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बिहार की बेटी जो बनी पहली महिला राज्यपाल

Bihari News

बिहारी बेजोड़ के आज के सेगमेंट में बात बिहार की एक ऐसी बेटी के बारे में जिनके बारे में अगर आप बिहार में बात करेंगे तो उनका नाम लोग बड़े ही गर्व के साथ लेते हैं. उनका भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के साथ ही देश के कई अन्य आंदोलनों में जिक्र होता है. साथ ही सामाजिक कुरितियों को दूर करने के लिए भी इन्हें आज याद किया जाता है. इनका पूरा परिवार देश की स्वतंत्रता आंदोलन में एक्टिव रहा रहा है. इसे हम यूं कहें कि जब देश को युवाओं की जरूरत थी तो इसमें इन्होंने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था. बाद के समय में जब वे राजनीति में सक्रिय हुए तो विधायक सांसद के साथ ही राज्यपाल तक का सफर पूरा किया. आज हम बात करने जा रहे हैं एक स्वतंत्रता सेनानी के बारे में एक राजनेता के बारे में एक साामजिक चिंतक के बारे में जिसे हर बार अपने समाज में फैली कुरितियों पर नजर होती थी और उसे दूर करने का हमेशा से प्रयास होता रहा, आज हम बात करने जा रहे हैं राम दुलारी सिन्हा के बारे में.

राम दुलारी सिन्हा का जन्म 8 दिसंबर 1922 को बिहार के गोपालगंज जिले के मानिकपुर गाँव में हुआ था. इनकी शिक्षा दीक्षा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में अपनी शिक्षा पूरी की. इसके बाद उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से हिंदी और इतिहास विषय में स्नातकोत्तर किया. सिन्हा मास्टर डिग्री हासिल करने वाली बिहार की पहली महिला हैं. राम दुलारी सिन्हा की शादी फरवरी 1938 में ठाकुर युगल किशोर सिन्हा से हुआ था. किशोर सिन्हा को बिहार में सहकारी आंदोलन के जनक के रूप में जाना जाता था.

राम दुलारी देवी को एक राष्ट्रवादी राजनेता के रूपमें देखा जाता रहा है. वह एक स्वतंत्रता सेनानी के लिए भी रही है. रामाजिक जागरुकता और लोगों की मदद करतेकरते वह राजनीति में आ गई. साल 1952 में वह पहली बार बिहार विधानसभा पहुंची थी. और इस तरह से बिहार विधानसभा की पहली महिला सदस्य बनी थी. इसके बाद 1962 में वह पटना लोकसभा सीट से पहली बार संसद भवन पहुंची थी. इसके बाद 1969 में वह फिर से बिहार विधानसभा पहुंची इस बार वह गोपलगंज सीट से चुनाव लड़ कर विधानसभा पहुंची थी. इसके बाद आया साल 1971 से 77 का जिसमें वह बिहार सरकार के राज्य कैबिनेट की सदस्य के रूप में रही. इस दौरान उन्होंने श्रम और रोजगार, पर्यटन, गन्ना समाज कल्याण और संसदीय मामलों की प्रभारी बनाई गई थी.

बिहार विधानसभा के बाद अब समय आ गया था जब इन्हें फिर से लोकसभा में जाने का मौका मिला साल 1980 में राम दुलारी देवी बिहार के शिवहर लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर दूसरी बार दिल्ली पहुंच थी. इस बार उन्हें यहां कैबिनेट में जगह मिली और उन्हें मिला सूचनाऔर प्रसारण मंत्रालय इसके साथ ही उन्होंने श्रम और पुनर्वास, उद्योग, इस्पात और खान, वाणिज्य के बाद गृह मामलों को भी देखती थी.

इसके बाद साल 1984 में हुए लोकसभा चुनाव में वह एक बार फिर से जीतने में कामयाव हुई और इस बार इन्हें केंद्रीय गृह मंत्री का पद मिला. इसके बाद 1988 में उन्हें केरल का राज्यपाल बनाया गया. इसी के साथ बिहार की पहली महिला बनी जो किसी राज्य में राज्यपाल बनी थी.

रामदुलारी सिन्हा के राजनीतिक एवं सामाजिक जीवन को देखेंगे तो आपको हर जगह एक महिला दिखेगी जो काम कर रही है. अपने लोगों के लिए समाज के लिए. जिससे की प्रदेश का मान बढ़े. राम दुलारी सिन्हा छात्र राजनीति में जब थी तो उन्होंने छात्रों की मांगों को लेकर पुरजोर आंदोलन किया था. जब वह एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में समाज में अपना योगदान कर रही थी तो उन्होंने महिला मुक्ति, पर्दाविरोधी, दहेजविरोधी और अस्पृश्यता उन्मूलन अभियानों का हिस्सा थीं. उन्होंने महिलाओं और बच्चों की शिक्षा को बढ़ावा दिया.

राम दुलारी सिन्हा ने समाज के लिए देश के खुब लड़ाई लड़ी लेकिन बिमारियों से नहीं जीत पाई. और आखिरी में वह रक्त कैंसर से नहीं बच पाई. और 31 अगस्त 1994 को वह इस धरती से चली गई. राम दुलारी देवी आज भी बिहारियों के दिलों में बसे हैं वह आज भी समाज में महिलाओं के लिए किये काए कार्य के लिए जानी जाती है. वह छात्रों और बच्चों के लिए की गई लड़ाई के लिए याद की जाती है.

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