भारतीय क्रिकट के एतिहासिक दिनों को जब जब याद किया जाएगा तो उसमें 1983 के विश्वकप को जरूर याद किया जाएगा. भारत का यह विश्वकप जीतना किसी सपने के सच होने जैसा था. यही वह समय था जब भारत में क्रिकेट का खुमार तेजी से आगे बढ़ा. इससमय के बाद से क्रिकेट जैसे युवाओं के दिलों दिमाग पर छा गया था. उसके बाद भारतीय क्रिकटे टीम लगातार अपने प्रदर्शन में सुधार लाती रही और आज क्रिकेट में भारत किंग बना हुआ है. साल 1983 के विश्वकप के विजेता खिलाड़ियों में कपिल देव और मदन लाल का नाम लिया जाता है लेकिन इन सब स्टार के बीच में एक ऐसा भी गुमनाम खिलाड़ी था जोकि कि अपनी गेंदबाजी से भारतीय टीम को उस मुकाम तक पहुंचाया था. विश्वकप में उन्होंने 18 विकेट अपने नाम कर लिया था. और भारत की जीत की उन्होंने गाथा लिख दी थी. जी हां आप एक दम सही समझ रहे रहें हैं हम बात कर रहे हैं रोजर बिन्नी के बारे में

रॉजर बिन्नी का सफर भी किसी फिल्मी पटकथा की तरह है. उनका जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था. उनके पिता एक मामूली सी नौकरी करते थे. लेकिन बिन्नी की मेहनत और खेल के प्रति समर्पण देखिए उन्होंने इंटरेशनल मैच खेला. और आज बे भारतीय टीम के बॉस बन गए हैं यानी की वे बीबीसीआई के नए अध्यक्ष बने हैं. बिन्नी मूल रूप से स्कॉटलैंड के रहने वाले हैं उनकी पिछली चार पुश्तें भारत में रह रही थी. ऐसे में उनका स्कॉसलैंड को कोई नाता नहीं रह गया था. उनके पिता भारत में रेलवे में गार्ड का काम करते थे. जिसके कारण उनका बार बार ट्रांसफर होता था ऐसे में बिन्नी को सालेम के हॉस्टर में दाखिला करवा दिया गया था. आपको जानकर हैरानी होगी बिन्नी बचपन से ही कई खेल खेलने में माहिर थे. वे हॉकी, फुटबॉल के साथ ही एथलटिक्स में भी शामिल होते थे. उन्होंने जैवलिन थ्रो के अंडर 18 का नेशनल रिकॉर्ड आज भी कायम है. क्रिकेट उनके जीवन में सबसे आखिरी में आया था. जब वे हॉकी खेलते थे तो हॉफ बैक से खेलते थे तो वहीं एथलेटिक्स के इवेंट्स में लॉन्ग जंप, हाई जंप, शॉटपुट और जैवलिन थ्रो शामिल था.

फिर साल 1973 में कर्नाटक स्कूल की ओर से उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू किया और इसके साथ ही उन्होंने अपने क्रिकेट कैरियर की शुरुआत कर दी. वे उस समय साउथ जोन की तरफ से खेलते थे. फिर उन्हें साल 1975 में कर्नाटक की टीम में चुन लिया गया. बिन्नी रणजी में कर्नाटक की तरफ से ओपनिंग करते थे. वे एक बल्लेबाज तो थे ही साथ ही वे एक बेहतरीन गेंदबाज भी थे, उन्होंने क्षेत्ररक्षण में भी शानदार प्रदर्शन किया था. उन्होंने 20 साल की उम्र में कर्नाटक की तरफ से केरल के खिलाफ फर्स्ट क्लास क्रिकेट में डेब्यू किया था. इसके बाद उन्होंने रणजी ट्रॉफी में ओपनिंग करते हुए कमाल किया. 1977-78 रणजी सीजन में बिन्नी ने 563 रन जड़े थे. फिर आया साल 1979 में बैंग्लोर में उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ उन्होंने टेस्ट क्रिकेट कैरियर की शुरुआत की थी. वे पहले ऐसे एंग्लोइंडियन थे जिन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट खेला था. इसके एक साल के बाद यानी की 1980 में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे क्रिकेट का डेब्यू किया था.

