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तबेले में काम करने से लेकर IPLके इतिहास में सबसे तेज अर्धशतक लगाने तक यशस्वी जायसवाल की कुछ अनकही अनसुनी कहानियां!

Bihari News

Yashaswi Jaiswal Untold Story: ग्राउंड में रातें बिताई, तबेले में काम किया, पानी पूरी का स्टॉल लगाया, सिर्फ इसलिए की उसे भारत के लिए खेलना है. आगे जो आप पढेंगे वो किसी फिल्म की स्क्रिप्ट नहीं है जो कि आपको आकर्षित करने के लिए बढ़ा चढाकर बताया जा रहा है. ये एक उभरते हुए सितारे की संघर्ष की गाथा है जिसे सुनकर आप भी कहेंगे कुछ कर गुजरने का जूनून हो तो ऐसा हो. अगर आप क्रिकेट फैन हैं तो अभी तक आप अंदाजा लगा पा रहे होंगे की हम किसकी बात कर रहे हैं. आपने अभी तक कई ऐसे सफल क्रिकेटर के जीवन के संघर्ष की कुछ रोचक कहानियां सुनी होंगी जो कि आने वाली पीढ़ी को कुछ कर गुजरने का, कुछ बड़ा करने का और दुनिया में नाम कमाने लिए बढ़ावा देती है. इस बीच हमने उस किरदार को चुना है जिसके संघर्ष की कहानी बताती है कि बस कुछ कर गुजरने का जज्बा होना चाहिए रास्ता खुद ब खुद बन जाता है. हम बात कर रहे हैं राजस्थान की तरफ से खेलन वाले यशस्वी जायसवाल की जिन्होंने 98 रनों की तूफ़ानी पारी के साथ ही सिर्फ़ 13 गेंदों में आईपीएल इतिहास की सबसे तेज़ अर्धशतक ठोक डाली. आज हम बात करेंगे की इस मुकाम तक पहुँचने में इन्होने कौन कौन से सितम झेले हैं.

उत्तर प्रदेश के भदोई के रहने वाले यशस्वी 11 साल की उम्र में मुंबई आ गए क्योंकि उन्हें क्रिकेट खेलना था. उनके पिता का नाम भूपेंद्र कुमार जायसवाल है जिनकी भदोई में हार्डवेयर की एक दूकान चलाते हैं. यशस्वी 6 भाई बहनों में चौथे नंबर पर हैं.

 

मुंबई में पिता ने यशस्वी के रहने का इंतज़ाम जान पहचान के एक तबेले में करवा दिया जहां ये शर्त थी कि यशस्वी को वहां तबेले में काम करना पड़ेगा. 5 बजे सुबह उठ कर यशस्वी तबेले में मदद करते फिर आज़ाद मैदान जा कर क्रिकेट की प्रैक्टिस करते थे. अपनी प्रैक्टिस की वजह से तबेले में ज्यादा समय नहीं देने के कारण एक दिन यशस्वी का सामान तबेले के मालिक ने फेंक दिया. ग्राउंड से प्रैक्टिस कर लौटे यशस्वी ने अपना सामान फेंका हुआ पाया. तभी यशस्वी ने वहां से अपना सामान उठाया और उसी आजाद स्टेडियम में चले गए और वहां पर मुस्लिम युनाटेड क्लब के टेंट में रहने लगे जहां बिजली तक नहीं थी ना ही शौचालय.

कभी कभार उनके पिता पैसे भेज देते थे लेकिन वो पैसे उनके लिए पर्याप्त नहीं था ऐसे में पैसे होते नहीं थे तो वे गोलगप्पे और चाट बेचने का भी काम किया करते थे. एक ऐसा ही दिलचस्प वाकया यशस्वी जायसवाल के गोलगप्पे के ठेले से जुड़ा है. एक बार उनके दूकान पर कुछ लड़के गोलगप्पे खाने आये. यशस्वी ने जैसे ही देखा कि ये तो वही लड़के हैं जिनके साथ वो क्रिकेट खेलते हैं, उनको देखते ही यशस्वी शर्म के मारे गोलगप्पे का स्टाल को छोड़ कर भाग गए.

वहीँ सुबह से शाम तक यशस्वी की प्रैक्टिस जारी रही. यशस्वी ने यह भी सोच रखा था कि यदि वे क्रिकेट जारी नहीं रख पाए में सेना में जाने की कोशिश करेगें. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. आज़ाद मैदान में ही यशस्वी को स्थानीय कोच ज्वाला सिंह मिले.

यशस्वी जायसवाल के कोच ज्वाला सिंह कहते हैं यशस्वी जब 11, साढ़े 11 साल का था, तब मैंने उसे पहली बार खेलते हुए देखा था. उससे बातचीत करने के बाद पता चला कि वह बुनियादी बातों के लिए बेहद संघर्ष कर रहा है. उसके पास ना तो खाने के लिए पैसे थे और ना ही रहने के लिए जगह. वह मुंबई के एक क्लब में गार्ड के साथ टेंट में रहा. वह दिन में क्रिकेट खेलता और रात को गोलगप्पे भी बेचता था. सबसे बड़ी बात वह कम उम्र में उत्तर प्रदेश के भदोही ज़िले में अपने घर से दूर मुंबई में था.

