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अब कम आमदनी करने वाले रेलवे स्टेशनों पर नहीं रुकेगी ट्रेन

Bihari News

रेलवे अपने यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए कई तरह के बदलाव करते रहा है. इन्ही बदलावों को ध्यान में रखते हुए रेलवे ने कोरोना काल के बाद अपने कई नियमों में बदलाव किया है जिसके बाद से ट्रेनों में में यात्रियों की संख्या में इजाफा हुआ है तो वहीं भारतीय रेलवे एक बार फिर से पटरी से दौड़ने लगी है. इन दिनों मीडिया में एक खबर सुर्खियां बटोर रही है जिसमें यह बताया जा रहा है कि अब एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव उन्ही स्टेशनों पर मिलेगा जहां पर रेलवे को कमाई होगी. ऐसे में रेलवे की तरफ से यह बताया जा रहा है कि जितनी टिकट से आमदनी रोजाना 15 हजार से ज्यादा की होगी तब ही उस स्टेशन पर एक्सप्रेस ट्रेनें रुक सकेंगी. बता दें कि वर्तमान में जो नियम है उसके अनुसार पांच हजार तक की कमाई वाले स्टेशनों पर अस्थाई स्टॉपेज की सुविधा मिलती है. रेलवे की तरफ से यह नियम 29 अगस्त को को रेलवे बोर्ड के डिप्टी डायरेक्टर कोचिंग विवेक कुमार ने आदेश किया था.

मीडिया में चल रही खबरों की माने तो एक स्टेशन पर ट्रेनों के रुक कर चलेन पर करीब 25 हजार रुपये खर्च होते हैं, इस खर्च में बिजली, डीजल और कर्मचारियों का वेतन इसके साथ ही स्टेशन और ट्रेन की सफाई और यात्रियों को मिलने वाली सुविधा शामिल होती है. ऐसे में यह कहा जा रहा है कि जिस स्टेशन से 20 से कम यात्री सवार होते हैं उस स्टेशन पर ट्रेनों का स्टॉपेज समाप्त हो जाएगा. आपको बता दें कि नॉर्थ रेलवे में ऐसे 20 से अधिक ऐसे स्टेशन हैं जहां पर यात्रियों की संख्या में काफी कमी देखी गई है. आपको बता दें कि रेलवे के इस आदेश के जारी होने से पहले जिन स्टेशनों पर स्टॉपेज था वहां पर यह यथावत रहेगा.

रेलवे के इस नए आदेश के लागू हो जाने के बाद से नौतनवा-दुर्ग एक्सप्रेस को लक्ष्मीपुर स्टेशन तो गोरखपुर-मैलानी एक्सप्रेस के बृजमनगंज स्टेशन पर ठहराव दिया जाएगा. बतादें कि मुजफ्फरपुर-बनारस बापूधाम एक्सप्रेस को सिसवा बाजार स्टेशन पर ठहराव दिया गया है बताया जा रहा है कि इन स्टेशनों को रोजाना आमदनी 15 हजार से ज्यादा है.

सरकार के इस फैसले के बाद ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महामंत्री शिव गोपाल मिश्र ने बताया है कि सरकार रेलवे को बेचने का काम किया तो बिना नोटिस चक्का जाम होगा. सरकार बैकडोर की जगह फ्रेटडोर से रेलवे को बेचने की योजना बना रही है. सरकारी दादरी से मुंबई तक डेडिकेटेड फ्रेंट कॉरिडोर को मित्र को देने की तैयारी कर रही है. उन्होंने कहा कि जब फ्रेट ही मारे हाथ से निकल जाएगा तो बचेगा क्या. उन्होंने कहा कि फेडरेशन रेलवे को बेचने नहीं देगा.इसी तरह से कई रेलवे डिविजन के मजदूर युनियन की तरफ से इस तरह का बयान सामने आ रहा है जिसमें रेलवे के नए नियमों को विरोध किया जा रहा है.

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