हिंदू मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने को सबसे पवित्र महिना माना गया है. इस पूरे महीने में भगवान शंकर की पूजा की जाती है. इस पूरे महीने में भगवान भोले नाथ के भक्त बाबा के दरबार में अपनी हाजिरी लगाते हैं और सुख समृद्धि की दुआ करते हैं. इसी सावन महीने की पूर्णिमा को रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाता है. रक्षाबंधन का हिंदू धर्म में बड़े ही धूम–धाम के साथ मनाया जाता है. यह त्योहार भाई बहनों का सबसे बड़ा त्योहार है. इस दिन बहने अपने भाई की कलाई पर प्यार का बंधन राखी बांधती है. भाई इस मौके पर बन को ये वचन देता है कि वो जिंदगी भर उसकी रक्षा करेगा. यह प्यार के बंधन का पर्व सावन मास के पूर्णिया को मनाया जाता है. इस बार रक्षाबंधन की डेट को लेकर एक बड़ी ही असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है. इस बार हर तरफ यही पूछा जा रहा है कि कब रक्षाबंधन मनाना है.
इस बार सावन पूर्णिमा 30 अगस्त को है, लेकिन कहा जा रहा है कि इस साल 30 अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाना है. इसका सबसे बड़ा कारण यह बताया जा रहा है कि इस दिन पूरे दिन भद्रा नक्षत्र का काल रहने वाला है. ऐसे में हिंदू ग्रंथों की मान्यता है कि भद्रा काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. इसीलिए यह कहा जा रहा है कि 30 अगस्त को रक्षाबंधन शुभ नहीं है. इसीलिए सबसे ज्यादा इस बात की चर्चा हो रही है कि रक्षाबंधन का त्योहार कब मनाया जाए. हिंदी पंचांगों की माने तो सावन महीने की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 30 अगस्त को सुबह 10 बजकर 58 मिनट से हो रही है. और इसका समापन 31 अगस्त को सुबह 7 बजकर 05 मिनट पर होगा. लेकिन समस्या यह है कि 30 अगस्त को जब पूर्णिमा तिथि की शुरुआत हो रही है इसके साथ ही भद्रा की शुरुआत हो रही है. जोकि रात में 9 बजकर 01 मिनट तक रहेगी. इसीलिए कहा जा रहा है कि 30 अगस्त को राखी बांधना शुभ नहीं माना जा रहा है. आगे बढ़ने से पहले बता दें कि पंजाब सहित कुछ क्षेत्रों में जहां उदया तिथि को मान्यता है वहां 31 अगस्त को सुबह 7 बजकर 5 मिनट से पहले रक्षाबंधन का पर्व मना लेना अत्यंत ही फलदायक रहेगा.
यह भी बताया जा रहा है कि भद्रा 30 अगस्त को रात के समय 9 बजकर 1 मिनट पर समाप्त होगी. शास्त्रों में ऐसा विधान है कि भद्रा स्थिति में भद्रा मुखा का त्याग करके भद्रा पूंछ जब हो उस समय शुभ कार्य किया जा सकता है ऐसे में आप भद्रा पूंछ में रक्षाबंधन का त्योहार मना सकते हैं. इस बार भद्रा पूंछ शाम में 5 बजकर 30 मिनट से 6 बजकर 31 मिनट तक रहेगी ऐसे में आप चाहें तो इस समय अवधि में रक्षाबंधन का पर्व मना सकते हैं. इस दौरान शुभ कार्य करने से भद्रा का दोष नहीं लगता है. ऐसे में आप इस दौरान राखीबंधन का त्योहार मना सकते हैं. ऐसे में आपके दिमाग में यह चल रहा होगा कि आखिर भद्रा में क्यों शुभ कार्य नहीं किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि शूर्पणखा ने अपने भाई रावण को भद्रा काल में राखी बांध दी थी, जिस वजह से रावण के पूरे कुल का सर्वनाश हो गया. इसीलिए ऐसी मान्यता है कि भद्रा काल में राखी बांधना शुभ नहीं होता है. कहा तो यह भी जाता है कि भद्रा काल में राखी बांधन से भाई की उम्र कम होती है.
30 अगस्त 2023 को भद्रा पूंछ का समय 5 बजकर 30 मिनट से 6 बजकर 31 तक है इस दौरान रक्षाबंधन कर सकते हैं. इसी दिन शाम को 6 बजकर 31 मिनट से 8 बजकर 11 मिनट तक भद्रा मुख का समय है जिसमें रक्षाबंधन नहीं करना है. वहीं 31 अगस्त को सुबह में 7 बज कर 5 मिनट तक आप रक्षाबंधन कर सकते हैं. क्योंकि इतने ही बजे तक पूर्णिमा है. हालांकि कई राज्यों में उदया तिथि को वह दिन माना जाता है ऐसे में कई लोग 31 अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व मनाने पर विचार कर रहे हैं.
आप कब रक्षाबंधन का त्योहार मना रहे हैं आप हमें कमेंट करके जरूर बताएं.