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भारतीय टीम का वह बल्लेबाज जो बिना हेलमेट के वेटइंडीज के तेज गेंदबाजों की उड़ाता था धज्जियां

Bihari News

चक दें क्रिकेट के आज के सेगमेंट में बात एक ऐसे खिलाड़ी के बारे में जिसके नाम क्रिकेट के कई रिकॉर्ड दर्ज हैं. कुछ रिकॉर्ड तो ऐसे हैं जो आज भी उनके नाम से दर्ज हैं. इस खिलाड़ी ने भारतीय क्रिकेट को एक मुकाम दिया है. कहते हैं 80 के दशक में जब वेस्टइंडीज के तेज गेंदवाज के सामने भारतीय बल्लेबाज टीक नहीं पाते थे तो इस बल्लेबाज ने भारतीय टीम के बल्लेबाजों को विकेट पर खड़ा होना सिखाया. उसने भारतीय टीम को एक हौसला दिया. उस बल्लेबाज ने भारतीय टीम को एक हिम्मत दी थी. इतना ही नहीं उस बल्लेबाज ने भारतीय टीम को एक हौसला तो दिया ही साथ ही उसने यह भी बताया कि रन बनाने के साथ में शतक कैसे बनाया जाता है. विश्व में अगर बल्लेबाजी का जिक्र होता है तो इस खिलाड़ी का नाम आज भी क्रिकेट जगत में लोग बड़े ही अदव के साथ लेते हैं. यह बात उस समय की है जब भारतीय क्रिकेट में आज इतना जलवा नहीं हुआ करता था. और न ही लोग क्रिकेट को उस समय इतना पसंद करते थे. लकिन जब यह बल्लेबाज मैदान पर आता तो जैसे पूरे देश में क्रिकेट की लहर छा गई हो. यह खिलाड़ी लोगों के दिलों दिमाग में छा गया था. इस खिलाड़ी का नाम है लिटिल मास्टर सुनील गवास्कर.

सुनील गवास्कर ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए कहा है कि मैं कभी क्रिकेटर नहीं बना होता और न ही यह किताब लिखी गई होतीअगर मेरी जिंदगी में तेज नजरों वाले नारायण मासुरकर नहीं होते. उन्होंने बताया कि जब मेरा जन्म हुआ तब वो मुझे देखने अस्पताल आए थे और उन्होंने मेरे कान पर एक बर्थमार्क देखा था. जब वे अगले दिन अस्पताल आए तो उन्होंने जिस बच्चे को गोद लिया उस बच्चे के कान पर वो निशान नहीं था. इसके बाद पूरे अस्पताल में बच्चे को चेक किया गया. जिसके बाद मैं उन्हें मछुआरे की पत्नी के पास सोता हुआ मिला. गवास्कर ने कहा कि हो सकता था कि मैं आज मछुआरा होता.

सुनील गवास्कर का जन्म मुंबई में हुआ था. उन्हें क्रिकेट विरासत के रूप में मिली थी. उस समय उनके पिता क्लब क्रिकेट के बेहतरीन खिलाड़ी हुआ करते थे. गवास्कर अपने स्कूली दिनों में भारत के बेस्ट स्कूल बॉयल का अवार्ड भी जीत चुके हैं. इसके बाद जब वे सेकेंडरी शिक्षा में आए तो इसके अंतिम साल में उन्होंने दो डबल सेंचुरी भी लगा दिया था. इसके बाद लोगों का ध्यान इनकी तरफ गया. जब वे कॉलेज में पहुंचे तो यहां तक आते आते उन्होंने क्रिकेट खेल लिया था. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि सुनील गवास्कर बचपन में पहलवान बनना चाहते थे. लेकिन जैसे जैसे वे पढ़ाई के लिए आगे बढ़ते गए उन्हें क्रिकेट से प्यार होता चला गया. जब वे अपने स्कूल के अंतिम दिनों में थे तो उन्होंने लंदन के स्कूली छात्रों के खिलाफ उन्होंने 246, 222 और 85 रन की शानदार पारी खेली. जिसका इन्हें ईनाम मिला और साल 1966 में होने वाले डूंगरपुर की एक प्लेइंग इलेवन के खिलाफ फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उन्हें खिलने का मौका मिल गया. इसी साल उन्हें मुंबई रणजी में शामिल कर लिया गया. जहां इनका प्रदर्शन शानदार रहा. उन्होने कर्नाटक के खिलाफ दोहरा शतक लगा कर दिखा दिया कि इस खिलाड़ी में कितना दम है इसके बाद उनके प्रदर्शन में और भी निखार आता रहा. डोमेस्टिक क्रिकेट में शानदार खेल को देखते हुए सुनील गवास्कर को भारतीय टीम में खेलने का मौका मिल गया. वेस्ट इंडिज के खिलाफ साल 1971 में होने वाले टेस्ट सीरीज में इनका नाम था. वेस्टइंडीज के पोर्ट ऑफ स्पेन में आयोजित दूसरे मैच में उन्होंने डेब्यू किया था. इस मुकाबले में उन्होंने पहली पारी में 65 रन और दूसरी पारी में 67 रन बनाए. यह मैच भारत सात विकेट से जीतने में सफल रहा था इस पांच मैचों की सीरीज में सुनील गवास्कर ने 774 रन बनाए थे. इस दौरान उन्होंने 4 शतक और 3 अर्धशतक लगाए. पूरी दुनिया में आज भी कोई बल्लेबाज अपनी डेब्यू सीरीज में इतने रन नहीं बना पाया है.

