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वह मशहूर अंपायर जिसे भारतीय क्रिकेट फैन्स ने कहा 6 फूट का रावण

Bihari News

आज बात एक ऐसे शख्स की करेंगे जो क्रिकेट की दुनिया में काफी लोकप्रिय हुआ. लेकिन इस शख्स का विवादों से भी गहरा नाता रहा है. क्रिकेट के इस 22 गज की दूरी में कितने ही विवाद बनते हैं, पलते हैं, और सुलह भी हो जाते हैं. लेकिन आज हम आपको जिस व्यक्ति के बारे में बताने वाले हैं उस शख्स ने भारतीय खिलाड़ियों को सबसे ज्यादा परेशान किया था. तभी तो इस खिलाड़ी को भारतीय फैंस 6 फूट का रावण कहा करते थे. इस व्यक्ति को भारतीय टीम से उलझने का नतीजा हुआ कि उसका कैरियर दो साल पहले ही समाप्त हो गया. अबतक आपको क्या लग रहा है यह कोई बल्लेबाज, है या कोई गेंदबाज है या फिर विकेटकीपर है. अगर अब तक आपको समझ में आ गया होगा तो आप हमें कमेंट करके जरूर बताएं. यह विश्व क्रिकेट का बहुचर्तित अंपायर स्टीव बकनर हैं जो अंपायरिंग के समय अपने डिसिजन के लिए हमेशा याद किये जाते रहेंगे. खासकर भारत के खिलाफ उनके डिसिजन काफी विवादित रहे हैं. सचिन तेंदुलकर के तो वे सबसे बड़े दुश्मनों में से एक थे.

स्टीव बकनर का जन्म 31 मई 1946 को जमैका में हुआ था. शुरुआती दिनों में बकनर को क्रिकेट से ज्यादा फुटबॉल में दिलचस्पी थी साल 1960 के लीग में बकनर बतौर गोलकीपर खेले थे. इसके बाद साल 1964 में ब्राजील के खिलाफ उन्होंने अपनी टीम के लिए गोल किये थे. इसी गोल की वजह से यह मैच ड्रा हो पाया था. इसके बाद बकनर अपने फुटबॉल कैरियर में रेफरी की भुमिका में आ गए थे. हालांकि उन्होंने फुटबॉल के साथ ही गणित के टीचर भी रहे हैं. ऐसे में क्रिकेट की दुनिया में आने से पहले वे एक फुटबॉलर थे उसके बाद शिक्षक और फिर मैच रेफरी उसके बाद क्रिकेट में अपांयर बने.

स्टीव बकनर के के अगर हम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच में अंपायरिंग की बात करें तो इन्होंने अंपायरिंग की शुरुआत भारत और वेस्टइंडीज के बीच एंटीगुआ में खेले गए टेस्ट मैच में बकनर ने अपना पहला टेस्ट मैच अंपायरिंग किया था. इस दौरान उन्होंने कुछ मुकाबलों में अंपायरिंग की उसके बाद साल 1992 में ऑस्ट्रेलिया में होने वाले विश्वकप के लिए अंपायरिंग करने के लिए चुन लिया गया था. इस समय तक बकनर के बड़े मैचों में अंपायरिंग नहीं किये थे लेकिन 1992 के विश्वकप के फाइनल में उन्हें अंपायरिंग करने का मौका मिला और उसका उन्होंने फायदा उठाया. जिसका नतीजा हुआ कि आने वाले चार विश्वकप में वे बतौर अंपायर की भूमिका में विश्वकप में दिखाई दिए. अब आपको लग रहा होगा कि इतना बेहतरीन अंपायर होने के बाद भी भारतीय फैन्स क्यों स्टीव बकनर पर कई सवाल खड़े कर रहे हैं.

जरा याद करिए अपने गांव के क्रिकेट को जब कोई अंपायर किसी खिलाड़ी को गलत तरीके से आउट दे दे तो क्या होता है. वहां तो रिव्यू सिस्टम भी नहीं है कि फिर से देखा जाए और उसमें फेरबदल किया जाए. वहां तो स्थिति यह होती है कि मारपीट जैसे हालात उत्पन्न हो जाते हैं. अब जरा सोचिए उस छोटे से स्थान का खिलाड़ी जिसका दर्शक भी गिना चुना है उसके बीच में इस तरह के हालात रहते हैं और क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर को अगर आप साफ साफ आउट करार देते हैं तो इसका मतलब समझिए क्या होने वाला है.

वह साल 2003 का था और सचिन तेंदुलकर ब्रिसबेन में बल्लेबाजी कर रहे थे और उन्हें एलबीडब्लू आउट करार दिया गया था. बता दें कि उस समय ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज जेसन गिलेस्पी गेंदबाजी कर रहे थे. गिलेस्पी की अधिक बाउंस वाली गेंद को छोड़ते हुए सचिन ने अपना बल्ला पीछे किया और गेंद पैड के ऊपर जाकर लगते हुए किपर के पास चली गई. ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाज और उनके खिलाड़ियों ने आउट की अपील की और उन्हें आउट करार दे दिया गया. इस डिसीजन पर सचिन ने उसी समय नाराजगी जताई थी लेकिन आउट दिए जाने के बाद जाने के अलावा कोई विकल्प बचता नहीं है. इस डिसीजन को लेकर बकनर की खुब किरकिरी हुई थी.

