Placeholder canvas

वो पहाड़ जहाँ आज भी महाकस्यपा बुद्ध का कर रहे इन्तजार

Bihari News

पहाड़ों से दिखते सौंदर्य पूर्ण नज़ारे, कितना आकर्षित करते हैं न? जी चाहता है कि इस दुनिया में ही विलीन हो जाए। ठीक ऐसे ही रोमांचक सफर पर आज हम आपको लेकर चलेंगे. एक शांतिप्रिय सफर जो आपके मन को रोज़मर्रा की चिंता से मुक्त कर देगा. जहाँ बस सुकून ही सुकून है. शहर के शोर शराबा से दूर घंटों ट्रैफिक में गाड़ियों के तेज और अनवांछित शोरगुल से दूर. जमीन से सैंकड़ों मीटर ऊपर गुरपा पहाड़ी. यहाँ बौद्ध और हिन्दू धर्म की संस्कृति की झलक आपको मोहित कर देगा. कुछ ऐसा ही है गुरपा हिल के शिखर पर स्थित हिन्दू और बौद्ध मंदिर जो सैंकड़ों वर्षों से प्रेम और विश्वास का अलख जगा रहा है. इस पहाड़ी की चोटी पर चढ़ने के लिए चढ़ी गई 1680 सीढियों की थकान ऊपर पहुँचने के बाद पूरी तरह से ख़तम तो नहीं होगी लेकिन मैं विश्वास के साथ कह सकती हूँ की वहां पहुँचने के बाद जो अपने चरों तरफ का जो नजारा होगा वो अद्भुत अविश्वसनीय होगा जिसे देखने मात्र से आपकी थकान कम हो जाएगी. मठ और मंदिर की सैर करके आप अपनी आध्यात्मिकता को चरमसीमा तक ले जा पाऐंगे. अगर आप रोमांचक सफ़र के शौक़ीन हैं तो आपके लिए यहाँ का सफ़र अच्छा विकल्प हो सकता है.

नमस्कार आप देख रहे हैं बिहारी न्यूज़ बिहारी विहार में आज हम चलेंगे गुरपा हिल्स के रोमंचक सफ़र पर. प्राकृतिक नज़ारे, जंगल, झरने, सूर्योदय और सूर्यास्त के नज़ारे, इन सभी ने गुरपा पहाड़ी को पर्यटकों के बीच काफी मशहूर बनाया है, गुरपा हिल्स/ गुरुपद गिरि बिहार के गया जिले में स्थित प्राकृतिक और ऐतिहासिक स्थानों में से एक है. गुरपा हिल्स को एक पवित्र पर्वत शिखर माना जाता है यह पहाड़ी कुक्कुटपद गिरिऔर गुरुपदा पहाड़ी के नाम से भी जाना जाता है. जो की गुरपा नाम के एक गाँव में स्थित है गया जिला से 34 किलोमीटर दूर गुरपा हिल स्टेशन के पास है. गुरपा चोटी के ऊपर, एक स्तूप और एक मंदिर है।यह जगह ना बल्कि देखने में आकर्षक है बल्कि इसका ऐतिहासिक महत्त्व भी उतना ही है. कहा जाता है की यहीं बुद्ध के अंतिम शिष्य महाकश्यप ने निर्वाण प्राप्त किया था. इसकी चर्चा हम आगे करेंगे पहले हम आपको पहाड़ी के शिखर पर ले चलेंगे जहाँ मंदिर और स्तूप मौजूद है. शिखर पर पहुँचने वाले रास्ते आपको बेहद रोंचित करेंगे

