आपने अक्सर अमिर व्यक्तियों की सूचि में अम्बानी, अदानी, टाटा और पूनावाला जैसे लोगों का नाम सुना है. लेकिन क्या आपने बिहार के सबसे अमीर व्यक्ति के सूचि में शामिल लोगों के नाम सुने हैं? अगर नहीं सुने तो आज का यह लेख बेहद खास होने वाला है. क्योंकि आज हम जानेंगे बिहार के पांच ऐसे लोगों के बारे में जिनके नाम बिहार के सबसे अमिर व्यक्तियों में शुमार है.

तो आइये आज के इस चर्चा में हम सबसे पहले बात करते हैं अनिल अग्रवाल के बारे में. अनिल अग्रवाल का जन्म बिहार में हीं हुआ था. इन्होने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजधानी पटना के किसी सरकारी स्कूल से पूरी की थी. ये एक मध्यम परिवार से अपना सम्बन्ध रखते थे. बिना किसी हाईफाई फैसिलिटी और शिक्षा के हीं इन्होने अपने भविष्य को कीर्तिमान बनाया. बता दें की केवल बिहार हीं नहीं बल्कि देश के सौ सबसे धनिक व्यक्तियों की लिस्ट में इनका नाम शुमार है. अनिल अग्रवाल की सम्पति को कुछ साल पहले हीं फोबर्स जो की एक वर्ल्ड फेमस मैगज़ीन है उसने 2.5 बिलियन तक बताई थी. इस मैगज़ीन के अनुसार देश में 97वें नंबर पर सबसे आमिर व्यक्तियों की लिस्ट में इनका नाम शामिल था. वहीं विश्व स्तर पर इनका नाम 728वें नंबर पर शामिल था. हम बिहारी अपने परंपरा और संस्कृति को हमेशा बड़े हीं प्रेम के साथ अपनाते हैं. कुछ ऐसी हीं कहानी है अनिल अग्रवाल की भी. कहा जाता है की अनिल अग्रवाल किसी भी बड़े और अच्छे काम करने से पहले दही और चीनी से मुंह जूठा जरुर करते थे. बतातें चलें अनिल अग्रवाल एक बिज़नस मैन है और उनका कारोबार केवल देश हीं नहीं बल्कि विदेशों में भी फैला है.

आइये अब दूसरे नंबर पर हम बात करते हैं रविन्द्र किशोर सिन्हा की. इनका जन्म 22 सितम्बर 1951 में एक मिडिल क्लास फैमिली में हुआ था. इन्हें लोग RK सिन्हा के नाम से भी जानते हैं. RK सिन्हा एक रिपोर्टर के तौर पर भी काम कर चुके हैं. दरअसल इन्होने पटना के दैनिक अखबार द सर्चलाइट में एक ट्रेनी के तौर पर बीस साल की उम्र में काम किया था. भारत और पकिस्तान के बीच साल 1971 में बॉर्डर पर चल रहे वॉर के बीच इन्होने बिहार रेजिमेंट के साथ रिपोर्टिंग भी की थी. इनका शुरूआती जीवन काफी संघर्षमयी रहा. इन्होने मात्र 250 रुपये में हीं 22 साल के उम्र में पटना में एक गैरेज को लीज पर लेकर अपने काम को शुरू किया था. आज सिक्यूरिटी एंड इंटेलिजेंस सर्विसेज यानी SIS के नाम से इनकी यह कंपनी जानी जाती है. और अब इस कंपनी का 5000करोड़ से भी ज्यादा का टर्नओवर है. बता दें की ये राज्यसभा में सांसद भी रह चुके हैं.

आइये अब हम अपने इस चर्चा में जानते हैं सुब्रत रॉय के बारे में. इनका जन्म बिहार के अररिया जिले में साल 1948 में हुआ था. सुब्रत रॉय ने सहारा इंडिया परिवार की स्थापना साल 1978 में की थी. धीरेधीरे सहारा ग्रुप बड़े मुकाम हासिल करने लगा और देश की बड़ी कंपिनयों में शुमार हो गया. एक समय ऐसा था जब सहारा में देश के करोड़ों लोगों ने निवेश किया था. देश के साथसाथ विदेशों में भी सहारा परिवार का कारोबार फैलता गया. लेकिन सहारा परिवार की हालत साल 2009 से बदल गयी. दरअसल इस समय सहारा और सेबी के बीच विवाद शुरू हो गया था. बता दें की सेबी भारत के पूंजी बाज़ार में कदाचार को रोकने और पूंजी बाज़ार के विकास को बढ़ावा देने के लिए काम करता है. उस वक्त यह बात सामने आई थी की सहारा गलत तरीके से लोगों से पैसे इकट्ठे कर रही है. उसके बाद सहारा विवादों में फसती चली गयी. इन विवादों की गुत्थी अभी तक नहीं सुलझ सकी और देश में कई लोगों के पैसे फंसे रह गये. खैर इसकी स्थिति आज जो भी हो. लेकिन एक समय ऐसा था जब सुब्रत रॉय केवल बिहार हीं नहीं देश में भी अमीरों की सूचि में शुमार थे. यदि अभी सहारा इंडिया के कुल संपत्ति की बात करें तो 2,89,253 करोड़ रुपये से भी अधिक इनकी कुल संपत्ति है.

चलिए अब हम बात करते हैं संजय झा के बारे में. इनका जन्म बिहार के सुल्तानगंज में 1963 में हुआ था. संजय झा ग्लोबल फाउंड्रीज के सीईओ और मोटोरोला मोबिलिटी के पूर्व अध्यक्ष और कार्यकारी अधिकारी भी रह चुके हैं. ये एक इंडियनअमेरिकन बिज़नस कार्यपालक हैं. इनकी नेटवर्थ साल 2017 में एक बिलियन डॉलर तक थी.

आइये अब अंतिम में हम बात करते हैं समप्रदा सिंह के बारे में. इनका जन्म बिहार के जहानाबाद में साल 1925 में हुआ था. इन्होने एल्केम लैबोरेट्रीज की स्थापना साल 1973 में की थी. यह कारोबार केवल देश हीं नहीं विदेशों में भी व्यापक रूप से फैला. लेकिन समप्रदा सिंह हमारे बीच अब मौजूद नहीं रहे. उनका निधन मुंबई के लीलावती हॉस्पिटल में हुआ था. फ़िलहाल उनका यह कारोबार उनका परिवार चला रहा है. रिपोर्ट्स की माने तो इनका नेटवर्थ 3.3 बिलियन डॉलर है.

आज के इस लेख में हमने जो भी जानकारी दी वो सभी जानकारी इन्टरनेट पर मौजूद स्रोत के माध्यम से हमने इकट्ठे किये हैं.

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