जिसके बाद वे लगातार टीम के लिए खेलते रहे. रोजर बिन्नी 1983 में होने वाले विश्वकप के लिए अपने आप को तैयार कर रहे थे. इस विश्वकप में उन्होंने शानदार गेंदबाजी का प्रदर्शन किया था. उन्होंने 8 मैच में कुल 18 विकेट अपने नाम किया था. ऑस्ट्रेलिया के साथ खेले गए मुकाबले में उन्होंने 29 रन देकर 4 विकेट अपने नाम कर लिया था. जिसके बाद भारत का विश्वकप में सेमीफाइन का रास्ता साफ हो गया था. बिन्नी ने फाइनल में भी शानदार गेंदबाजी का प्रदर्शन किया और 11 ओवर में मात्र 23 रन दिया था. जिसके बाद वेस्टइंडीज पर दवाब बना और वेस्टइंडीज के महान बल्लेबाज क्लाइव लॉयड मात्र 8 बनाकर पवेलियन चले गए थे. पूरे विश्वकप में बिन्नी ने बल्लेबाजों को खुब परेशान किया. इसके बाद साल 1985 में ऑस्ट्रेलिया में बेन्सन एंड हेजेज वर्ल्ड चैंपियनशिप ऑफ क्रिकेट खेला गया था. जिसमें भारत ने पाकिस्तान को हराकर फाइनल मैच जीता था. इस पूरे टूर्नामेंट में वे दूसरे सबसे सफल गेंदबाज रहे थे. उन्होंने 4 मैचों में 9 विकेट अपने नाम कर लिया था. बिन्नी ने साल 1987 में क्रिकेट से सन्यांस की घोषणा कर दी थी.

रोजर बिन्नी साल 1979 से 1987 के दौरान भारत के लिए उन्होंने 27 टेस्ट मैच और 72 वनडे एकदिवसीय मैच खेले हैं. टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने 47 विकेट अपने नाम किया तो 830 रन भी बनाया था. वहीं वनडे में उन्होने 77 विकेट अपने नाम किया और 629 रन भी बनाए. क्रिकेट से संन्यास की घोषणा करने के बाद उन्होंने अपना करियर कोचिंग में बनाया और साल 2000 में अंडर-19 भारतीय टीम के कोच बने. इस टीम में युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ भी थे. और इन दिनों खिलाड़ियों के बारे में कौन भूल सकता है जिसने भारतीय टीम में बल्लेबाजी से लेकर फिल्डिंग में एक नई जान डाल दी थी. ये दोनों ही खिलाड़ी अपनी कामयाबी में रोजर बिन्नी का नाम जरूर लेते हैं. बिन्नी ने उसी समय युवराज सिंह को लेकर भविष्यवाणी कर दिया था कि यह खिलाड़ी काफी नाम कमाएंगा.

बिन्नी ने कोचिंग के अलावा वे भारतीय टीम के चयनकर्ता के रूप में भी अपना समय दे चुके हैं. साल 2012 में उन्हें नेशनल सलेक्टर बनाया गया था. साल 2015 के विश्वकप के लिए टीम इंडिया का जब चुनाव किया गया जिसमें उनका बेटा स्टुअर्ट बिन्नी भी शामिल था. जिसको लेकर काफी विवाद हुआ और इस दौरान इनपर आरोप भी लगा था कि स्टुअर्ड के चयन में बिन्नी का हाथ है. हालांकि रोजर बिन्नी ने अपनी सफाई में कहा था कि जब उनके बेटे का नाम सलेक्शन के लिए आया, तो वह मीटिंग छोड़कर चले गए थे. उन्होंने कहा कि स्टुअर्ट बिन्नी का चयन बाकी चयनकर्ताओं ने किया है. अक्टूबर 2022 में उन्हें BCCI का अध्यक्ष बनाया गया है.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *