सीवान के जीरादेई प्रखंड के जामापुर पंचायत की रहने वाली प्रज्ञा कुमारी का चयन इंस्पायर अवार्ड दिल्ली के लिए हुआ है. ऐसा कहना बिलकुल गलत है की आविष्कार सिर्फ बड़े शेहरो में रहने वाले ज्यादा पढ़ेलिखे लोग ही कर सकते है . इस बात को प्रज्ञा ने आज पूरे देश में साबित कर दिखया है की चाह लेने से सब कुछ संभव है. प्रज्ञा ने मामूली संसाधनों से एक ऐसा अविष्कार कर दिखाया है जिस्से सभी हैरान है. प्रज्ञा कुमारी के द्वारा सिर्फ14 वर्ष की उम्र में ही कैप ओपनर का अविष्कार किया गया. जिसके कुछ समय बाद उनका चयन इंस्पायर अवार्ड दिल्ली के लिए हुआ. प्रज्ञा आज दिल्ली में आयोजित इंस्पायर अवार्ड समारोह में भाग लेने के लिए रवाना हो चुकी है . प्रज्ञा की इस उपलब्धि पर उनके परिजन बेहद खुश है . आपको बता दे की प्रज्ञा को इंस्पायर अवार्ड दिल्ली के द्वारा एक लाख का इनाम दिया जाएगा. इंस्पायर अवार्ड भारत सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों में से एक है. इसे इनोवेशन इन साइंस परस्यूट फॉर इंस्पायर्ड रिसर्चकहा जाता है. यह योजना विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी),भारत सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों में से एक है. DST द्वारा नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन – इंडिया (NIF), DST की एक स्वायत्त संस्था के साथ निष्पादित किया जा रहा है. जिसका उद्देश्य 10-15 वर्ष के आयु वर्ग के छात्रों को प्रेरित करना और अध्ययन करना है.कक्षा 6 से 10 में योजना का उद्देश्य स्कूली बच्चों में रचनात्मकता और नवीन सोच की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए विज्ञान और सामाजिक अनुप्रयोगों में निहित 10 लाख मूल विचारों,नवाचारों को लक्षित करना है.

महज 14 साल कि उम्र में आविष्कार कर किया सबको हैरान

इस अविष्कार के बारे में पूछे जाने पर प्रज्ञा बताती है की वो एक दिन दवा के बोतल की ढक्कन को खोल रही थी इस बिच बोतल का ढक्कन तेजी से घूम गया और उनका हाथ भी मुर गया जिससे कलाई में मोच आ गई. इस घटना के बाद ही उन्हें यह आईडिया आया की क्यों ना मैं ढक्कन खोलने का कोई औजार बनाऊ. जिससे ढक्कन भी टेढ़ा ना हो, बॉटल भी खुल जाए और हाथ में भी झटका ना लगे. इसके बाद वह बोतल के ढक्कन को खोलने के लिए संसाधनों का जुगाड़ करने लगी. कड़ी मशक्कत व मेहनत के बाद एक महीने में कैप ओपनर बनकर तैयार हुआ. उसमें अलगअलग ढक्कन के आकार के ढाचा वाला कैप ओपनर बनाया है.

मध्यवर्गीय परिवार से है प्रज्ञा

14 वर्षीय प्रज्ञा कुमारी के पिता राजीव कुमार सिंह एक सरकारी शिक्षक हैं, जो राजकीय मध्य विद्यालय जमापुर उर्दू में कार्यरत है. वहीं माता गृहणी है. प्रज्ञा की शिक्षा जामापुर सरकारी विद्यालय से ही हुई है. वह अपने पिता के विद्यालय में ही पहली कक्षा से पढ़ते आ रही है. वर्तमान में 8वीं कक्षा की छात्रा है. वह मध्यवर्गीय परिवार से है.

बोतल खोलन के दौरान हाथो को न पहुचे कोई नुकसान इसलिए बनया कैप ओपनर

प्रज्ञा आगे बताती है कैप ओपनर बनाने का उनका सिर्फ यही मकसद था की लोग अक्सर बोतल के ढक्कन को हाथ से या चाकू से रेतकर खोलते हैं. जिससे हाथ कटने का या बोतल का ढक्कन का खराब होने का डर बना रहता है. कभीकभी हाथ में झटका भी लग जाता है. हाथ में किसी प्रकार की दिक्कत ना आए और बोतल का ढक्कन भी खराब ना हो, इसलिए मैंने कैप ओपनर को बनाया है. इस कैप ओपनर में अलगअलग ढक्कन के आकार का ढांचा है जिससे ढक्कन का लॉक टूट जाता हैं तथा ढक्कन आसानी से खुल जाता है.

साइंटिस्ट बनने की इच्छा

प्रज्ञा के शिक्षक प्रेम किशोर पांडेय ने बताया कि प्रज्ञा बहुत मेघावी छात्रा है.और उन्हें पढने का बहुत शौख है. आगे चल कर वह साइंटिस्ट बनना चाहती है. उन्होंने यह भी कहा की अगर प्रज्ञा को सरकार से प्रोत्साहन और मदद मिलेगी तो वो आगे साइंटिस्ट बन कर पूरे सिवान और बिहार का नाम देश भर में रौशन करेगी .

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