क्रिकेट एक कला है, आप किसी भी क्रिकेट प्रशंसक से पूछेगें की आप क्रिकेट का आनंद क्यों लेते है वो आपको हजारों कारण बताएगें, आखिरी ओवर या आखिरी गेंद तक चलने वाला मैच बेहद रोमांचक होता है ,हर प्रशंसक अंतिम गेंद तक मैच के समापन का आनंद लेना चाहता है , जो उसे शायद हीं देखने को मिलता है | आखिरी ओवर में 15 से 20 रन बनाना और अपनी टीम को जित दिलाना हर किसी से संभव नहीं है आखिरी ओवर का दबाव झेल पाना भी हर किसी भी बल्लेवाज के लिए आसान नहीं है |
आखिरी के पांच ओवेरों में हर टीम ज्यादा से ज्यादा रन बनाने की कोशिश करती है और उसका पूरा का पूरा दबाव बल्लेवाजों पर होता है बचे पांच ओवेरों में प्रत्तेक बल्लेवाज धुआधार अंदाज में बल्लेवाजी करता है और अपनी टीम के लिए एक विशाल स्कोर खड़ा करने की कोशिश करता है जिससे विरोधी टीम उस स्कोर तक न पहुँच सके और इस तरह के खेल में महेंद्र सिंह धोनी की कोई सानी नहीं हैं | अगर मैच को फिनिश करना हो उसमें भी प्रतेक टीम आखिरी के बचे ओवेरों में अपने रन गति को तेज करता है और मैच को फिनिश करने की कोशिश करता है |
वैशे तो कई भारतीय खिलाडीयों ने टीम के लिए बेहतरीन फिनिशर की भूमिका निभाई है और अपने देश के लिए सर्वश्रेष्ठ फिनिशर में सबसे उपर आते हैं लेकिन , जब बात वर्ल्ड क्रिकेट में “बेस्ट फिनिशर” की आती है , उसमें एम एस धोनी का नाम सबसे उपर आता है | क्रिकेट जगत में धोनी का जिक्र सबसे पहले उनकी कप्तानी और गगनचुंबी के लिए होती है , छक्को के महारथी धोनी ने क्रिकेट के मैदान पर ऐसा विशेष कारनामा किया जो और किसी और बल्लेवाज से देखने को नहीं मिलेगा | धोनी के बारे में कहा भी जाता है की “अनहोनी को होनी करना और होनी को अनहोनी करना ” सिर्फ उन्हें ही आती है , धोनी छक्का मारकर मैच जितने के मामले में सबसे उप्पर हैं | उन्होंने छक्का मारकर 9 बार भारत को मैच जिताया है जो की एक वर्ल्ड रिकॉर्ड है |
धोनी का 2011 वर्ल्डकप के फाइनल में छक्के से वर्ल्ड कप जिताना , हर एक क्रिकेट प्रेमी के दिलों दिमाग में बसा हुआ है, उस छक्के से भारत ने 28 साल बाद वर्ल्ड कप जीता था |
श्रीलंका के खिलाफ हीं एक मैच में जब भारत 203 रन के स्कोर को चेज कर रही थी तब भारत की स्थिति एक समय 182 रन पे 9 विकेट हो गया था , फिर धोनी ने आखिरी के विकेट इशांत शर्मा के साथ उस मैच को जिताया था | उस मैच के आखिरी ओवर में 15 रन की जरुरत होती है और फिर धोनी दो छक्का और एक चौका मारकर उस मैच को भारत के झोली में डाल देते हैं |
आस्ट्रेलिया के खिलाफ एक मैच में जब धोनी बल्लेवाजी करने आते हैं तो भारत को जित के लिए अंतिम 16 ओवेरों में 92 रनों की जरुरत होती है और भारत के चार विकेट गिर गये थे , उस पिच पर बाउंड्री लगाना मुश्किल था परन्तु धोनी ने अपना धैर्य बनाये रखा | उस मैच के आखिरी चार गेंदों पर 12 रन की जरुरत होती है और उस ओवर के तीसरी गेंद पर धोनी छक्का मारते है जिससे पूरा दबाव गेंदवाज पर आ जाता है उसके बाद अगली बॉल नो बॉल हो जाती है जिसपर धोनी दो रन लेते हैं और फिर बचे हुए गेंद पर धोनी सिंगल–डबल लेकर मैच को जीता देते हैं |
माही ने टी-20 और वनडे में रन चेज करते हुए सबसे ज्यादा बार नॉट आउट रहने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है | जब भी धोनी खेलने आते थे उनकी सबसे पहली कोशिश मैच को अंत तक ले जाने की होती थी ,धोनी को विरोधी टीम जल्द आउट करने की कोशिश में लगी रहती थी क्योंकि उनको पता था की अगर धोनी मैदान पर खड़े है तो उनका जित पाना मुमकिन नहीं है , धोनी अपनी बल्लेवाजी के हुनर से विरोधी टीम के मुंह से जित छीन लेने का माद्दा रखते थे |
वे भारत के लिए मैच फिनिश करते–करते एक ऐसा वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है जिसे शायद हीं कोई भी बल्लेवाज तोड़ पायेगा , वे टी-20 और वनडे में सबसे अधिक बार नॉट आउट रहने का रिकॉर्ड अपने नाम किये हैं और ऐसा करने वाले वे एकमात्र बल्लेवाज हैं जिन्होंने यह कारनामा 50 से ज्यादा बार किया है , इस सूची में विराट कोहली भी उनसे काफी पीछे हैं , “चेज मास्टर” के नाम से मशहूर विराट कोहली ने यह कारनामा 48 बार किया है |
धोनी सफलापूर्वक रन चेज करने में सबसे ज्यादा बार मैच को फिनिश किया है वे वनडे में 75 में से 47 बार तो वहीं टी-20 में 29 में से 15 बार नॉट आउट रहकर मैच को फिनिश किया है अगर बात विराट कोहली की जाए तो वो इस सूची में दुसरे नंबर पर हैं, विराट ने वनडे में 30 बार और टी-20 में 18 बार रन चेज करते हुए नॉट आउट रहे हैं | हालाकिं कोहली और धोनी के बिच यह बहुत बड़ा गैप है |
धोनी और कोहली के अलावा मैच फिनिशिंग में शोएब मलिक , युवराज सिंह , एबी डी विलियर्स और इयोन मॉर्गन जैसे कई बड़े खिलाड़ी का नाम इस सूची में शामिल है |
आपको क्या लगता है धोनी के इस रिकॉर्ड को विराट कोहली या कोई भी खिलाड़ी तोड़ पायेगा या नहीं या धोनी का यह वर्ल्ड रिकॉर्ड हमेशा रहेगा , हमें कमेंट कर जरुर बताएं |