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इस मंदिर में है हनुमान जी की सिर के बल उल्टी खड़ी प्रतिमा

Ratnasen Bharti

भारत में भगवान राम के मंदिरों से कहीं अधिक उनके परम भक्त हनुमान जी के मंदिर हैं। हनुमान जी का नाम जपने से भक्तों के कष्ट मिट जाते हैं। देश में हनुमान जी के अनेक चमत्कारी मंदिर हैं। हनुमान जी की लेटी , बैठी और खड़ी सब तरह की प्रतिमाओं वाले मंदिरों के दर्शन तो आपने बहुत किये होंगे या उनके बारे में सुना होगा। लेकिन क्या आपने हनुमान जी की सिर के बल उलटी खड़ी प्रतिमा वाली मंदिर के बारे में सुना है ? यदि नहीं तो आइये हम आपको बताते हैं।

विश्व की इकलौती ऐसी प्रतिमा

मध्‍य प्रदेश की आर्थिक राजधानी माने जाने वाले इंदौर शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर उज्‍जैन जाने के मार्ग पर एक सांवेर नाम का इलाका है। यहीं पर हनुमान जी का एक प्रसिद्ध और अत्‍यंत मान्‍यता प्राप्‍त प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है यहां सिर के बल उल्टे खड़े हनुमान जी की मूर्ति है जो विश्व की इकलौती ऐसी प्रतिमा मानी जाती है। यह मंदिर भक्तों की आस्था का एक बड़ा केंद्र है। हनुमान जी की खड़ी और बैठी हुई सामान्‍य मूर्तियां तो लगभग सभी मंदिरों में हैं। इसके अलावा इलाहाबाद और कुछ एक दो स्थानों पर उनकी लेटी हुई प्रतिमा भी देखी गई हैं, लेकिन सिर के बल उल्‍टे खड़े हनुमान जी प्रतिमा मिलना दुर्लभ, या कहिए लगभग असंभव ही है।

इस मंदिर में उल्टे हनुमान विराजे

इस मंदिर में उल्टे हनुमान विराजे हैं। इस मंदिर में मौजूद पवनपुत्र की इस अद्भुत प्रतिमा के दर्शनों के लिए देशभर से भक्त आते हैं। मंदिर में हनुमान जी के साथ ही भगवान राम, सीता माता, लक्ष्मण जी, और शिव पारवती की मूर्तियां भी हैं। इंदौर पहुंचकर सड़क मार्ग से आसानी से सांवेर स्थित उलटे हनुमान जी के मंदिर में दर्शन करने के लिए पहुंचा जा सकता है।

क्या है मंदिर से जुड़ी कथा

ऐसा कहा जाता है कि ये प्रतिमा हनुमान जी की पाताल विजय की प्रतीक है। रामायण के एक प्रसंग अनुसार, जब भगवान श्रीराम और रावण का युद्ध हो रहा था। तब पातालराज अहिरावण ने एक चाल चली, वो वेश बदल कर राम की सेना में शामिल हो गया। एक रात्रि जब सभी लोग सो रहे थे, उसने अपनी मायावी शक्ति से श्रीराम और लक्ष्मण को मूर्छित कर उनका अपहरण कर लिया और उन्‍हें पाताल लोक ले गया। जब श्री राम की वानर सेना को इस बात का पता चला तो हड़कंप मच गया। तब एक कबूतरकबूतरी के वार्तालाप से हनुमान जी को पता चलता है कि अहिरावण उनके आराध्‍य को पाताल ले गया है, और उनकी बलि देने की तैयारी चल रही थी। तब हनुमान जी उन दोनों की खोज में पाताल लोक पहुंच जाते हैं और अहिरावण से युद्ध कर उसका नाश करके रामलक्ष्मण को सुरक्षित वापस ले आते हैं।

इस रास्ते से हनुमान जी पाताल लोक में गए थे

जिस वक्त हनुमान जी पाताल लोक जाने के लिए प्रवेश कर रहे थे उस वक्त उनके पैर आकाश की ओर और सिर धरती की ओर था. इसी वजह से हनुमान जी के उल्टे स्वरुप की प्रतिमा स्थापित की गई और उनके इस उल्टे रूप की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस मंदिर में स्थित हनुमान जी की मूर्ति बहुत चमत्कारी है, जिनके दर्शन मात्र से ही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।

उल्टे हनुमान मंदिर को लेकर किवदंतियां हैं कि इस मंदिर में अगर कोई भी व्यक्ति 3 या 5 मंगलवार तक बजरंगबली के दर्शनों के लिए लगातार आता है तो उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. इतना ही नहीं उसकी सभी मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती हैं. मंदिर में मंगलवार को हनुमानजी को चोला चढ़ाने की मान्यता है. मंदिर में स्थित हनुमान प्रतिमा को अत्यंत चमत्कारी माना जाता है.

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