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एक बहरा कैसे बना टीम इंडिया का बेस्ट ऑलराउंडर

Bihari News

क्रिकेट को भारत में इतना लोकप्रिय बनाने में जितना योगदान खिलाड़ियों का है उससे कहीं ज्यादा योगदान देश की जनता का है जो क्रिकेट को एक धर्म की तरह पूजती है। भारत के लोगों ने इस खेल को जात पात से परे उठकर अपनाया है। यही वजह है कि क्रिकेट भारत में हर एक क्रिकेट प्रेमी के खून के अंदर दौड़ता है। दोस्तों क्रिकेट में अक्सर देखा गया है कि किसी परिवार में पीढी दर पीढी क्रिकेट खेलने की परंपरा रही है। कई ऐसे खिलाड़ी होते है जो घरेलू क्रिकेट में अच्छा खेलने के बाद भी टीम इंडिया के लिए नही खेल पाते.. लेकिन उनके अंदर क्रिकेट और देश के लिए खेलने का जो जज्बा और जुनून रहता है उसे एक दिन अमल जरूर करते है। लेकिन अगर खुद देश के लिए नहीं खेल पाए तो अपने बेटे को जरूर देश के लिए खेलने को प्रोत्साहित करते है। कुछ ऐसा ही हुआ है टीम इंडिया के दमदार और शानदार ऑलराउंडर वॉशिंगटन सुंदर के साथ जिनके पिता ने एक सपना देखा देखा था कि वह एक दिन टीम इंडिया के लिए खेलेंगे। लेकिन उनका सपना महज एक सपना रह गया…

नमस्कार दोस्तों आप देख रहे हैं चेक दे क्रिकेट की खास पेशकश और आज हम लेकर आए है एक और खिलाड़ी के जीवन से जुड़ी संघर्ष भरी कहानी जिसके पिता ने अपने बेटे के लिए दिन रात एक कर दिए । और उस खिलाड़ी की एक बीमारी का मजाक उसके दोस्ती उड़ाते थे। लेकिन उसने मजाक को अपनी ताकत बनाई और बन गया टीम इंडिया का बेस्ट ऑलराउंडर क्रिकेटर, आज बात करने वाले है…. वॉशिंगटन सुंदर की…

6 फुट 1 इंच .. ऊंचे लंबे कद के छरहरे वॉशिंगटन सुंदर का जन्म 5 अक्टूबर 1999 को तमिलनाडू के चेन्नई में हुआ था। जो पहले मद्रास के नाम से प्रचलित था। वॉशिंगटन सुंदर के परिवार में पिता एम सुंदर , माता , भाई और एक बहन है। वॉशिंगटन सुंदर के पिता एम सुंदर 1993 से 1996 तक तमिलनाडु टीम के प्रोबेबल प्लेयर थे लेकिन वो कभी टीम के मेन स्वाड में जगह नहीं बना पाए। वॉशिंगटन सुंदर की मां एक हाउसवाइफ है बड़ी बहन मानिसुंदर शैलजा एक एक स्टेट लेवल क्रिकेटर है वाशिंगटन सुंदर का नाम उनके पिता ने गॉड फादर पीडी वाशिंगटन सुंदर के नाम पर रखा था। एम सुंदर जब क्रिकेट खेलने जाते थे तो अपने साथ 6 साल के बेटे वॉशिंगटन सुंदर को भी ले जाते। खाली सेशन के बीच पिता वॉशिंगटन सुंदर को प्रैक्टिस करवाते। वो जानते थे कि मैं अगर टीम इंडिया के लिए नहीं खेल पाया तो क्या हुआ अपने बेटे को इस लायक जरूर बनाऊंगा कि वो एक दिन भारत के लिए खेले। इसलिए पिता एम सुंदर रोज प्रैक्टिस करवाते थे। टेनिस बॉल से वाशिंगटन सुंदर को थ्रो डाउन देते थे जिसे सिर्फ हिट करना था। सुंदर को हिट करना काफी पसंद था। पिता ने सुंदर की बैटिंग पर गौर किया और देखा कि सुंदर आम बल्लेबाज की तरह क्रॉस शॉट नहीं खेलते है बल्कि सीधे बल्ले से सीधा शॉट खेलते हैं।

