वह तेज गेंदबाज जिसके नाम सबसे अधिक स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी करने का है रिकॉर्ड !
गरीबी से निकलकर जो अपनी काबिलियत और कड़ी मेहनत से बना टीम इंडिया का लीड गेंदबाज
भारत के लिए टेस्ट खेलने वाला विदर्भ का पहला खिलाड़ी
कोयले की खदान में पिता करते थे मजदूरी, खुद बनना चाहते थे फौजी
गेंदबाज जिसके नाम है टेस्ट क्रिकेट में सबसे अधिक स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी करने का रिकॉर्ड
टीम इंडिया के एक धाकड़ तेज गेंदबाज बनने की कहानी. एक ऐसा गेंदबाज जिसके बारे में किसी ने नहीं सोचा होगा कि गरीबी से उठकर वह आज भारतीय क्रिकेट टीम का लीड गेंदबाज बनेगा. लेकिन ये भी सच है कि क्रिकेट करियर की शुरुआत से लेकर भारतीय क्रिकेट टीम में आना उनके लिए आसान नहीं था. यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने भयंकर संघर्ष किया एक समय तो पेट भरने के लिए रोटी भी नसीब नहीं होती थी. इसलिए आज हम इस खिलाड़ी की संघर्ष भरी दास्तां लेकर आए हैं. इस खिलाड़ी की कहानी किसी मिसाल से कम नहीं है और युवाओं के लिए प्रेरणा का सागर.
बात हो रही है भारत के स्टार तेज गेंदबाज उमेश यादव के बारे में. आज के लेख में हम उमेश यादव के जीवन से जुड़ी कुछ जानी–अनजानी और अनकही बातों को जानने की कोशिश करेंगे. दोस्तों, इंडियन क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज उमेश यादव आज किसी तारुफ़ के मोहताज नहीं हैं. आज दुनिया उनकी काबिलियत का लोहा मानती है. लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने अथक परिश्रम और संघर्ष किया है. उमेश के पिता कोयले की खदान में काम करते थे, उमेश खुद फ़ौज और पुलिस भर्ती में रिजेक्ट हुए लेकिन रिजेक्शन से निकलकर उन्होंने अपने मेहनत के दम पर एक बेहतरीन तेज गेंदबाज के रूप में भारतीय क्रिकेट टीम में खुद को स्थापित किया.
उमेश यादव का जन्म महाराष्ट्र के नागपुर में 25 अक्टूबर, 1987 को एक बेहद ही गरीब परिवार में हुआ था. उनके पिता तिलक यादव कोयले की खदान में काम करते थे और मां किशोरी देवी एक गृहणी थी. उमेश का परिवार नागपुर के खापरखेड़ा की वेस्टर्न कोल लिमिटेड की कॉलोनी में रहता था. पिता वहीं कोयले की खदान में मजदूरी कर परिवार का भरन–पोषण करते थे. यही वजह थी कि उमेश के पिता चाहते थे कि उनका बेटा सरकारी नौकरी करे और पैसे कमाए. उमेश का बचपन बेहद गरीबी में बीता, वो पढ़ाई के साथ–साथ क्रिकेट भी खेलते थे लेकिन किसी अकैडमी या मैदान पर नहीं बल्कि खेतों और गलियों में.
पिता की चाहत को देखते हुए उमेश यादव ने इंटरमिडीएट की परीक्षा पास करने के बाद सरकारी नौकरी के लिए ट्राई करना शुरू कर दिया. उन्होंने फ़ौज में भर्ती के लिए आवेदन दिया, लेकिन रिजेक्ट हो गए. इसके बाद पुलिस भर्ती में भी कोशिश की लेकिन यहां भी उन्हें रिजेक्शन ही मिला. सरकारी नौकरी मिलने से रही, ऊपर से घर की आर्थिक स्थिति कंडम, ऐसे में उमेश भी पिता के काम में उनका हाथ बटाने लगे. इसी दौरान एक वक्त ऐसा आया जब उमेश को लगा कि उन्हें आगे क्या करना है, किस चीज में अपना करियर बनाना है. उमेश यादव ने फैसला लिया कि वो क्रिकेट में अपना करियर बनाएंगे. गरीब पिता ने भी बेटे को सपोर्ट किया. उमेश यादव की उम्र तब 18-19 साल की रही होगी, जिस उम्र में खिलाड़ी रणजी या भारतीय टीम में खेलने लगते हैं, उमेश ने लेदर बॉल देखा तक नहीं था. वह उस वक्त टेनिस बॉल से गेंदबाजी करते थे. उस वक्त उमेश यादव लोकल टेनिस बॉल टूर्नामेंटो में खेलकर 5 हजार रूपए तक कमा लेते थे. उस पैसे से घर के खर्च में मदद हो जाती थी. उसी दौरान उनके एक दोस्त ने उन्हें विदर्भरणजी टीम के कप्तान प्रीतम गंधे से मिलवाया. रणजी कप्तान उमेश की गेंदबाजी से काफी प्रभावित हुए. प्रीतम उनके एक ओवर में अलग–अलग टप्पे की गेंद से काफी हैरान हुए. उन्होंने उमेश को लाइन लेंथ पर काम करने की सलाह दी. प्रीतम का मानना था कि उमेश अगर एक ओवर में तीन अलग–अलग टप्पे की गेंद रफ्तार के साथ डाल दें तो विपक्षी टीम में कोहराम मच जाएगा. उमेश ने उनकी बात मानते हुए जमकर पसीना बहाया और अपनी गेंदबाजी में सुधार किया. इसका असर ये हुआ कि रणजी ट्रायल के दौरान अच्छे–अच्छे बल्लेबाज उमेश यादव के सामने परेशान दिखे. उमेश यादव का सेलेक्शन तत्काल में ही विदर्भटीम में हो गया. आगे के सफर में गेंदबाजी कोच सुब्रतो बनर्जी ने उमेश यादव की गेंदबाजी पर मेहनत की.
