इस बार मौसम से हर कोई बेहाल नज़र आ रहा है. बिहार के कई जिलों में तो हीटवेव या फिर गर्मी को लेकर अलर्ट भी देखने को मिला. लेकिन क्या आपको पता है की बिहार का सबसे गर्म जिला कौन सा है यानी बिहार के किस जिले में सबसे अधिक गर्मी देखने को मिलती है. आइये आज के इस विडियो में हम आपको बताते हैं की आखिर बिहार का सबसे गर्म जिला कौन सा है और आखिर क्यों है. तो हम आपको बता दें की बिहार के 38 जिलों में से एक बिहार का गया जिला राज्य का सबसे गर्म जिला है. यहाँ अक्सर गर्मी के दिनों में अधिक तापमान और लू देखने को मिलेगी. यूँ तो अक्सर लोग गर्मी के दिनों में दोपहर के समय बाहर निकलने से परहेज करते हैं. पर बिहार के गया जिले में तो सुबह 10 बजे के बाद हीं मानों घर से निकलना सबसे बड़ी समस्या हो जाती है. गया को बिहार के अन्य जिलों के मुकाबले सबसे गर्म जिला होने के कई तर्क भी बताये गये हैं.
आइये आगे की चर्चा में हम समझते हैं इस जिले के सबसे गर्म रहने के पीछे के वजहों और तर्कों को. तो चलिए हम इस जिले को भौगोलिक दृष्टिकोण के नजरिये से देखते हैं. बता दें की जब आप इस जिले में प्रवेश करेंगे तो आप देखेंगे यह जिला तीन दिशाओं में केवल पहाड़ों से घिरा और एक दिशा में सुखी फल्गु नदी देखने को मिलेगी. इस नदी में केवल बारिश के हीं मौसम में पानी देखा जा सकते है. बाकी समय में इस नदी में पानी जमा नहीं रहता. जिसके कारण इस जिले के वातावरण में किसी प्रकार से आद्रता देखने को नहीं मिलते. यदि वातावरण में आद्रता नहीं होंगे तो चलने वाली हवा गर्म रहेगी. और जब गर्मी के समय में गर्म हवा चलती है तो गर्म हवा के वजह से लू का खतरा भी बढ़ सकता है. वहीँ इसके भौगोलिक परस्थितियों के लिहाज से एक तर्क यह भी दिया जाता है की बिहार के इस जिले का बसाव कर्क रेखा के सबसे नजदीक है. दरअसल यह जिला छोटानागपुर पठार के उत्तरी भाग में बसा देखने को मिलता है. और कर्क रेखा यहीं से होकर गुजरती है. जिसके वजह से यहाँ अधिक गर्मी का प्रभाव देखने को मिलता है.
वहीँ जब यहाँ के भूगोल विभाग के तरफ से जब इस बात की चर्चा की गयी तो इन सब के अलावे यहाँ एक और तर्क देखने को मिला. जहाँ यह बताया गया की यहाँ के जमीन के नीचे का भाग एंटीकलाइन और इंकलाइन है. जिसका अर्थ होता है जमीन के नीचे के भाग का उठा होना और धसा होना. वहीँ यहाँ के जमीनों के अन्दर इग्नियस रॉक्स भी अधिक देखने को मिलते हैं. आगे की चर्चा करने से पहले हम आपको इग्नीयस रॉक्स यानी आंग्नेय चट्टान के बारे में बता दें. दरअसल इन चट्टानों का निर्माण तब होता है जब ज्वालामुखी के दरार से लावा बाहर आकर ठंडा होता है. ये ठंडे हुए पदार्थ जब ठोस अवस्था में आ जाते हैं तो वे हीं आग्नेय चट्टान का रूप लेते हैं. इन चट्टानों में पोर्स यानी छिद्र भी नहीं पाते. इन्ही वजहों से पानी का जमाव भी देखने को नहीं मिलता.
जब हमने इस जिले के तापमान के पिछले रिकार्ड्स को खंगाले तो हमें पता चला की इस जिले में 50 डिग्री सेल्सियस तक भी तापमान जा चुके हैं. दरअसल यह रिकार्ड्स साल 1980 का था. लेकिन अभी भी प्रचंड गर्मियों में यहाँ 45 से 46 डिग्री तक तापमान देखने को मिल जाते हैं.