पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह जिन्होंने अपने बयान से बिहार की सियासत में भूचाल ला दिया था उनपर RJD द्वारा कोई कार्यवाई नहीं की गयी है. लेकिन जदयू अब तक इस कार्यवाई के इंतजार में है. जदयू द्वारा राजद पर लगातार सुधाकर सिंह पर कार्यवाई करने को लेकर दबाव बनाया जा रहा है. लेकिन सुधाकर सिंह के खिलाफ RJD द्वारा कार्यवाई किये जाने में देरी की जा रही है. जिसके कारण राजद के सामने अब यह सवाल भी खड़ा हो गया है की राजद अपने इस विधायक के खिलाफ कार्यवाई करने में आखिर देरी क्यों कर रहा. इस मामले पर राजनितिक गलियारे में गरमागरम बहस भी देखने को मिल रही है. जिस तरह से सुधाकर सिंह द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखे हमले किये गये हैं उनके इन बयानबाजी से दोनों पार्टीयों के बीच कड़वाहट पैदा हो सकते हैं. अभी हाल में हीं मीडिया में चल रही ख़बरों को देखने पर राजद के उच्च पदस्थ सूत्रों द्वारा पता चला की यदि पार्टी से सुधाकर सिंह को निलंबित किया जाता है तो बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी होने की अपनी वर्तमान स्थिति को राजद खो सकती है. क्योंकि यदि सुधाकर सिंह को पार्टी से निलंबित किया जाता है तो राजद की सीटों में कमी देखने को मिल सकती है. शायद यहीं वजह है की पार्टी द्वारा अभी तक ठीक ढंग से विधायक सुधाकर सिंह पर अब तक कारण बताओ नोटिस के अलावा कोई कार्यवाई नहीं की जा सकी है.
आइये अब अपने आगे के इस चर्चा में हम जानते हैं की आखिर किन वजहों से एक विधायक को निलंबित करने पर राजद को अपनी ताकत कम होने का डर बना हुआ है. बता दें की राज्य विधानसभा की वर्त्तमान ताकत के अनुसार 243 सदस्यीय सीटें हैं. इसमें से राजद के पास 79 सदस्य मौजूद हैं. वहीँ बीजेपी के पास 78 सदस्यीय सीटें मौजूद हैं. ऐसे में साफ है की भाजपा के 78 सीटों से राजद के पास मात्र एक सीट हीं अधिक है. यदि राजद ऐसी स्थिति में विधायक सुधाकर सिंह को निलंबित करती है तो राजद की सीटें बीजेपी के सीट के समान हो जाएँगी. यदि राजद और बीजेपी दोनों पार्टी समान सीटों पर आ जाते हैं तो यह लाजमी है की राजद सबसे बड़ी पार्टी होने का अपना दावा खो देगी. इस पर राजद द्वारा भी कहा गया है की ऐसा करने पर वे सबसे बड़ी पार्टी होने का दर्जा खो देंगी. राजद और भी कई कारणों से सुधाकर सिंह के खिलाफ कार्यवाई करने के लिए बाध्य है. राजद द्वारा कहा गया है की वे बहुत अच्छी तरह जानते हैं की सुधाकर किसके इशारे पर काम कर रहें हैं, लेकिन राजद ने थोड़ा और इंतजार करने की बात कही है. राजद द्वारा इस बात से भी साफ़ तौर पर इंकार किया गया है की राजद द्वारा कार्यवाई में देरी करने पर दोनों पार्टी के बीच के सम्बन्ध में किसी प्रकार की खटास होने लगी है. लेकिन राजद द्वारा इस बात को भी स्वीकार किया गया है की जिस तरह से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सुधाकर सिंह द्वारा हमला किया गया है उससे समाज में अच्छा संदेश नहीं जा रहा.
लेकिन जहाँ एक तरफ राजद द्वारा इस मामले को लेकर रिश्ते में खटास होने की बात से इनकार किया गया है वहीँ दूसरी तरफ राजद द्वारा कार्यवाई में देरी किये जाने पर JDU के प्रवक्ता का धैर्य अब जवाब देता साफ़ दिख रहा है. दरअसल मीडिया को जारी एक लिखित बयान में JDU के प्रवक्ता रणबीर नंदन द्वारा कहा गया है की वह एक व्यक्ति लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को निशाना बना रहा है. कार्यवाई करने की अपील बार–बार जदयू के तरफ से की जा रही है. लेकिन अब तक कुछ नहीं किया गया. जदयू द्वारा साफ़ कहा गया है की जदयू चाहता है की राजद अपने नेता के खिलाफ कार्यवाई करे ताकि गठबंधन में किसी भी तरह के हो रहे संदेह को दूर किया जा सके. जदयू ने यह भी कहा है की अब हमारा धैर्य तेजी से ख़तम हो रहा. हम अपने मुख्यमंत्री को निशाना बनाने वाले व्यक्ति को बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं. महागठबंधन में मौजूदा स्थिति की तुलना प्रवक्ता रणबीर नंदन द्वारा NDA से की गयी की कैसे जब CM नीतीश NDA के साथ सत्ता में थे तब CM नीतीश को पीछे करने और खुद एक कदम आगे रहने और सत्ता का सुख भोगने के लिए NDA CM नीतीश पर निशाना साधते रहती थी.
अपने बात को आगे रखते हुए प्रवक्ता ने कहा की राजद भी ऐसा करते हीं दिख रही है. राजद महागठबंधन में विश्वास की धार को गठबंधन विरोधी चेहरे पर कार्यवाई नहीं कर के कमजोर कर रहा है. जदयू प्रवक्ता द्वारा यह भी कहा गया है की विधायक के खिलाफ तुरंत कार्यवाई करने के लिए राजद नेतृत्व को आगे आना चाहिए. ऐसे में समाज में अच्छा सन्देश जायेगा और मिसाल कायम होगी. मालूम हो की सुधाकर सिंह पर कार्यवाई के नाम पर राजद ने कारण बताओ नोटिस जारी किया था. उसके बावजूद भी मुख्यमंत्री पर तीखे प्रहार करने में कोई कमी नहीं आई. और यहीं बात जदयू को अन्दर हीं अन्दर खटक रही है. बताते चलें की मुख्यमंत्री की निंदा राज्य के राजद अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र सुधाकर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को लेकर कृषि विभाग में करते रहे हैं. ये मुख्यमंत्री की तुलना शिखंडी और भिखमंगे से भी कर चुके हैं.