2008 में उमेश यादव ने विदर्भ की तरफ से खेलते हुए मध्य प्रदेश के खिलाफ अपना फर्स्ट क्लास डेब्यू किया. अपने पहले रणजी मैच में ही उमेश यादव ने घातक गेंदबाजी का नमूना पेश कर दिया था. उस मैच की पहली पारी में उमेश ने 4 विकेट झटके थे. उस रणजी सीजन में उमेश ने 4 मैचों में 20 विकेट हासिल किए थे. ये वो दौर था, जब विदर्भ एक कमजोर टीम मानी जाती थी लेकिन उमेश के आने से टीम को काफी मजबूती मिली. विदर्भके खिलाड़ियों को भी लग गया कि उमेश एक दिन देश के लिए खेलेंगे. विदर्भद्वारा दिए गए मौकों को उमेश यादव ने अच्छे से भुनाया.
इसके बाद उमेश यादव को दलीप ट्रॉफी में सेंट्रल जोन से खेलने का मौका मिला. उस दौरान उमेश ने दिग्गज बल्लेबाजों राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण का विकेट लेकर सनसनी मचा दी थी. मैच दर मैच उमेश यादव की गेंदबाजी निखरती जा रही थी और वो आईपीएल फ्रेंचाइजी से लेकर नेशनल सेलेक्टर्स के रडार में आ गए थे.
फिर आया इंडियन प्रीमियर लीग यानी IPL का 2010 सीजन, जिसमें उमेश यादव को दिल्ली डेयरडेविल्स(जो कि अब दिल्ली कैपिटल्स है) ने खरीदकर अपनी टीम में शामिल किया. उस सीजन उमेश यादव ने 7 मैचों में 6 विकेट चटकाए थे. उसी साल भारतीय टीम को साउथ अफ्रीका के दौरे पर जाना था लेकिन टीम के तेज गेंदबाज प्रवीण कुमार चोटिल हो जाते हैं तब उनकी जगह उमेश यादव को शामिल किया जाता है. उमेश को स्क्वाड में तो शामिल किया गया लेकिन प्लेइंग-11 में जगह नहीं मिली. उस दौरे पर उमेश को एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला. लेकिन उसके बाद जिम्बाब्वे के खिलाफ 28 मई, 2010 को एक वनडे मैच में उमेश यादव को खिलाया गया और इस तरह उमेश यादव ने अपना इंटरनेशनल डेब्यू किया.
उमेश के लिए यह सब किसी सपने से कम नहीं था लेकिन तभी विधाता ने उमेश की एक और परीक्षा ले ली. वो साल 2011 की बात है, काफी दिनों से बीमार चल रही उमेश यादव की मां का देहांत हो गया. उमेश इस घटना के बाद टूट गए, जैसे–तैसे उन्होंने खुद को संभाला या यूं कहें कि उमेश के क्रिकेट के प्रति जुनून ने उन्हें उस सदमे से उबरने में मदद की. और उसी साल वेस्टइंडीज के खिलाफ उमेश यादव ने अपना टेस्ट डेब्यू किया. उमेश यादव ने इसके बाद कई मैचों में अपनी दमदार गेंदबाजी से भारत को कई मैच जिताए. आईपीएल 2014 में उमेश को कोलकाता नाइट राइडर्स ने खरीदा और वो 2017 तक केकेआर के साथ जुड़े रहे फिर 2018 से 2020 तक वो रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के लिए खेले. 2021 सीजन में एक बार फिर वो दिल्ली कैपिटल्स की तरफ से खेले लेकिन 2022 में उन्हें वापस केकेआर ने खरीद लिया. आईपीएल में उमेश यादव ने 135 विकेट चटकाए हैं. इस दौरान 23 रन पर 4 विकेट उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा है.