हालांकि इस सीरीज के बाद गवास्कर का बल्ला बहुत नहीं चल पाया. हालांकि लोगों ने यह भी कह दिया था कि गवास्कर में अब वो वाली बात नहीं रही. फिर आया साल 1974 जिसमें एक बार से गवास्कर का बल्ला चला और उन्होंने शतक लगातर बता दिया कि अभी शेर में वही ताकत है. इसका बाद साल 1976 में उन्हें भारतीय टीम का कप्तान बना दिया गया. इसके बाद गवास्कर की बल्लेबाजी में एक अलग ही निखार देखने को मिली. गवास्कर उस समय की सबसे घातक टीम वेस्टइंडिज के खिलाफ उनका बल्ला खुब चल रहा था. इसी साल गवास्कर ने एक कैलेंडर साल में 1000 रन भी बनाने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज बन गए थे. इसके बाद पाकिस्तान के साथ हुए सीरीज में भी गवास्कर के बल्ले से रन निकलता रहा. गवास्कर इमरान खान जैसे गेंदबाज के सामने भी खुब रन बनाए और उन्होंने इस सीरीज में 400 से ज्यादा रन बनाए. अब विश्व क्रिकेट में गवास्कर का एक नाम हो गया था. टेस्ट मैच में तो खुब नाम हो रहा था लेकिन वनडे मैच में उनका प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं रहा. वे अपने आप को वनडे में बेहतरीन बल्लेबाज के रूप में नहीं मानते हैं. 1975 में खेले गए विश्वकप में उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ खेलते हुए उन्होंने 174 गेंद में 36 रन बनाएं. यह मैच भारत 200 रन के भारी अंतर से हार गए थे. बता दें कि वे पूरे मैच में नावाद रहे हैंवनडे में गवास्कर का प्रदर्शन भले ही बेहतरीन नहीं था लेकिन टेस्ट क्रिकेट के वे बेताज बादशाह रहे हैं. जब दुनिया वेस्टइंडीज के गेंदबाजों के खौफ खाती थी उस समय गवास्कर ने खतरनाक वेस्टइंडीज के खिलाफ 13 शतक लगाए. स्लीप में खड़े होकर 100 कैच पकड़ने वाले वे पहले भारतीय हैं. सुनील गवास्कर ने साल 1987 में अपने क्रिकेट कैरियर से संन्यास की घोषणा कर दी थी लेकिन वे क्रिकेट से दूर नहीं गए और उन्होंने क्रिकेट में कमेंटरी की शुरुआत कर दी. गवास्कर क्रिकेट के साथ ही फिल्म में भी हाथ आजमा चुके हैं. उन्हें मराठी के साथ ही हिंदी फिल्मों में काम किया है. हिंदी में मालामाल.

NOTTINGHAM, ENGLAND – MAY 31 : Sunil Gavaskar throws a ball before the ICC Cricket World Cup Group Match between West Indies and Pakistan at Trent Bridge on May 31, 2019 in Nottingham, England. (Photo by Philip Brown/Popperfoto via Getty Images)

अगर इनके रिकॉर्ड पर एक नजर डालें तों…. 7 मार्च 1987 को गवास्कर ने पाकिस्तान के खिलाफ खेलते हुए अपने 10 हजार रन पूरा किए और टेस्ट क्रिकेट में ऐसा करने वाले वे दुनिया के पहले बल्लेबाज थे. टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा शतक बनाने का रिकॉर्ड भी इन्ही के नाम है उन्होंने 125 टेस्ट मैचों में 34 शतक लगाए. वे लगातार 17 सालों तक पहले नंबर पर रहे. उनका यह रिकॉर्ड 2005 में क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने तोड़ दिया. क्रिकेट की दुनिया में वे एकलौते ऐसे बल्लेबाज हैं जिन्होंने दो अलग अलग मैदान पर लगातार सबसे ज्यादा शतक बनाया है. उन्होंने पोर्ट ऑफ स्पेन और वानखेड़े के मैदान में चार शतक लगाए हैं. उनका यह रिकॉर्ड आज तक कोई नहीं तोड़ सका है. वे दुनिया के पहले क्रिकेटर हैं जिन्होंने टेस्ट मैच की चारों पारियों में दोहरे शतक लगाने का रिकॉर्ड इनके नाम दर्ज हैं. टेस्ट क्रिकेट में नंबर एक पर बल्लेबाजी करते हुए सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड इनके नाम दर्ज हैं. इन्होंने इस दौरान 8511 रन बनाए हैं. यह कारनामा करने वाला कोई दूसरा बल्लेबाज नहीं है. सुनील गावस्कर दुनिया के इकलौते बल्लेबाज हैं जिन्होंने टेस्ट मैच में वेस्टइंडीज के खिलाफ सबसे ज्यादा शतक लगाने का करिश्मा किया, वो भी तब जब वेस्टइंडीज के पास जोएल गार्नर, माइकल होल्डिंग, एंडी रॉबर्ट्स और मैलकम मार्शल जैसे घातक गेंदबाज थें. टेस्ट क्रिकेट में लगातार 100 टेस्ट मैच खेलने वाले वे पहले खिलाड़ी थे.

गवास्कर को मिले सम्मानः

सुनील गवास्कर को साल 1975 में अर्जुन पुरस्कार मिला था.

साल 1980 में उन्हें विज्डन क्रिकेटर ऑफ द ईयर पुरुस्कार से नवाजा गया था

साल 1980 में उन्हें भारत सरकार द्वारा गवास्कर को पद्म भूषण से सम्मान किया गया है.

साल 2012 में उन्हें कर्नल CK Naidu लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड भी मिला

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