स्लेजिंग करने वाला कप्तान, जो किसी भी कीमत पर चाहता था जीत !
महान बल्लेबाज, सर्वश्रेष्ठ कप्तान, जबरदस्त फील्डर, जिसने अपनी टीम को बनाया अजेय
खिलाड़ी, जिसकी कप्तानी में टीम ने जीते सर्वाधिक मुकाबले, अपनी कप्तानी में जिसने टीम को बनाया लगातार 2 बार विश्व विजेता
बतौर कप्तान सबसे अधिक रन बनाने का रिकॉर्ड है जिसके नाम
16 टेस्ट जीत का स्ट्रीक, जिसकी कप्तानी में टीम 6 वर्षों तक रही टेस्ट में नंबर-1
जिसकी कप्तानी में लगातार 2 वर्ल्ड कप में एक भी मुकाबला नहीं हारी टीम
150 सालों के क्रिकेट इतिहास में बल्लेबाजों ने हर गेंद का तोड़ निकाला है, चाहे वो योर्कर पर हेलिकोप्टर शॉट हो, या बाउंसर पर अपर–कट, या फिर गुड–लेंथ गेंद पर स्क्वायर कट. और कुछ शॉट तो ऐसे हैं, जो बल्लेबाजों का अपना ट्रेड मार्क शॉट बन गया है. और कुछ बल्लेबाज तो ऐसे हुए, जो कहीं की गेंद को मैदान के किसी कोने में भेज देते हैं. पहले एबी डिविलियर्स हुए और अब उनकी विरासत को भारत के सूर्यकुमार यादव संभाल रहे हैं. और फिर 150 साल के क्रिकेट इतिहास में एक से बढ़कर एक बल्लेबाज हुए लेकिन आज जिस खिलाड़ी की बात करेंगे वो क्रिकेट इतिहास का ना सिर्फ एक बेहतरीन बल्लेबाज था बल्कि एक सर्वश्रेष्ठ कप्तान भी. जहां बल्ले से इन्होंने कई रिकॉर्ड बनाए वहीं अपनी कप्तानी में टीम को शिखर तक पहुंचाया.
बॉडी–लाइन शोर्ट पिच गेंद पर फ्रंटफूट में आकर पुल शॉट खेलना, सबसे मुश्किल शॉट माना जाता है लेकिन इस मुश्किल शॉट को स्टाइलिश बनाने वाले खिलाड़ी की आज हम बात करने वाले हैं, जो विश्व क्रिकेट का सर्वकालिक महान कप्तान बन गया. इस खिलाड़ी की महानता को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है, शब्द कम पड़ जाएंगे. उपलब्धि ऐसी कि पूरे दिन बोलते रह जाऊंगा. इस लेख में बात होगी, विश्व क्रिकेट के महान बल्लेबाज और सर्वश्रेष्ठ कप्तान रिकी पोंटिंग की. आज हम ऑस्ट्रेलिया के इस पूर्व दिग्गज क्रिकेटर के जीवन से जुड़ी कुछ जानी–अनजानी और अनछुए पहलुओं को जानने की कोशिश करेंगे.
रिकी पोंटिंग का जन्म 19 दिसंबर, 1974 को तस्मानिया में हुआ था. रिकी पोंटिंग के पिता के पिता ग्रीम पोंटिंग एक क्लब क्रिकेटर थे और मां लोरेन पोंटिंग ऑस्ट्रेलियाई खेल विगोरो की स्टेट चैंपियन रह चुकी थी. रिकी पोंटिंग के चाचा ग्रेग कैंपबेल ऑस्ट्रेलिया के लिए टेस्ट क्रिकेट खेल चुके थे, इसलिए बचपन से ही पोंटिंग को खेल का माहौल मिला, जाहिर तौर पर रिकी पोंटिंग को क्रिकेट की तालीम घर से ही मिली थी.
रिकी पोंटिंग ने 1986 में मोर्बे क्रिकेट क्लब से अंडर-13 खेलते हुए अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत की थी. 11 दिवसीय उत्तरी–तस्मानिया जूनियर क्रिकेट कम्पीटीशन में भाग लेकर पोंटिंग ने महज एक हफ्ते के अंदर 4 शतक बना डाले थे. पोंटिंग के अद्भुत प्रतिभा और खेल के कारण केवल 14 साल की उम्र में उन्हें कुकाबुरा से पहली स्पोंसोर्शिप मिली थी. उत्तरी–तस्मानिया के कोच टेड रिचर्डसन ने पोंटिंग की काबिलियत को डेविड बून के समकक्ष अंकित किया था.
आपको जानकर हैरानी होगी कि रिकी पोंटिंग ऑस्ट्रेलियन रूल्स फुटबॉल भी खेलते थे, वो जूनियर लेवल पर नॉर्दर्न लॉनसेस्टन के लिए खेले लेकिन हाथ में गहरी चोट से उनका फुटबॉल करियर खत्म हो गया और विश्व क्रिकेट को उसका दाएं हाथ का सबसे स्टाइलिश बल्लेबाज और उम्दा कप्तान मिला.
पोंटिंग ने स्कॉच ओकबर्ण कॉलेज में ग्राउंड्समैन की नौकरी भी की, उसके बाद उन्हें ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट अकैडमी में 2 महीने की ट्रेनिंग का मौका मिला लेकिन उनके अद्भुत खेल के कारण ट्रेनिंग 2 साल में बदल गया. उसी ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट अकैडमी में उनका सामना महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर और शेन वार्न से हुई. अकैडमी से खेलते हुए उन्होंने सचिन का एक बेहतरीन कैच लपका था और शेन वार्न की गेंदों पर बल्लेबाजी करने का मौका मिला था. तब शेन वार्न एक नेट बल्लेबाज की काबिलियत देखकर चौंक गए थे. रिकी पोंटिंग अपने अद्वितीय फूटवर्क और जबरदस्त फील्डिंग के कारण सुर्खियां बटोरने लगे थे.
अकैडमी में पोंटिंग और वार्न अच्छे दोस्त बन गए थे, और इसी दौरान पोंटिंग का नाम पंटर पड़ा था. दरअसल, पोंटिंग को कुत्तों की रेस में बेटिंग की आदत थी और इसी आदत की वजह से शेन वार्न ने पोंटिंग का नाम पंटर रख दिया, जो पोंटिंग के साथ हमेशा के लिए जुड़ गया.
वो साल 1995 था, जब रिकी पोंटिंग ने 13 फरवरी को ऑस्ट्रेलिया के लिए पहला मैच खेला था, लेकिन अपने पहले वनडे अंतराष्ट्रीय में अफ्रीकी टीम के खिलाफ पोंटिंग सिर्फ 1 रन बनाकर ही आउट हो गए थे लेकिन भारत के खिलाफ 92 गेंदों पर बिना बाउंड्री के 62 रन बनाकर उन्होंने अपनी दृढ़ता और धैर्य का परिचय दिया था. 8 दिसंबर, 1995 को रिकी पोंटिंग ने अपना टेस्ट अंतराष्ट्रीय डेब्यू किया था. श्रीलंका के खिलाफ इंजर्ड स्टीव वॉ की जगह अपना पहला टेस्ट खेल रहे रिकी पोंटिंग ने शानदार 96 रनों की पारी खेली थी. गलत निर्णय के कारण पोंटिंग अपने शतक से चूक गए थे लेकिन उस दिन पोंटिंग ने अपने बड़े खिलाड़ी होने का सबूत दे दिया था.
उन दिनों टेस्ट मैचों में पोंटिंग की फॉर्म खराब चल रही थी, जिस वजह से उनको वेस्टइंडीज के खिलाफ टीम से ड्रॉप कर दिया गया था और उनकी जगह जस्टिन लैंगर को जगह मिली.
1997 एशेज सीरीज में पोंटिंग ने टेस्ट मैचों में वापसी की थी और पहले ही टेस्ट मैच में पोंटिंग ने 127 रनों की पारी खेल डाली, पूरे सीरीज में उन्होंने 48.2 की औसत से 241 रन बनाए थे.
रिकी पोंटिंग और विश्व कप
1996 विश्व कप में वेस्टइंडीज के खिलाफ जयपुर में 102 रन बनाकर रिकी पोंटिंग विश्व कप में शतक बनाने वाले सबसे युवा बल्लेबाज बने थे, फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ 45 रन बनाने के बावजूद पोंटिंग ऑस्ट्रेलिया को हार से नहीं बचा सके.
1999 विश्व कप के सेमीफाइनल में दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध पोंटिंग की 37 रनों की महत्पूर्ण पारी की बदौलत ऑस्ट्रेलिया ने मैच ड्रा करवा कर फाइनल में पाकिस्तान को हराया और विश्व कप अपने नाम किया था.
फिर 2003 में पोंटिंग को विश्व कप अभियान के लिए ऑस्ट्रेलिया का कप्तान बनाकर भेजा गया, तब पोंटिंग ने विश्व क्रिकेट को दिखा दिया कि वो क्या चीज हैं. तब पोंटिंग ने अजेय रहते हुए ऑस्ट्रेलिया को ना सिर्फ विश्व विजेता बनाया था बल्कि खुद फाइनल में 140 रनों की नाबाद पारी खेलकर वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम कर दिया.