अंतराष्ट्रीय टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले विदर्भके पहले क्रिकेटर हैं उमेश यादव. नवंबर, 2011 में वेस्टइंडीज की टीम भारत दौरे पर आई थी, वह टेस्ट सीरीज उमेश यादव का डेब्यू टेस्ट सीरीज था और अपने डेब्यू टेस्ट सीरीज में उमेश यादव ने कुल 9 विकेट झटके, जो उस वक्त भारतीय तेज गेंदबाजों में सबसे अधिक था. इसके बाद खेली गई 5 मैचों की वनडे सीरीज में उमेश ने 24.33 की औसत से 6 विकेट चटकाए थे. उमेश को 3 मैचों में खेलने का मौका मिला था.
फिर 2011-12 ऑस्ट्रेलियाई दौरे के लिए उमेश यादव का चयन हुआ. वो उस दौरे पर खेले गए चारो टेस्ट मैचों में खेले, जिसमें उन्होंने 39.35 की औसत से कुल 14 विकेट चटकाए. पर्थ के वाका में खेले गए सीरीज के तीसरे टेस्ट में उमेश यादव ने फाइव–विकेट हॉल प्राप्त किया. इसके बाद ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका के साथ खेली गई त्रिकोणीय वनडे सीरीज में यादव ने 6 मैचों में 5 विकेट चटकाए थे.
इसके बाद उमेश यादव का चयन 2013 चैंपियंस ट्रॉफी के लिए भारत की 15-सदस्यीय टीम में हुआ लेकिन यह टूर्नामेंट उनके लिए निराशाजनक रहा, जहां वो 5 मैचों में सिर्फ 4 विकेट झटकने में ही कामयाब रहे थे.
फिर उमेश यादव का चयन 2015 वर्ल्ड कप के लिए भारत की 20-सदस्यीय टीम में हुआ था और यह टूर्नामेंट उमेश यादव के लिए यादगार रहा. 8 मैचों में 18 विकेटों के साथ वो भारत के लीडिंग विकेटटेकर और टूर्नामेंट के तीसरे लीडिंग विकेटटेकर बने.
2021 में खेली गई वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल और इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज के लिए उमेश का चयन भारत की 20-सदस्यीय टीम में हुआ था. उमेश ने इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में कमाल की गेंदबाजी की थी. 2022 आईपीएल में कोलकाता नाइट राइडर्स के लिए खेलते हुए उमेश ने जबरदस्त प्रदर्शन किया था और टीम के लीडिंग विकेटटेकर गेंदबाज रहे थे. उमेश यादव ने भारत के लिए अपना पहला टी20 मैच 7 अगस्त, 2012 को श्रीलंका के खिलाफ खेला था. हालांकि तब से लेकर आज तक उमेश भारत के लिए सिर्फ 9 टी20 मुकाबले ही खेल पाए हैं. आज की तारीख में उमेश यादव रेड बॉल यानी टेस्ट क्रिकेट में टीम इंडिया के नियमित सदस्य हैं. रेड बॉल क्रिकेट में वो ज्यादा प्रभावी नजर आते हैं. अभी हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के साथ खेली गई टेस्ट सीरीज ‘बॉर्डर–गावस्कर ट्रॉफी‘ में उमेश यादव भारतीय टीम का हिस्सा थे.
इसी सीरीज के दौरान उमेश यादव के पिता का निधन हो गया था. 74 वर्ष के उनके पिता महीनों से बीमार थे और एक प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती थे. पिता के निधन के बावजूद उमेश आखिरी के दोनों टेस्ट मैच खेले और प्रभावी प्रदर्शन किया. ऑस्ट्रेलिया सीरीज से पहले उमेश ने बांग्लादेश दौरे पर 2 टेस्ट मैचों की सीरीज में बेहतरीन गेंदबाजी करते हुए कुल 7 विकेट चटकाए थे.
उमेश यादव ने अब तक 56 टेस्ट मैचों में 168 विकेट चटकाए हैं, इस दौरान 133 पर 10 विकेट उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा है. उन्होंने 75 वनडे मैचों में 106 विकेट चटकाए हैं जबकि 9 टी20 मैचों में उनके नाम 12 विकेट दर्ज हैं. उमेश यादव ने 111 फर्स्ट क्लास मैचों में 345 विकेट चटकाए हैं.
उमेश यादव के निजी जीवन की बात करें तो उन्होंने 29 मई, 2013 को दिल्ली बेस्ड फैशन डिज़ाइनर तान्या वाधवा से शादी रचाई थी, जिससे उन्हें 2 बेटियां हैं.
गरीबी से निकलकर उमेश यादव अपनी कड़ी मेहनत और काबिलियत के दम पर आज जिस मुकाम पर पहुंचे हैं, वो युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है. चक दे क्रिकेट की पूरी टीम उमेश यादव के उज्जवल भविष्य की कामना करती है. आप उमेश यादव की गेंदबाजी के क्रिकेट करियर को लेकर क्या राय रखते हैं, कमेंट करके जरुर बताएं.