छोटी सी उम्र में ही वॉशिंगटन सुंदर बिना डरे तेज गेंदबाजी को अच्छा खेलते थे। पिता जब धीमी गेंद फेंकते जिससे सुंदर को चोट ना लग जाए लेकिन सुंदर पिता से कहते पापा मुझे धीमी गेंद मत डालिए आप जितनी तेज फेंक सकते हो फेकिए। सुंदर के खेल और जज्बे ने पिता को प्रभावित कर दिया था। पिता ने तब ठान लिया था कि बेटे के खेल को पहले और पढ़ाई को दूसरे स्थान पर रखूंगा । और हुआ कुछ ऐसा ही। पिता एम सुंदर ने बेटे से कहा तुम खेल पर ज्यादा ध्यान दो , पढ़ाई तो बाद में भी होती रहेगी। दोस्तों वाशिंगटन सुंदर को एक काम से सुनाई नहीं देता था। यह बात पिता भी जानते थे। सुंदर जब क्रिकेट सीख रहे थे तो उनके दोस्त उन्हे बहरा बोलकर मजाक बनाते लेकिन सुंदर का ध्यान सिर्फ खेल पर था। सुंदर ने कभी भी इस बीमारी को अपने करियर के आड़े नहीं आने दिया। और ना ही नाकामी का ठीकरा फोड़ा। जब वाशिंगटन 7 साल के थे तो मैच के दौरान उन्हें एक बाउंसर गेंद उनके हेलमेट में जा लगी। आंख के ऊपर लगी चोट में 7 टांके लगे थे। लेकिन अगले ही दिन सुंदर स्कूल मैच खेलने गए । और 30 रन की शानदार पारी खेली। सुंदर के घर में ही प्रैक्टिस पिच थी जहां सुंदर बैटिंग , बोलिंग और किंपिंग सभी में हाथ आजमाते। दस साल की उम्र से ही उन्हें एक ऑलराउंडर बनाने की कोशिश की गई । 12 साल की उम्र में वॉशिंगटन सुंदर ने चेन्नई लोकल डिविजन के 11 मैचों मे 596 रन बनाए थे और साथ में 33 विकेट भी झटके थे।

वॉशिंगटन सुंदर के खेल ने इतना प्रभावित किया कि कुछ सालो बाद 16 साल की उम्र में उन्हे टीम इंडिया की अंडर 19 टीम में चुन लिया गया वाशिंगटन सुंदर ने अंडर 19 विश्व कप में शानदार खेल दिखाते हुए वेस्टइंडीज के खिलाफ 112 रन बनाए। सुंदर की चमक ने सभी को प्रभावित किया था सुंदर के लिए अब फर्स्ट क्लास क्रिकेट ज्यादा दूर नहीं था।

