वो खिलाड़ी जिसे उम्मीद से कम पहचान मिली….
भारत के खिलाफ लगातार 3 मैचों मे 3 शतक जड़ने वाला साउथ अफ्रीका का इकलौता खिलाड़ी
वनडे क्रिकेट में विकेट के पीछे धोनी के बाद सबसे ज्यादा शिकार करने वाला दूसरा विकेट कीपर
बांग्लादेश के खिलाफ अमला के साथ मिलकर 282 रनों की रिकॉर्ड साझेदारी की
जब अपने ही बोर्ड के आदेश को मानने से किया इंकार, तो कई मैचों में लगा प्रतिबंध
दोस्तों, क्रिकेट की दुनिया में कौन सा खिलाड़ी किस संघर्ष के साथ नेशनल टीम में पहुंचा है, दुनिया को यह बात जानने की जिज्ञासा कम ही रहती है। लेकिन हाथ में बल्ला पकड़कर या गेंद पकड़कर खुद को अपने खेल से टीम को कितनी ऊंचाइयों तक ले जाता है दुनिया इस बात को जानने के लिए उत्सुक रहती है। कई ऐसे खिलाड़ी होते है जिनकी जिंदगी में संघर्ष उनका पीछा कभी नही छोड़ता तो इसी क्रिकेट की दुनिया में कई ऐसे उदाहरण है जिन्होंने संघर्ष के बाऊजूद अपनी किस्मत को बदलकर रख दिया लेकिन जीवन में जैसी सफलता की उम्मीद लगाए वो बैठा है उसे उसकी काबिलियत से कम सफलता मिलती है। साउथ अफ्रीका का एक ऐसा ही खिलाड़ी है जिसने संघर्ष के बाद मेहनत इतनी की उसे नजरंदाज किया गया….
हम बात कर रहे हैं साउथ अफ्रीका के एक ऐसे विकेटकीपर-बल्लेबाज की, जिसके आते ही अफ्रीकी टीम में नई जान आ गई। क्रीज पर एक बार सेट होने बाद उसका बल्ला रुकता नहीं है। उसे आउट करने के लिए विरोधी कप्तान को नए नए तरीके इजाद करने पड़ते हैं। टीम में जान फूंकने वाला, टीम को मुश्किल परिस्थितियों से निकालने वाला ये खिलाड़ी कोई और नही क्विंटन डिकॉक है। आज हम डी कॉक के जीवन के अनसुलझे पहेलुओ की चर्चा करने वाले हैं।
क्विंटन डि कॉक का जन्म 17 दिसंबर 1992 को साउथ अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में हुआ था। इनके पिता का नाम अर्नेस्ट डी कॉक और मां का नाम इमेस्ट डी कॉक है। बचपन से ही क्रिकेट का शौक रखने वाले डी कॉक के पास क्रिकेट खेलने के लिए बैट और बॉल नही था। पिता की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नही थी की उसे क्रिकेट किट खरीदकर दी जा सके। डी कॉक जब 7 साल के थे तो वे एक दिन मां के पर्स से पैसे चुरा रहे थे तभी उनकी मां ने ऐसा करते हुए पकड़ लिया। डी कॉक को चोरी के लिए डांट तो पड़ी साथ ही उन्होंने मां से क्रिकेट बैट और गेंद खरीदने की जिद्द की। इसके बाद मां ने डी कॉक को क्रिकेट किट लाकर दी। यह बात उनके पिता को मालूम नही थी। पिता जब काम से घर लौटे तो डी कॉक दोस्तों के साथ पास में ही क्रिकेट खेल रहे थे। पिता के पूछने पर डी कॉक ने बताया कि मां ने उन्हें किट दिलाई है। क्रिकेट में डी कॉक की जिद और हुनूर को देखते हुए पिता से रहा नही गया उन्होंने डी कॉक को खाली वक्त में प्रैक्टिस कराना शुरू कर दिया। डी कॉक ने अपनी स्कूली शिक्षा किंग एडवर्ड स्कूल जोहानिसबर्ग से पूरी की। डी कॉक को स्कूल की तरफ से क्रिकेट खेलने का मौका मिला। डी कॉक की अच्छी टेक्निक और टाइमिंग को देखते हुए। उन्हे क्लब क्रिकेट टीम में रख लिया गया। क्लब क्रिकेट में डी कॉक ने कई बेहतरीन पारियां। इस बीच डी कॉक ने रनों का अंबार लगा दिया था।
साल 2009 में डी कॉक ने हाईवेल्ड लायंस की तरफ से फर्स्ट क्लास क्रिकेट मैच खेला। जहां उन्होंने महज पांच रन बनाए। फिर यहां कुछ मैचों में उनका बल्ला खामोश रहा। लेकिन फिर डी कॉक ने कई शानदार पारियां खेली। करीब दो सालो तक घरेलू क्रिकेट में अच्छा खेल दिखाने के बाद 21 दिसंबर साल 2012 में यूजीलैंड के खिलाफ़ टी 20 सीरीज के लिए डी कॉक को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू करने का मौका मिला। लेकिन डी कॉक कुछ खास कमाल नहीं कर पाए। चयनकर्ताओं ने उन पर भरोसा बनाए रखा। और इसी साल उन्हे अंडर 19 टी20 विश्व कप में उन्हे फिर शामिल किया गया। जहां उन्होंने बांग्लादेश के पहले ही मैच में 131 गेंदों पर ताबड़तोड़ 95 रन बनाए। डी कॉक ने बता दिया कि उनकी क्षमता क्या है इसके अगले ही मैच में नामीबिया के खिलाफ 126 रनों की पारी खेल डी कॉक ने तहलका मचा दिया।
