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सलीम दुर्वोरानी : जो दर्शकों की डिमांड पर छक्का मार देता था

Bihari News

भारत का वह खिलाड़ी, जो दर्शकों की डिमांड पर छक्का मारता था

अफगानिस्तान में जन्मे भारत के लिए खेले अंतराष्ट्रीय क्रिकेट

पहले भारतीय क्रिकेटर, जिन्हें अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया था

शानदार ऑलराउंडर, जो दर्शकों के डिमांड पर लगाता था सिक्सर

खिलाड़ी जो हीरो की तरह लगता था, अपने ऑलराउंड खेल से जिसने भारत को दिलाए कई यादगार जीत

भारतीय क्रिकेट का इतिहास बेहद ही हैरतंगेज और दिलचस्प रहा है. एक से बढ़कर एक खिलाड़ी हुए, जिन्होंने अपने खेल से इतिहास लिखा है और करोड़ों क्रिकेट लवर्स का दिल जीता है. भारतीय क्रिकेट में कुछ ऐसे धुरंधर हुए हैं जिन्होंने अपने प्रदर्शन से ऐसा कमाल किया है जिसकी चर्चा आज भी होती है. ऐसे ही एक खिलाड़ी की आज बात करने वाले हैं. इस खिलाड़ी का जन्म अफगानिस्तान में हुआ था लेकिन वो भारत के लिए खेले और उन्होंने भारतीय दर्शकों का दिल इस कदर जीता कि कहानी बन गई.

आज के अंक में बात होगी एक भारत के ऐसे क्रिकेटर की, जो अपने प्रशंसकों की मांग पर छक्का जड़ देते थे. हम बात कर रहे हैं टीम इंडिया के पूर्व दिग्गज खिलाड़ी सलीम दुर्रानी के बारे में. इस लेख में हम सलीम दुर्रानी के जीवन से जुड़ी कुछ जानीअनजानी और अनकही बातों को जानने की कोशिश करेंगे.

किसी फिल्मी हीरो की तरह आकर्षक लगने वाले, खुशमिजाज व्यक्तित्व के धनी सलीम दुर्रानी का जन्म 11 दिसंबर, 1934 को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में हुआ था. उनके पिता का नाम अब्दुल अजीज था. सलीम दुर्रानी के पिता अब्दुल अजीज एक अच्छे क्रिकेटर थे, जो एक बार 1935-36 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक अनौपचारिक टेस्टमैच में भारत के लिए खेले थे. जब सलीम दुर्रानी केवल 8 महीने के थे तभी उनका परिवार अफगानिस्तान से कराची आ गया. बंटवारे के बाद पिता कराची चले गए और एक कोच के रूप में काम करने लगे. ऐसा माना जाता है कि उनका एक छात्र कोई और नहीं बल्कि पाकिस्तान के महान सलामी बल्लेबाज हनीफ मोहम्मद थे. पिता तो कराची चले गए लेकिन बंटवारे के बाद सलीम दुर्रानी अपनी माता के साथ गुजरात के जामनगर में रहने लगे थे.

सलीम दुर्रानी को बचपन से ही खेलों के प्रति गजब की दिलचस्पी थी, बचपन में वह क्रिकेट, टेनिस, और फुटबॉल जैसे अलगअलग खेलों में भाग लिया करते थे. हालांकि क्रिकेट ही उनका पहला प्यार था. सलीम एक बाएं हाथ के आक्रामक बल्लेबाज थे जो दाएं हाथ से स्पिन गेंदबाजी भी करते थे. दुर्रानी ने अपने घरेलु क्रिकेट की शुरुआत 1953 में की, सबसे पहले उन्होंने सौराष्ट्र की टीम के लिए खेला, इसके बाद 1954 से 1956 तक गुजरात के लिए और 1956 से 1978 तक राजस्थान के लिए खेलते नजर आए.

1960 में सलीम दुर्रानी ने 25 साल की उम्र में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना टेस्ट अंतराष्ट्रीय डेब्यू किया था, यह मैच मुंबई में खेला गया था. अपने इंटरनेशनल करियर में सलीम ने 29 टेस्ट मैच खेले, जिसमें उन्होंने 1202 रन बनाए. इस दौरान उन्होंने 1 शतक और 7 अर्द्धशतक बनाए. वहीं सलीम दुर्रानी के नाम 75 विकेट भी दर्ज हैं. अंतराष्ट्रीय टेस्ट क्रिकेट में दुर्रानी का बैटिंग एवरेज 25 से ज्यादा था, जो उस वक्त काफी अच्छी कहलाती थी.

1961-62 में इंग्लैंड के विरुद्ध 5 मैचों की टेस्ट श्रृंखला में भारत की 2-0 से जीत में दुर्रानी ने अहम भूमिका निभाई थी. 1961-62 में इंग्लैंड के खिलाफ श्रृंखला में दुर्रानी का सबसे बड़ा क्षण आया, जब उन्होंने कोलकाता में 8 विकेट लिए तो अगले मैच में चेन्नई में 10 विकेट लिए. उस सीरीज में भारत ने जीत का स्वाद चखा था.