वॉशिंगटन सुंदर अपने जीवन के 17 वें जन्म दिन के ठीक एक दिन बाद यानी 6 अक्टूबर 2016 को मुंबई के खिलाफ अपने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में डेब्यू किया। लेकिन सुंदर कुछ खास कमाल नहीं कर सके और आगे की राह कमजोर कर दी। इसका परिणाम उन्हे 2017 की मुस्ताक अली ट्राफी से बाहर निकल कर भुगदना पड़ा। सुंदर ने इस रिजेक्शन को पॉजिटिव लिया और कड़ी मेहनत की। उसी साल विजय हजारे ट्रॉफी में शानदार खेल दिखाया, तमिलनाडु के कोच ऋषिकेश कानितकर ने वॉशिंगटन सुंदर की प्रतिभा परख ली थी। उन्होंने आईपीएल की राइजिंग पुणे ज्वाइंट्स के मैनेजमेंट में सुंदर के नाम की पैरवी की । और नतीजे में फ्रेंचाइजी ने भरोसा किया और साल 2017 के आईपीएल में महज 17 साल की उम्र में वॉशिंगटन सुंदर को टी 20 क्रिकेट खेलने को मिल गई । जिसके कप्तान महेंद्र सिंह धोनी थे। जिस बॉलिंग एक्शन ने मॉर्डन क्रिकेट को खत्म सा कर दिया सुंदर के उसी एक्शन ने तहलका मचा दिया । उसके बाद उनकी किस्मत ही बदल गई। साल 2018 में तमिलनाडु प्रीमियर लीग में सुंदर के बल्ले ने जमकर आग उगला। साथ ही विकटों की झड़ी भी लगाई थी। घरेलू क्रिकेट में अच्छा खेल का इनाम उन्हे नेशनल क्रिकेट के दरवाजे खुलने पर मिले। 2017 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्हे टी 20 में चुना जाना था लेकिन यो यो टेस्ट से बाहर हो गए। सुंदर के माथे पर एक और रिजेक्शन लग गया। उन्होंने फिर मेहनत की। और अगले महीने श्री लंका के खिलाफ ओडीआई में उनका चयन हुआ। सुंदर ने श्री लंका के खिलाफ नीली जर्सी में डेब्यू किया। इसी सीरीज में उन्होंने टी 20 डेब्यू भी किया।

सुंदर ने साल दर साल आईपीएल में भी अच्छा प्रदर्शन किया। अब बारी थी तो टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू करने की। साल 2020-21 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई भारतीय टीम के साथ वॉशिंगटन सुंदर भी गए लेकिन सिर्फ एक नेट बॉलर की हैसियत से। लेकिन किस्मत कब पलट जाए कोई नहीं जानता। उसी सीरीज में आर अश्विन चोटिल हो गए और वॉशिंगटन सुंदर को मौका मिल गया। 15 जनवरी 2021 को वॉशिंगटन सुंदर ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट में भी डेब्यू कर लिया। जहां उन्होंने शानदार खेल दिखाया। उस सीरीज में भारत पहले टेस्ट में 36 रन पर ऑल आउट हुई थी । तब भारत की खूब हंसाई हुई। इसके बाद टीम ने वापसी की और कंगारुओं को उसी के घर में रौंदकर सीरीज भारत ले आए। सुंदर ने उस सीरीज में अहम योगदान दिया था।

दोस्तों ये तो रही वाशिंगटन सुंदर के क्रिकेट करियर में आए उतार चढ़ाव की। अब बात करते हैं उनके कुछ कीर्तिमान और उपलब्धियों की…

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 55 नंबर की जर्सी पहनने वाले वॉशिंगटन सुंदर ने अभी तक सिर्फ 4 टेस्ट मैच खेले है जिसमें उन्होंने 265 रन बनाए है और 6 विकेट लिए है। ओडीआई की बात करें तो साल 2017 से अब तक 16 ओडीआई में 233 रन बनाए है और 16 विकेट हासिल किए। तो वहीं अंतरराष्ट्रीय टी 20 क्रिकेट में 35 मैचों मे महज 107 रन बनाए है। इसमें 29 विकेट लिए है।

बाएं हाथ से बैटिंग करने और लेफ्ट आर्म स्पिन करने वाले वॉशिंगटन सुंदर ने आईपीएल में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर और सनराइजर्स हैदराबाद की ओर से खेलते हुए कुल 51 मैच खेले है जिसमें 318 रन बनाए और 33 विकेट लिए है। साल 2018 में 3.20 करोड़ में बैंगलोर की तरफ से खेलने वाले सुंदर को इस साल हैदराबाद में 8.75 करोड़ में खरीदकर शामिल किया है।

दोस्तों दो महीने बाद शुरू हो गए आईपीएल में वॉशिंगटन सुंदर इस बार क्या कुछ खास कमाल कर पायेंगे। आप हमें अपनी राय वीडियो में कमेंट करके बता सकते है ऐसी ही इंट्रेस्टिंग वीडियो और खबरों के लिए बने रहिए हमारे साथ, अगले अंक में फिर मिलेंगे एक और खिलाड़ी की जीवनी के साथ.

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