डी कॉक को न्यूजीलैंड के खिलाफ ही 19 जनवरी 2013 को पर्ल के मैदान में वनडे क्रिकेट में भी डेब्यू करने का शानदार मौका मिला। तब डी कॉक अफ्रीका के 105 वें नंबर के ओडीआई खिलाड़ी बने थे। जहां पहले ही मैच में वो 18 रन बनाकर सस्ते में पवेलियन लौट गए। मैच के बाद डी के चेहरे पर निराशा साफ झलक रही थी। साल 2014 डी कॉक के लिए सुनहरा साल साबित हुआ। भारत दौरे पर आई अफ्रीकी टीम को पांच वनडे मैचों की सीरीज खेलनी थी। यह सीरीज सही मायनो में डी कॉक की ही थी। डी कॉक ने लगातार 3 वनडे मैचों में शतक जड़ दिया। और जबरदस्त वापसी के संकेत दिए। उस समय जब डिविलियर्स की जगह डी कॉक को शामिल किया गया था तो उनके चयन को लेकर कई सवाल खड़े हुए थे। लेकिन डी कॉक ने अपने खेल से सबका मुंह बंद करा दिया। रंगीन जर्सी में धमाल मचाने वाले डी कॉक को टेस्ट क्रिकेट का इंतजार था। 20 फरवरी 2014 को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ डी कॉक को टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण करने का मौका मिला। लेकिन वो महज 7 रन बनाकर चलते बने। वहीं दूसरी पारी में 34 रन बनाए। डी कॉक उस समय सुर्खियों में तब आए जब उन्होंने साल 2017 में बांग्लादेश के खिलाफ ओपनर हाशिम अमला में साथ मिलकर वनडे क्रिकेट में 282 रनों की रिकॉर्ड ओपनिंग साझेदारी की। इसके बाद उन्हें साल 2019 के विश्व कप टीम में शामिल किया गया लेकिन पूरे टूर्नामेंट में डी कॉक अच्छी शुरुआत नही दिला पाए। बल्ले की खामोशी ने डी कॉक को आरोपों की कड़ी में लपेट लिया।
साल 2021 के टी 20 विश्व कप में डी कॉक पर गंभीर आरोप लगा। दरअसल हुआ कुछ यूं साउथ अफ्रीका क्रिकेट बोर्ड ने अपने खिलाड़ियों ब्लैक लाइब्स मैटर आंदोलन के समर्थन में टी 20 विश्व कप मैच शुरू होने से पहले घुटने टेकने का आदेश दिया। यह रंगभेद के खिलाफ आंदोलन था। लेकिन डी कॉक ऐसा नहीं करना चाहते थे इसलिए उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ होने वाले मैच से पहले व्यक्तिगत कारण बताते हुए मैच ना खेलने का फैसला किया। जिसके बाद उनकी खूब आलोचना भी हुई। बोर्ड ने डी कॉक पर कई मैचों का प्रतिबंध भी लगाया। इसके कुछ दिन बाद डी कॉक ने माफी मांगी तब जाकर प्रतिबंध हटाया गया।
साउथ अफ्रीका के लिए कई मैचों में जीत के सूत्रधार बनने वाले डी कॉक ने अपने आईपीएल की शुरुआत साल 2013 से की जब उन्हें 20 हजार डॉलर में सनराइजर्स हैदराबाद ने टीम में शामिल किया। लेकिन अच्छा प्रदर्शन करने में नाकाम रहे। और उन्हें अगले ही साल रिलीज कर दिया गया। तब डी कॉक को दिल्ली डेयर डेविल्स ने खरीदकर टीम में शामिल किया। यहां डी कॉक ने कई अच्छी पारियां खेली जिसकी वजह से वो दिल्ली के साथ 4 साल बने रहे। साल 2018 में डी कॉक को रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने 3.2 करोड़ में खरीदा। यहां भी डी कॉक ने निराश किया। इसके अगले साल 2019 में मुम्बई इंडियंस ने डी कॉक को टीम में शामिल किया। यहां उनका प्रदर्शन शानदार रहा।
30 वर्षीय क्विंटन डि कॉक ने अपने क्रिकेट करियर में 54 टेस्ट , 137 वनडे और 77 टी20 मैच खेले हैं, जिसमें उन्होंने 6 टेस्ट और 17 वनडे शतक जड़कर लगभग 12 हजार रन बनाए हैं, वहीं 92 आईपीएल मैचों में 2 शतक की बदौलत 32 की औसत से 2764 रन बनाए है।
दोस्तों, क्विंटन डिकॉक के 10 साल के उतार चढ़ाव क्रिकेट करियर को आप कैसे देखते हैं ? कहीं आपके पसंदीदा खिलाड़ी डीकॉक तो नही हैं ? आप कमेंट करके बता सकते हैं .