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भारत में ही क्यों हुआ सभी देवी देवताओं का जन्म ?

Ratnasen Bharti

भारत की भूमि को हिन्दू देवी देवताओं की जन्म भूमि माना जाता है। भारत के लगभग हर कोने में किसी न किसी देवी देवता या अवतार के जन्म लेने की कहानी पढ़ने सुनने को मिलती है। भगवान विष्णु के सभी अवतार भारत भूमि पर ही हुए हैं जिनमे से सबसे ज्यादा प्रसिद्ध भगवान राम और श्री कृष्ण भगवान जिनकी युगों युगों से पूजा होती है और होती रहेगी उन्होंने भी अपने जन्म के लिए भारत माता के पवित्र कोख का ही चयन किया।

ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर वह कौन सा खास कारण है जिसके चलते हिन्दुओं के तमाम देवी देवताओं का जन्म भारत वर्ष में ही हुआ जब हिन्दू धर्म के अनुयायी भारत के अतिरिक्त भी दूसरे देशों में भी हैं।

इस सवाल का उत्तर जानने के लिए आपको प्राचीन ग्रंथों का अध्ययन करना होगा।

मार्कण्डेय पुराण के अनुसार

बताया जाता है कि आज भारत का क्षेत्रफल जितना दूर में फैला है , प्राचीन काल में वह उससे कई गुना ज्यादा बड़ा था और तब उस भू भाग को जम्बूद्वीप के नाम से जाना जाता था। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार जम्बूद्वीप उत्तर और दक्षिण के बजाय मध्य के क्षेत्र में सबसे ज्यादा फैला हुआ था और फैलाव क्षेत्र को मेरु वर्ष या फिर इलावर्त के नाम से भी लोग जानते थे।

प्राचीन काल में एक चक्रवर्ती सम्राट हुए थे जिनका नाम कुरुर्वा था। उनकी माता का नाम इलावर्त था। इलावर्त के क्षेत्र के मध्य में सुनहरे मेरु पर्वत का निवास था जिन्हे पहाड़ों का राजा कहा जाता था। उस पहाड़ के ऊपर भगवान ब्रह्मा का नगर था जो ब्रह्मपुरी के नाम से जाना जाता था। ब्रह्मपुरी के निकट ही लगभग 8 की संख्या में शहर बसे हुए था जिसमे से एक भगवन इंद्र का तो अन्य शहरों में अन्य देवी देवताओं के भवन होना बताया गया है।

त्रेता युग में क्या कहा गया है?

पुराणों में त्रेता युग से सम्बंधित विवरण को पढ़ने पर पता चलता है कि भगवान राम के अवतरण से भी हज़ारों साल पहले पहले मनु स्वयंभू मनु के पौत्र और प्रियवर्थ के पुत्र ने ही भारत वर्ष की नींव डाली थी। उन्होंने ही इस भारत को बसाया था। उस काल में इस भू भाग का नाम कुछ और ही था। कुछ लोग मानते हैं कि इस भारत देश का नाम भगवान राम के नाम पर पड़ा है। लेकिन धर्म ग्रंथों में इस सम्बन्ध में अलग अलग मत देखने को मिलते हैं।

इसके अनुसार अलग अलग ग्रंथों में भारत की उत्पत्ति के सम्बन्ध में अलग अलग विचार पढ़ने को मिलते हैं। वायु पुराण में बताया गया है कि प्राचीन काल में कोई महाराज प्रियवर्त थे जिनकी अपनी कोई पुत्र संतान नहीं थी। इसलिए उन्होंने अपने नाती जिसका नाम अग्निद्र था उसे गोद ले लिया था जिसका लड़का नाभि था। नाभि की पहली बेटी मेरु से जो बेटा पैदा हुआ उसका नाम ऋषभ था इसी राजा के पुत्र भरत हुए और इन्ही के नाम पर हमारे देश का नाम भारत वर्ष पड़ा।

प्राचीन काल का भारत देश का क्षेत्रफल काफी विस्तृत क्षेत्र में फैला था और इसमें कई बड़े देश जैसे पाकिस्तान, अफगानिस्तान, श्री लंका, बांगलादेश, भूटान, नेपाल , ईरान, इराक और चीन की कुछ भाग भी भारत के अंदर आता था। हिन्दुओं के मंदिर केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के अनेक देशों में देखने को मिलते हैं।

भारत के अलावा इन देशों में स्थित हैं हिंदू मंदिर

दुनिया के ऐसे कई देश हैं जहाँ प्राचीन मंदिर के प्रमाण मिलते हैं। और भारत के अतिरिक्त भी बहुत से ऐसे देश हैं जहाँ आज वर्तमान समय तक सनातन हिन्दू धर्म के रीती रिवाजों के अनुसार पूजा पाठ किया जाता है। थाईलैंड के राज परिवार पर सदियों से हिन्दू धर्म का गहरा प्रभाव रहा है। वहां के निवासी थाईलैंड के राजा को आज भी विष्णु भगवान का अवतार मानते हैं।

इतना ही नहीं, थाईलैंड के राष्ट्रीय प्रतीक को भी सनातन धर्म की प्रतीक के अनुरूप गरुड़ को रखा गया है।

इंडोनेशिया के जावा में प्रम्बानन मंदिर प्राचीन जावा का सबसे विशाल हिन्दू मंदिर है।

इसके अतिरिक्त भी मैक्सिको, बाली और अन्य देशों में हिन्दू देवी देवताओं के मंदिर देखने को मिलते हैं।

आपको बता दूँ कि जहाँ भगवान विष्णु के प्रसिद्ध अवतार भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था, वहीं भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था। इसी तरह भगवान हनुमान जी का जन्म किष्किंधा में हुआ था। भगवान भोलेनाथ कैलाश में वास करते हैं।

ये सभी स्थल भारत में हीं हैं। सभी के सभी हिन्दुओं के महान देवता हैं और इन सभी का पूरी दुनिया में पूजा की जाती है.

फिर भी इन सभी ने भारत माता की पवित्र कोख को ही अपनी जन्म स्थली के रूप में चुना।

 

 

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