इस विश्व कप से जुड़ा एक मजेदार वाकया भी है जब उपविजेता भारत के दर्शकों को ये लगा कि पोंटिंग के बल्ले में स्प्रिंग लगा था. एक अखबार ने उस फाइनल के 8 दिनों बाद ‘पोंटिंग के बल्ले में स्प्रिंग थी‘ नाम से हेडलाइन छापी थी, तब दर्शक पुनः फाइनल की अपेक्षा करने लगे थे लेकिन वो अखबार 1 अप्रैल का था और दर्शकों को अप्रैल फूल बनाया गया था.
विश्व कप के अपने अजेय अभियान को पोंटिंग ने 2007 विश्व कप में भी जारी रखा और अपनी कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया को लगातार दूसरी बार विश्व चैंपियन बनाया. यही नहीं पोंटिंग ने अपनी कप्तानी में 2006 और 2009 में चैंपियंस ट्रॉफी भी जितवाया.
रिकी पोंटिंग विश्व कप इतिहास के सबसे सफल कप्तान साबित हुए, 29 मैचों में 26 जीत इस बात का प्रमाण है. 2003 और 2007 विश्व कप में ऑस्ट्रेलियाई टीम अजेय रही थी.
2002 में वनडे और 2004 में टेस्ट में कप्तानी मिलने के बाद रिकी पोंटिंग ने ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम को शिखर पर पहुंचा दिया या यूं कहें आकाश की अनंत ऊँचाइयों पर लाकर रख दिया. ये पोंटिंग का ही कमाल है कि आज भी ऑस्ट्रेलियाई टेस्म से विरोधी खौफ खाते हैं. एक सफल कप्तान के तौर पर रिकी पोंटिंग ने 77 टेस्ट में से 48, 230 वनडे में 165 जीत दर्ज की, जो अपने आप में विश्व रिकॉर्ड है. हालांकि एशेज में बतौर कप्तान पोंटिंग सफल नहीं रहे, उनकी कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया को 19 में से सिर्फ 8 में ही जीत मिली, 6 मैचों में टीम को हार का मुंह देखना पड़ा. 2005 और 2009 एशेज सीरीज में ऑस्ट्रेलिया की हार के बाद पंटिंग की कप्तानी पर सवाल भी खड़े हो गए थे.
रिकी पोंटिंग ने ऑस्ट्रेलियाई टीम का जिस तरह से नेतृत्व किया, उसकी मिसाल आज भी पूरी क्रिकेट की दुनिया देती है. पोंटिंग के दौर में ही ऑस्ट्रेलिया ने विश्व क्रिकेट को ग्लेन मैक्ग्रा, ब्रेट ली, शेन वार्न, एडम गिलक्रिस्ट, मैथ्यू हेडन, माइकल वेभन, एंड्रू साइमंड्स, माइकल क्लार्क जैसे धुरंधर खिलाड़ी दिए. रिकी पोंटिंग ने साल 2012 में क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की थी लेकिन संन्यास के बाद भी वो खुद को क्रिकेट से दूर नहीं रख पाए. उन्होंने शेफील्ड शील्ड टूर्नामेंट, जो ऑस्ट्रेलिया की प्रतिष्ठित घरेलु क्रिकेट टूर्नामेंट है, उसमें खेले साथ ही इंग्लैंड की काउंटी क्रिकेट में भी हिस्सा लिया.
2014 से 2016 तक पोंटिंग आईपीएल टीम मुंबई इंडियन्स के कोच रहे, 2017 में उनको ऑस्ट्रेलिया का अंतरिम कोच भी नियुक्त किया. 2018 में पोंटिंग को दिल्ली डेयरडेविल्स (जो अब दिल्ली कैपिटल्स है) का कोच बनाया गया, फ़िलहाल वो बतौर कोच अपनी सेवाएं दे रहे हैं, इसके अलावा उनको कमेंट्री करते हुए भी देखा गया. वो बतौर क्रिकेट एक्सपर्ट भी काम कर रहे हैं.
संन्यास के वक्त 168 टेस्ट में 13378 और 375 वनडे में 13704 और 17 टी20 में 401 रन और कुल 71 शतक रिकी पोंटिंग को सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों की सूची में शामिल करते हैं. इसके अलावा पोंटिंग ने 384 कैच और 80 रन आउट भी किए, जो एक रिकॉर्ड है.