इससे पहले साल 2000 में इंग्लैंड और पाकिस्तान के बीच में मैच खेला जा रहा था. जिसमें बकनर ने पाकिस्तान के खिलाड़ी सकलेन मुश्ताक की गेंद पर इंग्लैड के पूर्व कप्तान नासिर हुसैन को LBW करार दिया गया था. जबकि उस वह गेंद नासिर हुसैन के बैट पर लगने के बाद उनके पैड पर लगी थी उसके बाद भी उन्हें LBW करार दिया गया था. हुसैन विकेट पर खड़े रहे उन्हें तो लग रहा था कि वे आउट है लेकिन उन्हें आउट करार दे दिया गया था. अगला घटना साल 2008 का है यह मैच भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच में खेला जा रहा था. जिसमें राहुल द्रविड़ को काउट बिहाइंड आउट करार दे दिया गया था. जबकि बॉल तो द्रविड़ के बैट के आसपास भी नहीं था. बकनर का एक और गलत फैसला साल 2007-08 के बॉर्डर गवास्कर ट्रॉफी के दौरान देखने को मिला जिसमें मंकी गेट जैसे विवाद सामने आ गया. दरअसल इस मैच में ईशांत शर्मा की गेंद पर एंट्रडू सायमंड्स का ऐज लगा और एमएस धोनी ने कैच करते हुए आउट की अपील की लेकिन इतना मोटा एज होने के बाद भी बकनर पर इसका कोई असर नहीं हुआ और उन्होंने सायमंड्स को नॉटआउट दे दिया. बाद में रिप्ले में अल्ट्रा एज में देखा गया कि बल्ले का एक बड़ा हिस्सा बॉल से टच हो रहा था. इसी तरह का एक फैसला उनका साल 2005 में सामने आया था जब भारत और पाकिस्तान के बीच में मैच खेला जा रहा था यह मैच कोलकाता में खेला जा रहा था जब अब्दुल रज्जाक की गेंद पर बकनर ने सचिन तेंदुलकर को काउट बिहांड आउट करार दिया था जबकि इस गेंद के बारे में विकेट के पिछे खड़े कामरान अकमल और सचिन को अच्छे से पता था कि गेंद और बैट के बीच में दूरी काफी है लेकिन इसके बाद भी बकनर ने आउट दिया था. साल 2008 में सिडनी टेस्ट मैच में सचिन तेंदुलकर के आउट और भारत की हार में बकनर का बहुत बड़ा योगदान रहा था. इसके बाद तीसरा टेस्ट मैच पर्थ में होना था जिसमें से अंपायर स्टीव बकनर को हटा दिया गया था. उनकी जगह पर बिली बोडेन को लाया गया था.

बकनर ने अपनी गलतियों को बोलते हुए कहा था कि साल 2008 में सिडनी टेस्ट के दौरान दो गलतियां की. उन्होंने कहा कि पहली गलती यह थी कि जब भारत अच्छा प्रदर्शन कर रहा था उस समय मैंने एक ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज को शतक बनाने दिया. उन्होंने कहा कि मेरी दूसरी गलती जो मुकाबले में पांजवे दिन थी जिससे शायद भारत मुकाबला हार गया. उन्होंने कहा कि टेस्ट मैच के दौरान की गई गलतियों में यह दो फैसला हमें बहुत बेचैन करता है.

आपको बता दें कि भारतीय टीम ने अंपायरिंग को लेकर बकनर और बेंसन की अंपायरिंग को लेकर भारतीय टीम ने शिकायत की थी. इतना ही नहीं हरभजन सिंह और एंड्रयूं सायमंड्स के बीच जो मंकी गेट प्रकरण हुआ बता दें कि यह सीरीज इतना विवादित हो गया था कि बीच में ICC को आना पड़ा था. बकनर ने अपनी गलतियों को इस प्रकरण के 12 साल के बाद माना था.

स्टीव बकनर के अगर हम क्रिकेट कैरियर की बात करें तो इन्होंने सचिन तेंदुलकर को सबसे ज्यादा परेशान किया है. भारतीय फैंस इन्हें कई अलग अलग नामों से बुलाते थे. गलत निर्णय के कारण ही उन्हें अपना अंपायरिंग का कैरियर पहले समाप्त करना पड़ा था. बतौर अंपायर उनका आखिरी टेस्ट मैच साउथ अफ्रीका बनाम ऑस्ट्रेलिया का तीसरा टेस्ट मैच था. वहीं वनडे की बात करें तो आखिरी वनडे मुकाबला 29 मार्च को बारबाडोस में वेस्टइंडीज और इंग्लैंड के बीच में खेला गया था.

बकनर के नाम कुछ रिकॉर्ड भी दर्ज हैं जिसमें स्टीव बकनर 5 विश्वकप टूर्नामेंट में बतौर अंपायर खड़े. इन विश्वकप के फाइनल में भी अंपायरिंग करवाया है इस दौरान कुल 44 मैचों में अंपायरिंग करने का इनके नाम रिकॉर्ड दर्ज है. इसके साथ ही 100 अंतरराष्ट्रीय टेस्ट मैचों में अंपायरिंग करने वाले पहले अंपायर हैं. साल 2019 तक सबसे ज्यादा मैचों में अंपायरिंग करवाने वाले अंपायरों की लिस्ट में शामिल थे लेकिन उसके बाद उनका रिकॉर्ड पाकिस्तान के अलीम ददार ने तोड़ दिया है.

इंटरनेशनल क्रिकेट में 100 वनडे मैचों में अंपायरिंग करने के लिए ICC की तरफ से कांस्य बेल्स पुरस्कार से नवाजा गया था. वहीं 100 टेस्ट मैचों के लिए गोल्डन बेल्स पुरस्कार से नवाजा गया था.

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