यशस्वी जायसवाल अपने कोच ज्वाला सिंह के साथ

वह उसके लिए बेहद कठिन दौर था, क्योंकि बच्चों को घर की याद भी आती है. एक तरह से उसने अपना बचपन खो दिया था. लेकिन यशस्वी अपनी ज़िंदगी में कुछ करना चाहता था. मेरी कहानी भी कुछ ऐसी ही थी. मैं भी कम उम्र में गोरखपुर से कुछ करने मुंबई गया था. मैने भी वही झेला था जो यशस्वी झेल रहा था.”

तभी यशस्वी की परेशानी को समझते हुए कोच ज्वाला सिंह ने निर्णय कर लिया कि मै इस लडके को संबल दूंगा, इसकी मदद करूंगा, इसको ट्रेनिंग दूंगा, इसकी तमाम ज़रूरते पूरी करूंगा, तब से वह मेरे साथ है.” ज्वाला सिंह ने यशस्वी को नए जूते और किट दिलवाए और रहने के लिए अपने चाल के अपने कमरे में जगह भी दी. और लगभग तीन सालों तक वो क्रिकेट प्रैक्टिस करते रहे.

उसके बाद यशस्वी ने दादर यूनियन क्लब ज्वाइन किया. दिलीप वेंगसरकर ने क्लब के खिलाड़ी के तौर पर यशस्वी को इंग्लैंड भेजा. उसके बाद यशस्वी U 16, U19 और U23 के लिए खेले.यशस्वी ने विजय हज़ारे ट्राफ़ी में 50 ओवर के मैच में 200 रन बनाने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बने.

U 19 में उनकी प्रतिभा को राहुल द्रविड़ ने तरासा. 2020 के IPL में राजस्थान ने यशस्वी को 2 करोड़ 40 लाख में ख़रीदा. यशस्वी आईपीएल 2023 सीजन में तब उभरकर सामने आये और लोगो की निगाहें उनपर पड़ी जब उन्होंने चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाफ 43 गेंद में 77 रन की शानदार पारी खेली जिसमें 8 चौक्का और 4 छक्के लगाए और इस मुकाबले में चेन्नई राजस्थान से हार गयी थी. मैच हारने के बाद CSK के कप्तान धोनी ने भी यशस्वी की तारीफ की.को BCCI ने इमर्जिंग स्टार ऑफ़ द सीजन के आवर्ड से नवाजा.

इससे पहले इनका चर्चा साल 2019 में विजय हजारे ट्राफी के दौरान हुई थी जब मुंबई और झारखण्ड वाले मैच में मुंबई ने 3 विकेट खोकर 50 ओवर में 358 रन बनाये जिसमें दोहरा शतक यानी 203 रन यशस्वी जायसवाल के ही थे. इसमें यशस्वी जायसवाल ने 17 चौके और 12 गगनचुम्बी छक्के भी लगाये थे. और इस धमाकेदार पारी का इनाम उन्हें 2020 के आईपीएल ऑक्शन में मिली जब सारे आईपीएल टीम की निगाहें यशस्वी पर थी. जिसके राजस्थान रॉयल्स ने यशस्वी जायसवाल को 2 करोड़ 40 लाख में ख़रीदा था. तभी से यशस्वी आईपीएल सीजन में राजस्थान की तरफ से खेलते हैं.

यशस्वी कहते हैं आप क्रिकेट के मेंटल प्रेशर पर बात करते हैं जबकि मैं अपनी लाइफ में उससे बड़ा प्रेशर झेल चुका हूं यह सब चीजें मुझे मजबूत बनाती है रन बनाना उतना महत्वपूर्ण नहीं है मैं जानता हूं कि मैं रन बना सकता हूं, मैं विकेट ले सकता हूं मेरे लिए यह ज्यादा जरूरी है कि शाम और सुबह का खाना मुझे मिलेगा कि नहीं मुझे उसकी व्यवस्था कैसे करनी है.

यशस्वी कहते हैं मैं पूरा दिन क्रिकेट खेलता था रात होते ही थक जाता था और सो जाता एक दिन यह कहते हुए मेरा सामान फेंक दिया गया कि मैं कुछ नहीं करता हूं उनकी सहायता नहीं करता सिर्फ सोता हूं, इसके बाद मजबूरी में मैं कालबादेवी डेयरी में सोया.यशस्वी नहीं चाहते थे की उनकी ये तकलीफ के बारे में घर पर पता चले नहीं तो उन्हें मुंबई से बुला लिया जायेगा.

मुंबई अंडर-19 टीम के कोच सतीश सामंत इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहते हैं इसमें असाधारण खेल भावना है और दृढ़ प्रतिज्ञा है आईपीएल में उनकी शुरुआत कभी भी ख़राब नहीं रही है. ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो के शो टी20 टाइमआउट में दीप दासगुप्ता ने बताया कि जायसवाल गेंद को खेलने से पहले बहुत हलचल करते हैं. पावरप्ले में यह तो फ़ायदेमंद है, लेकिन पावरप्ले से बाहर उन्होंने अपनी पैरों और शरीर की हलचल को कम कर फ़ायदा पाया है. वहीं टॉम मूडी का मानना है कि जायसवाल एक विलक्षण प्रतिभा हैं, जो पीढ़ियों में एक बार आते हैं. जो की आईपीएल में उनके प्रदर्शन के बाद सबके सामने है.

आपको क्या लगता है यशस्वी जायसवाल अपनी पीढ़ी में भारतीय क्रिकेट टीम के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं नहीं ?

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