1964 में वेस्टइंडीज के खिलाफ किया कमाल

वह 1964 भारत का वेस्टइंडीज दौरा था, सीरीज के चौथे टेस्ट में सलीम दुर्रानी द्वारा खेली गई उस पारी को आज भी याद किया जाता है. दरअसल, पोर्ट ऑफ स्पेन में खेले गए उस टेस्ट मैच में वेस्टइंडीज ने पहले बल्लेबाजी करते हुए पहली पारी में 444 रन बनाए थे, जिसके बाद भारतीय टीम पहली पारी में सिर्फ 197 रन ही बना सकी थी. ऐसे में भारतीय टीम को फोलोऑन मिला. यहां से भारत को एक शर्मनाक हार नजर आ रही थी. लेकिन दूसरी पारी में कमाल हो गया. दुर्रानी ने 104 रन बनाए और पॉली उमरीगर के 172 रनों की पारी की बदौलत भारतीय टीम 422 रन बनाने में सफल रही. वेस्टइंडीज को जीत के लिए 176 रनों का टारगेट मिला. हालांकि वेस्टइंडीज की टीम यह मैच जीतने में सफल रही लेकिन पॉली उमरीगर और सलीम दुर्रानी की पारी को लोग आज भी याद करते हैं. क्योंकि वेस्टइंडीज की टीम उस वक्त सबसे शक्तिशाली टीम हुआ करती थी.

1971 में वेस्टइंडीज में पहली टेस्ट जीत में भी दुर्रानी ने अहम भूमिका निभाई थी. सलीम दुर्रानी ने अपना अंतिम टेस्ट मैच फ़रवरी, 1973 में इंग्लैंड के खिलाफ खेला था.

सलीम दुर्रानी फैंस के बीच काफी पोपुलर थे, इसका नजारा साल 1973 में इंग्लैंड के खिलाफ कानपुर टेस्ट में उनको प्लेइंग-11 में शामिल नहीं किया गया था, जिसके बाद फैंस ने मैच के दौरान साइनबोर्ड पर नो दुर्रानी नो टेस्ट लिखकर इसका विरोध किया था‘.

क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद सलीम दुर्रानी बड़े पर्दे पर भी नजर आए. अपने जमाने की खुबसूरत बॉलीवुड अभिनेत्री परवीन बोबी के साथ दुर्रानी फिल्मों में काम कर चुके हैं. 1973 में क्रिकेट से रिटायर होने के बाद दुर्रानी ने चरित्रनाम फिल्म में काम किया जिसमें उनकी हीरोइन परवीन बौबी थीं. कहा जाता है कि सलीम दुर्रानी और परवीन बौबी के अफेयर्स की बहुत चर्चा हुई थी. अभिनेत्री मीना कुमारी के साथ भी उनकी नजदीकियां चर्चा का विषय बनी थी. इसके अलावा तमिल और तेलुगु फिल्मों की अभिनेत्री सावित्री के साथ भी उनके संबंध रहे थे. सावित्री साउथ के सुपरस्टार जेमिनी गणेशन और बॉलीवुड अभिनेत्री रेखा के पिता की दूसरी पत्नी थी.

क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद दुर्रानी ने कोच और कमेंटेटर के रूप में काम किया. भारतीय क्रिकेट में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें 1961 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. दुर्रानी को 2011 में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड(BCCI) द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था. वह भारतीय क्रिकेट इतिहास में एक प्रसिद्द शख्सियत बने हुए हैं और उन्हें मैदान पर उनके उल्लेखनीय प्रदर्शन के लिए याद किया जाता है.

60-70 दशक में सलीम दुर्रानी ने अपने ऑलराउंड प्रदर्शन से अलग पहचान बनाई थी. भारतीय क्रिकेट इतिहास में दुर्रानी एक शानदार ऑलराउंडर के तौर पर जाने जाते हैं. सलीम दुर्रानी पहले ऐसे भारतीय क्रिकेटर हैं जिन्हें अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया था. दर्शकों के कहने में छक्का जमाने के लिए दुर्रानी काफी मशहूर थे. वे 60-70 दशक में आतिशी बल्लेबाजी करने के लिए जाने जाते थे. वह एकमात्र भारतीय टेस्ट क्रिकेटर हैं, जो अफगानिस्तान में पैदा हुए थे.

2 अप्रैल, 2023 को 88 वर्षीय सलीम दुर्रानी हम सबको छोड़कर चले गए. उन्हें कैंसर था. दुर्रानी अपने भाई जहांगीर दुर्रानी के साथ गुजरात के जामनगर में रहते थे. साल के शुरुआत में उनके जांघ की हड्डी टूट गई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुर्रानी के निधन पर दुःख जताया था. नरेंद्र मोदी कहते हैं, सलीम दुर्रानी जी महान क्रिकेटर थे और अपने आप में एक संस्थान थे. मुझे उनसे बात करने का मौका मिला और मैं उनकी बहुमुखी प्रतिभा से काफी प्रभावित रहा. उनकी कमी निश्चित तौर पर खलेगी.”

महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने एक बार लिखा था कि अगर सलीम दुर्रानी आत्मकथा लिखेंगे तो उसका शीर्षक होगा, ‘आस्क फॉर अ सिक्स.’

दर्शकों के डिमांड पर छक्का जमाने वाले सलीम दुर्रानी को चक दे क्रिकेट की टीम अपनी विनम्र श्रधांजलि अर्पित करती है. क्रिकेट के इंटरेस्टिंग स्टोरीज, खबरों और रिकॉर्ड के लिए बने रहें हमारे साथ.

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