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सेबी ने सहारा से वसूले इतने करोड़, क्या गरीब निवेशकों को मिलेगा पैसा ?

Bihari News

सहारा की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही है. सहारा इंडिया की खबरें आये दिन मीडिया की सुर्खियों में रहती है. इसका एकमात्र कारण है सहारा के निवेशक अपने पैसे के लिए सहारा की ओर देख रहे हैं. कि उनकी मैच्यूरिटी पूरी होने के बाद भी कंपनी की तरफ से पैसे नहीं मिल रहे हैं. ऐसे में सहारा के निवेशक सहारा पर केस कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ सहारा सेबी की नजर में भी आ गई थी जिसके बाद अब सहारा पर सेबी की भी नजर बनी हुई है. ऐसे में सहारा दोनों तरफ से फंसी हुई है. कहा जाता है कि सहार इंडिया में गरीब निवेशकों का पैसा सबसे ज्यादा है. इतना ही नहीं बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान जैसे राज्यों का लाखों करोड़ रुपये सहारा के पास जमा है. लेकिन सहारा से उनका पैसा निकल नहीं रहा है. सहारा को लेकर नया अपडेट जो सामने आया है उसमें यह बताया जा रहा है कि सेबी ने सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन के प्रमुख सुब्रत रॉय सहारा से 6.57 करोड़ रुपये की वसूली की है.

सेबी ने वसूली को लेकर दिए अपने तर्क में बताया है कि वैकल्पिक तौर पर पूर्ण रूप से परिवर्तनीय डिबेंचर यानी की OFCD जारी करने में नियमों का उल्लंघन करने पर उसने सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन, इसके प्रमुख सुब्रत रॉय और अन्य से 6.57 करोड़ रुपये का लंबित बकाया वसूल कर लिया है. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इस वसूली के बाद जिन निवेशकों को सहारा से नुकसान हुआ है उनकी भरपाई की जाएगी. हालांकि यह आंकड़ा बहुत छोटा है. सेबी को इलको लेकर और भी ठोक कदम उठाने की जरूरत है. आपको बता दें कि सेबी ने दिसंबर में सहारा और कई व्यक्तियों के बैंक एवं डीमैट खातों को कुर्क कर दिया था. सेबी ने जून 2022 में उनपर छह करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था जिसका भुगतान नहीं होने पर वसूली की प्रक्रिया शुरू की गई थी. आपको बता दें कि यह पूरा मामला सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन द्वारा 2008-09 में OFCD जारी करने से संबंधित है. इन्हें जारी करने में कुछ नियमों का उल्लंघन किया गया था. सेबी की माने तो इन कंपनियों ने आम जनता से OFCD के लिए सब्सक्रिप्शन मांगा था और सहारा के द्वारा सेबी को सारी जानकारी साझा नहीं की गई थी. ऐसे में सहारा ने सेबी के ICDR यानी कि इश्यू ऑफ कैपिटल एंड डिस्फ्लोजर रिक्वायरमेंट्स रेगुलेशन और PFUTP यानी कि प्रोहिबिशन ऑफ फ्रॉडुलेंट एंड अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिसेज के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया था.

सहारा से पैसे दिलावाने के लिए भारत सरकार ने भी पहल शुरू कर दी हैपिछले दिनों जिस तरह से गृह मंत्री, वित्त मंत्री और अन्य संस्थानों की तरफ से बैठक हुई उसमें इस बात का जिक्र किया गया कि हम किस तरह से इस 24000 करोड़ रुपये को 523 कंपनियों में बांट सकते हैं. हालांकि बाद में यह भी कहा गया है कि इस बात पर भी जोर दिया जा रहा है कि इस 24000 में से 5 हजार रुपये की मांग भारत सरकार की तरफ से की जाएगी जिससे की कंपनियों को धीरे धीरे कर के पैसे का भुगतान किया जा सके. हालांकि अब इसमें देखने वाली बात यह है कि इस पूरे मामले पर सहारा का रुख क्या होता है. क्योंकि अब केंद्र सरकार ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है ऐसे में अब देखना है कि सहारा किस तरह का रुख अख्तियार करती है. अगर सहारा की तरफ से किसा तरह की आपत्ति नहीं होती है तो उम्मीद करते हैं बहुत ही जल्द गरीब निवेशकों का पैसा उनके खाते में पहुंच पाएगा.

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