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बिहार का एक ऐसा जिला जहाँ स्थित है द्वापर युग का सूर्य मंदिर

Bihari News

भूमिका

आज हम बात करेंगे बिहार के उस जिले के बारे में जो कभी मिथिला राज्य का भी अंग हुआ करता था. जी हाँ आज हम बात कर रहें हैं बिहार के 38 जिलों में से एक सहरसा जिले के बारे में. इस जिले की स्थापना 1 अप्रैल वर्ष 1954 में हुई थी. यह जिला वर्ष 1972 से हीं कोशी प्रमंडल का मुख्यालय है. बता दें की संस्कृत शब्द सहरशा से सहरसा नाम की उत्पत्ति हुई है. जिसका अर्थ होता है आनंद से भरा हुआ. इस जिले का मुख्यालय सहरसा शहर में हीं स्थित है.

  • चौहद्दी और क्षेत्रफल

आइये अब जानते हैं इस जिले के चौहद्दी और क्षेत्रफल के बारे में. बता दें की सहरसा के उत्तर दिशा में मधुबनी और सुपौल, दक्षिण की दिशा में खगड़िया, वहीँ पूरब की दिशा में मधेपुरा और फिर पश्चिम की दिशा में दरभंगा जिला स्थित है. यदि इस जिले के क्षेत्रफल की बात करें तो 1687 वर्ग किलोमीटर इस जिले का क्षेत्रफल है. यहाँ की जनसँख्या 1,900,661 है. वहीँ यहाँ की साक्षरता दर 53.20% है. इस जिले में कुल 10 प्रखंड,468 गाँव और एक नगरपालिका है.

इतिहास

आइये अब जानते हैं इस जिले के इतिहास के बारे में. जैसा की हम पहले भी चर्चा कर चुके हैं की यह जिला मिथिला राज्य का हिस्सा रह चूका है. लेकिन आगे चल कर यह मिथिला मगध साम्राज्य के विस्तारवाद का शिकार भी हुआ. इसका प्रमाण हम बनमनखीफोर्बेस्गंज रोड पर सिकलिगढ़ में किशनगंज पुलिस स्टेशन के पास स्थित मौर्य स्तंभ से देख सकते हैं. इस जिले में बौद्ध धर्म का प्रभाव भी मगध साम्राज्य में देखने को मिला. बौद्ध धर्म का प्रभाव इस क्षेत्र में तब से बढ़ा जब मगध साम्राज्य बिम्बिसार का शासन काल आया. बौद्ध धर्म का प्रमाण हमें बौद्ध चिन्ह के रूप में इस क्षेत्र के बीराटपुर, पितहाही, बुधनाघाट, बुधियागढ़ी और मठाई जैसे जगहों पर देखने को मिल जाएँगी. प्राचीन समय में इस जिले में इस जिले के तांत्रिक विद्वानों और भक्तों द्वारा चंडी मंदिर को अधिक महत्व दिया गया. पहले बारिश के मौसम यह जिला अक्सर हिमालय से निकलने वाली कई नदियों के वार्षिक बाढ़ में डूबा देखने को मिलता था.

प्रसिद्ध व्यक्ति

चलिए अब बात करते हैं इस जिले के प्रसिद्ध व्यक्ति के बारे में. तो बता दें की इस जिले के प्रसिद्ध व्यक्ति की जानकारी हमें इन्टरनेट पर तो नहीं मिली. लेकिन यदि आप इस जिले के किसी प्रसिद्ध व्यक्ति के बारे में जानते हैं तो उनके बारे में हमें हमारे कमेंट बॉक्स में लिख कर जरुर बताये.

कैसे पहुंचे

आइये अब हम जानते हैं इस जिले के यातायात के साधन के बारे में. इस जिले के यातायात के साधन में हम बात करेंगे सड़क मार्ग, रेल मार्ग और हवाई मार्ग की.