गुरपा गाँव में स्थित यह पहाड़ी चारों तरफ हरे भरे जंगलों से घिरा है. चोटी यानी शिखर के रास्ते में भारी ट्रेक, लगभग1680 सीढ़ियां चढ़ना, चट्टानों के बीच संकीर्ण रास्ते मिलेंगे. यहाँ आपको एक गुफा भी मिलेगा बड़े बड़े चट्टानों से बना यह गुफा जिसके बीच से एक संकीर्ण रास्ता गया है जो काफी पतला है इसे आपको पार करना होगा. हालाँकि इस संकीर्ण रास्ते में भी सीढियां बनाई गई हैं. ये ट्रिप आपके लिए थोड़ा चैलेंजिंग होने वाला है. क्यूंकि चोटी पर चढ़ने में यहाँ की 1680 सीढियां आपके body को चैलेन्ज करने वाली है. यह लोकेशन वाकई में एडवेंचर टूरिज्म को लेकर काफी बेस्ट आप्शन होने वाला है. चोटी पर पहुँचने के बाद आसपास के ग्रामीण इलाकों का मनमोहक दृश्य देखा जा सकता है. यह ध्यान साधना के लिए एक आदर्श स्थान है.

इस पहाड़ी पर आपको हिन्दू और बौद्ध धर्म का समामेलन देखने को मिलेगा. जब आप इतनी सीढियां चढ़ने के बाद शिखर पर पहुंचेंगे वहां गुरुपद नाम का एक मंदिर है, जिसके बारे में माना जाता है कि इसमें भगवान विष्णुके पैरों के निशान हैं. इस स्थान का काफी ऐतिहासिक महत्व है, क्योंकि यह भी कहा जाता है कि भगवान बुद्ध के उत्तराधिकारी महाकश्यप ने लम्बे समय तक पहाड़ी पर ध्यान लगाया था। ऐसा कहा जाता है कि जब महाकश्यप अपने जीवन के अंतिम छन में जा रहे थे, तो वे गुरपा हिल्स के शिखर पर चढ़ गए और रास्ते में आने वाली विशाल चट्टानों पर प्रहार किया और आगे जाने के लिए एक रास्ता बनाया यही वो रास्ता था इसके बाद वो इस पहाड़ी के शिखर पर पहुँच गए. जहाँ उन्होंने ध्यान किया. ऐसा माना जाता है कि महाकश्यप को अभी भी भविष्य में बुद्ध के आगमन का इंतजार है. इसके बाद इस जगह को तीर्थ स्थल के रूप में विकसित किया गया है. जहाँ आप जा सकते हैं और ध्यान कर सकते हैं और प्रकृति की गोद में बैठ सकते हैं. यहाँ आप थेरागाथा से महाकासपा के सुंदर और विचारोत्तेजक ओड टू द माउंटेनको पढ़ सकते हैं और उसे प्रतिबिंबित करने के लिए यह एक अद्भुत जगह है। गुर्पा और उसके इतिहास के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप व्हेयर महाकासपा वेट्सभी पढ़ सकते हैं।

आपको बताते चले की चीन के पास गुरपा पहाड़ियों से प्रेरित युन्नान में जिजु पर्वत पर कुक्कुटापाड़ा भी है। इसकी उपस्थिति के कारण इसे चिकन फुट पर्वत के रूप में जाना जाता है जो गुरपा के समान है। वहीँ फाह्यान के ग्रंथों के अनुसार, भारत की लंबी तीर्थयात्रा से बचने के लिए, बुद्ध के नाम पर एक समान पहचान वाली पहाड़ी पर ऐसे तीर्थस्थल चीन में बनाएं गए. यह 9 वीं शताब्दी के आसपास बनाया गया था जब चीन और दक्षिणपूर्व एशियाई देशों में भक्तों के बीच कुक्कुटपदगिरी लोकप्रिय हो गया था।

सालोभर पर्यटक इस जगह पर आते हैं लेकिन हमारे अनुसार ठण्ड के दिनों में यहाँ जाना ज्यादा अच्चा साबित होगा क्यूंकि ठण्ड के दिनों में चढ़ाई करना बेस्ट होगा. यह स्थान बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म के तीर्थयात्रियों के बीच काफी लोकप्रिय है।

आप भी किसी ऐसे ही रोमंचक सफ़र पर निकलना चाहते हैं तो गुरपा स्टेशन हिल अवश्य पहुंचे

Leave a Comment