पोंटिंग के निजी जीवन और शादी के किस्से भी काफी मशहूर हैं. रिकी पोंटिंग ने अपनी लॉन्ग टाइम गर्लफ्रेंड रियाना जेनिफर से जून, 2002 में शादी की थी. पोंटिंग और रियाना की लव स्टोरी तब शुरू हुई जब रियाना लॉ स्टूडेंट थीं. क्रिस्मस के वक्त रियाना जेनिफर मेलबर्न में अपने भाई के साथ स्टेडियम में मैच देखने पहुंची थीं. यहां पोंटिंग का परिवार भी मैच देखने आया हुआ था.
जब पोंटिंग ब्रेक में अपने परिवार से मिलने आए तो उनकी नजर रियाना पर पड़ी और वो उन्हें देखते रह गए थे. पोंटिंग की मानें तो उन्हें पहली ही नजर में रियाना से प्यार हो गया था. इसके कुछ ही दिन बाद पोंटिंग खुद उनसे मिलने लॉ यूनिवर्सिटी जा पहुंचे. इसके बाद दोनों एक दूसरे को डेट करने लगे, यहां तक की रियाना पोंटिंग के साथ कई विदेश दौरे में टीम के साथ जानें लगीं.
इस कपल के अब तीन बच्चे हैं, दो बेटियां और एक बेटा.
अब आपको रिकी पोंटिंग के क्रिकेट करियर के कुछ चुनिंदा रिकॉर्ड के बारे में बताते हैं –
1. कप्तानी में जीते 220 मुकाबले
साल 2003 में पोंटिंग के कप्तान बनने के बाद ऑस्ट्रेलिया ने 324 मैचों में 220 मैच जीते, जो कि एक वर्ल्ड रिकॉर्ड है. आज किसी भी देश की क्रिकेट टीम का कप्तान उनके रिकॉर्ड के आसपास भी नहीं पहुंच पाया है.
2. लगातार 2 बार बनाया विश्व विजेता
रिकी पोंटिंग ने बतौर कप्तान ऑस्ट्रेलिया को लगातार 2 विश्व कप जितवाए, साल 2003 और 2007 में इसके अलावा वो 3 वर्ल्ड कप जीतने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम का हिस्सा रहे, जो कि एक विश्व रिकॉर्ड है.
3. बतौर कप्तान सबसे अधिक रन बनाने का रिकॉर्ड
ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी करते हुए रिकी पोंटिंग के नाम सबसे ज्यादा वनडे रन बनाने का रिकॉर्ड दर्ज है. पोंटिंग ने ऑस्ट्रेलियाई टीम की कप्तानी करते हुए 230 मैचों में 8497 रन बनाए. रिकी पोंटिंग के बाद दूसरे स्थान पर हैं भारत के पूर्व दिग्गज कप्तान महेंद्र सिंह धोनी, जिन्होंने बतौर कप्तान 199 मैचों में 6641 रन बनाए थे.
4. 16 टेस्ट मैचों का विनिंग स्ट्रीक
ऑस्ट्रेलिया की क्रिकेट टीम ने 2 बार यह रिकॉर्ड बनाया. पहली बार जब स्टीव वॉ कप्तान थे दूसरी बार रिकी पोंटिंग की कप्तानी में. खास बात ये रही कि ऑस्ट्रेलिया के जीत के सिलसिले को टीम इंडिया ने ही रोका था.
5. सबसे लम्भी अवधि तक रहे नंबर-1
ऑस्ट्रेलियाई टीम 6 वर्ष 2 माह तक लगातार टेस्ट क्रिकेट में नंबर-1 रही. इस दौरान ज्यादातर समय टीम के कप्तान रिकी पोंटिंग थे.
6. वर्ल्ड कप के सबसे सफल कप्तान
ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम ने पोंटिंग की कप्तानी में ICC के 2 वर्ल्ड कप जीते, 2003 और 2007 में. साथ ही टीम इन दोनों वर्ल्ड कप में एक भी मुकाबला नहीं हारी थी. ऑस्ट्रेलिया की ओर से वर्ल्ड कप में कप्तानी करते हुए कुल 46 मैचों में जीत हासिल की.
रिकी पोंटिंग का नाता विवादों से भी रहा. 1998 के भारत दौरे के दौरान उनको कलकत्ता में एक क्लब में बदतमीजी करने के कारण बाहर निकाल दिया गया था, वहीं साल 2007-08 में बॉर्डर–गावस्कर सीरीज में भी उन पर बेईमानी के दाग लगे. लेकिन इन सबसे ऊपर उठकर रिकी पोंटिंग ने एक उम्दा बल्लेबाज, सफलतम कप्तान और जबरदस्त फील्डर के रूप में खुद को स्थापित किया.