  • सड़क मार्ग

तो चलिए सबसे पहले हम जानते हैं इस जिले के सड़क मार्ग के बारे में. बता दें की इस जिले के सड़क मार्ग बिहार के कई मुख्य सड़कों से जुड़ी हुई हैं. इस जिले के सड़क मार्ग के माध्यम से आप बिहार के कई प्रमुख जगहों पर जा सकते हैं. आइये हम बात करते हैं बिहार की राजधानी पटना से सहरसा हम सड़क मार्ग के माध्यम से कैसे पहुँच सकते हैं. तो पटना से सहरसा के सड़क मार्ग में हम बात करते हैं वाया स्टेट हाईवे 88 की. इसकी दूरी 181 किलोमीटर तक में है. जिसे तय करने में लगभग साढ़े पांच घंटे तक का समय लग सकता है. तो बता दें की सबसे पहले हम दीघा पुल या फिर महात्मा गाँधी सेतु पुल के माध्यम से हाजीपुर जायेंगे. उसके बाद NH 322 होते हुए जन्दाहा. उसके बाद स्टेट हाईवे 88 के माध्यम से सिंघिया बुजुर्ग और इसके बाद स्टेट हाईवे 55 के माध्यम से फुलाहा. उसके बाद स्टेट हाईवे 88 से होते हुए सिंघिया, बलुआह, बानगाँव ईस्ट से NH231 होते हुए सहरसा पहुँच जायेंगे.

आइये अब जानते हैं वाया NH31 के बारे में. इस सड़क की दूरी 221 किलोमीटर तक में है. जिसे तय करने में लगभग 6 घंटे तक का समय लग सकता है. आइये अब विस्तार से जानते हैं इस रूट के बारे में. तो बता दें की पटना से NH22 से जीरो माइल मोर होते हुए NH 31 पर आयेंगे. फिर NH31 से होते हुए बख्तियारपुर, बाढ़ जिला, बेगुसराय, खगड़िया, महेशखुंट से होते हुए सहरसा पहुँच जायेंगे. पटना से सहरसा आप बस या फिर निजी वाहन के जरिये भी जा सकते हैं.

जानकारी के लिए बता दें की यदि आप सहरसा जिले में जा रहे हैं और आपको रास्ते में BR19 नंबर के वाहन दिखने लगे तो समझ जाइये की आप सहरसा जिले में प्रवेश कर चुके हैं.

  • रेल मार्ग

चलिए अब हम बात करते हैं इस जिले के रेल मार्ग के बारे में. बता दें की इस जिले के रेल मार्ग कई प्रमुख रेल मार्गो से जुड़े हैं. यहाँ का प्रमुख रेलवे स्टेशन सहरसा जंक्शन है. जिसका स्टेशन कोड SHC है. यदि आप पटना से सहरसा रेल मार्ग के जरिये जाना चाहे तो आपको पटना से कई ट्रेने सहरसा के लिए मिल जाएँगी. इनमे सबसे पहले है सहरसा राज्य रानी SF एक्सप्रेस. इस ट्रेन का समय दोपहर साढ़े बारह बजे पटना जंक्शन से है और यह ट्रेन आपको सहरसा शाम के समय साढ़े चार बजे तक पहुंचा देगी. अब बात करते हैं कोसी सुपर एक्सप्रेस की. यह ट्रेन दोपहर के समय 3:40 मिनट पर पटना जंक्शन से है जो आपको रात के समय 9:35 मिनट पर सहरसा जंक्शन पहुंचा देगी. वहीँ रात के समय पटना जंक्शन से 10:35 मिनट पर सहरसा हमसफ़र एक्सप्रेस है जो की आपको सुबह के 4 बजे सहरसा जंक्शन पहुंचाएगी. फिर सुबह के समय में हीं 7:15 मिनट पर सहरसा इंटरसिटी एक्सप्रेस है. जो की सहरसा जंक्शन पर दोपहर के समय 1:35 मिनट पर पहुंचा देगी. पटना जंक्शन से सुबह 9:20 मिनट पर जनहित एक्सप्रेस भी है जो की दोपहर के समय 3 बजे तक सहरसा जंक्शन पर पहुंचा देगी.

  • हवाई मार्ग

आइये अब जानते हैं इस जिले के हवाई मार्ग के बारे में. तो बता दें की इस जिले का अपना कोई हवाई मार्ग नहीं है. इसका निकटतम हवाई अड्डा पटना का हवाई अड्डा है. देश के किसी भी कोने से आप पटना के हवाई अड्डे पर आ सकते हैं. और फिर पटना के हवाई अड्डे से आप रेल या सड़क मार्ग के जरिये सहरसा आसानी से पहुँच सकते हैं. बता दें की इस जिले में सड़क और रेल मार्ग के माध्यम से सहरसा कैसे पहुंचना है इसकी चर्चा हम पहले भी कर चुके हैं.

पर्यटन स्थल

चलिए अब जानते हैं इस जिले के पर्यटन स्थल के बारे में.

