लिए होगी. बिहार की राजधानी पटना में भी तीन चार्जिंग स्टेशन अब तक उपलब्ध हैं. लेकिन यहाँ लगभग 7,988 इलेक्ट्रिक वाहनो की संख्या हैं. दरअसल इलेक्ट्रिक वाहन का यह डाटा वर्ष 2022 में पटना डीटीओ में रजिस्टर्ड हुए आंकड़े से मिला है. पिछले 6 सालों में इलेक्ट्रिक वाहन की खरीद में काफी बढ़ोतरी हुई है. इस बात की जानकारी पटना डीटीओ से मिली. 7,988 इलेक्ट्रिक वाहनों के इस संख्या में लगभग 4267 रिक्शा तथा 3235 स्कूटरों की संख्या है. इन सब के अलावे 329 रिक्शा विथ कार्ट की संख्या है जो लोगों के बीच काफी ट्रेंड में है. इसलिए पिछले साल के मुकाबले इसकी संख्या चार गुना बढ़ गयी है. वहीँ राजधानी पटना में लगभग 954 इलेक्ट्रिक वाहन साल 2017 में रजिस्टर्ड किये गये थे. लेकिन बीते छह सालों में इसकी संख्या 7,988 तक आ गयी है. जिसमे से 124 की संख्या में इलेक्ट्रिक मोटर कार साल 2022 में रजिस्टर्ड हुए हैं.

गौरतलब है की सरकार द्वारा ग्रीन फ्यूल को बढ़ावा देने के लिए कई स्तरों पर काम चल रहें हैं. ग्रीन बजट बना कर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम कर रहे बिहार भी उन गिनेचुने राज्यों में से एक है. लेकिन फिर भी यहाँ इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने के लिए चार्जिंग स्टेशनो की संख्या काफी कम है. सरकार के तरफ से टेंडर के द्वारा दो स्टेशनो को पटना में उपलब्ध करवाया गया था ताकि इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज किया जा सके. इन दो चार्जिंग स्टेशनो में से एक चार्जिंग स्टेशन पटना जंक्शन पर मौजूद है और दूसरा पाटलिपुत्र स्टेशन पर मौजूद है. जिनके पास अपने इलेक्ट्रिक वाहन को चार्ज करने की सुविधा उपलब्ध है उन्हें राजधानी पटना में चार्ज नहीं लगता. लेकिन उन लोगों को प्रतिदिन 100 रुपए देने पड़ जाते हैं जिनके पास इलेक्ट्रिक वाहन चार्ज करने की सुविधा उपलब्ध नहीं है. चार्जिंग स्टेशनो के बारे में ईरिक्शा चालकों से पूछा गया तो उन्होंने कहा की इसके बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है. जिस वजह से वो अपने ईरिक्शा वाहन को गली मोहल्ले में चार्ज करवाते हैं. इस चार्जिंग के लिए उन्हें हर रोज 100 रूपए भी देने पड़ते हैं.वहीँ ग्रीन फ्यूल को लेकर बिहार में सरकार द्वारा काफी काम किया जा रहा है. स्वच्छ ईंधन योजना को पहले भी लागू किया जा चूका है लेकिन इसके बावजूद भी यहाँ चार्जिंग स्टेशंस की कमी देखने को मिल रही है. ये भी एक वजह है जिसके कारण लोग इलेक्ट्रिक वाहन को खरीदने के बजाए पेट्रोल और डीजल की गाड़ियाँ खरीदना ज्यादा पसंद कर रहें.

चलिए अब अपने इस चर्चे के बीच हम जानते हैं इलेक्ट्रिक वाहनों के बारे में. इलेक्ट्रिक वाहनों का मेंटेनेंस खर्च ईंधन से चलने वाली गाड़ियों की तुलना में कम होता है. इसमें इंजन वर्क जैसे खर्चे नहीं लगते क्योंकि इसमें इंजन की जगह मोटर का प्रयोग किया जाता है. ऐसे में इंजन से चलने वाली गाड़ियों के मुकाबले इलेक्ट्रिक वाहन में सर्विसिंग करवाने पर कम पैसे खर्च होंगे. मीडिया में चल रही ख़बरों के अनुसार जहाँ पेट्रोल और डीजल वाले वाहनों से किसी दुरी को तय करने में 600 से 700 रूपए खर्च होंगे वहीँ इलेक्ट्रिक वाहन से उतनी ही दुरी को तय करने में 100 रुपये खर्च होंगे.

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