  • तो पर्यटन स्थलों की सूचि में हम सबसे पहले जानेंगे इस जिले के धार्मिक स्थल श्री उग्रतारा स्थान, महिषी के बारे में. यह सहरसा स्टेशन से 17 किलोमीटर दूर महिसी प्रखंड के महिसी गाँव में स्थित है. ऐसा कहा जाता है की यह मंदिर काफी प्राचीन है जहाँ भगवती तारा की प्रतिमा आपको देखने को मिल जाएगी. धार्मिक स्थल के रूप में यह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है.

  • आइये अब हम बात करते हैं सूर्य मंदिर कंदाहा के बारे में. अक्सर हम सूर्य मंदिर के रूप में प्रसिद्ध कोणार्क और देव सरीखा के बारे में जानते हैं. लेकिन सहरसा के महिषी प्रखंड में स्थित सूर्य मंदिर कंदाहा भी काफी प्राचीन मंदिरों में से एक है. मंदिर की प्राचीन महत्वता तो काफी अधिक है. लेकिन सरकारी उपेक्षा और प्रशासनिक उदासीनता के कारण यह गुमनामी के कगार पर है. सूर्य पुराण और महाभारत के अनुसार इस मंदिर का निर्माण श्री कृष्ण के बेटे साभ्य द्वारा करवाया गया था. यानी इस मंदिर का निर्माण द्वापर युग में हीं हो चूका था. बता दें की इस मंदिर में राशियों में प्रथक मेष राशि के साथ सूर्य की प्रतिमा स्थापित देखने को मिलेगी. यहाँ एक कुंआ भी स्थापित है जिसे लेकर ऐसी मान्यता है की इस कुंआ के पानी से नहाने से सफ़ेद रोग या फिर चर्म से जुड़े रोग खत्म हो जाते हैं. इसके अलावे महिषी में हीं एक संत बाबा कारू खिरहरी मंदिर भी है जो धार्मिक रूप से लोगों के बीच काफी प्रसिद्ध है.

  • चलिए अब हम बात करते हैं चंडिका स्थान बिराटपुर, सोनबरसा के बारे में. यह स्थान महाभारत काल के राजा बिराट से जुड़ा है. ऐसा कहा जाता है की पांडवों ने यहाँ निर्वासन के समय काफी समय व्यतीत किया था.

  • पर्यटन स्थलों के सूचि में अब बात करते हैं बाबाजी कुटी, बनगांव सहरसा के बारे में. यह जगह सहरसा जिला मुख्यालय से नौ किलोमीटर पश्चिम की दिशा में स्थित है. यह जगह सभी पंथ और धर्म के लोगों के लिए महान सम्मान का केंद्र बना रहता है.

  • आइये अब हम जानते हैं दुर्गा मंदिर, औकाही, सत्तर कटैया के बारे में. यह जगह सहरसा जिले के सत्तर कटैया प्रखंड में स्थित है. खुदाई के समय यहाँ माँ दुर्गा की एक प्राचीन मूर्ति सामने आई थी. आगे चल कर यहाँ मंदिर की स्थापना कर दी गयी. प्रत्येक वर्ष यहाँ महा अष्टमी पूजा के दौरान भव्य पूजा और मेले का आयोजन होता है. जिसका दर्शन करने दूरदूर से लोग यहाँ पहुँचते हैं.

  • आइये अब पर्यटन स्थल की सूचि में हम अंतिम में बात करते हैं रक्तकाली मंदिर, मत्स्यगंधा के बारे में. सहरसा जिले के मत्स्यगंधा इलाके में स्थित रक्त काली मंदिर लोगों के बीच आस्था का केंद्र बनी रहती है. इस जगह पर बिहार सरकार द्वारा सुन्दर पर्यटक परिसर भी स्थापित किया गया है. यहाँ अक्सर कई पर्यटकों का जमावड़ा आपको देखने को मिल जायेगा.

कृषि और अर्थव्यवस्था

चलिए अब जानते हैं इस जिले के कृषि और अर्थव्यवस्था के बारे में. बता दें की पूरे कोसी क्षेत्र को सबसे बड़ा ईट उत्पादन केंद्र भी माना जाता है. जो की यहाँ के अर्थव्यस्था में भी अपनी मुख्य रूप से भूमिका निभाती हैं. इसके अलावे यहाँ कृषि, पशुपालन या छोटेमोटे उद्योग और व्यवसाय भी लोगों के आय का मुख्य स्रोत हैं.

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