बिहार में जारी सियासी घमासान के बीच में कई तरह के बयान सामने आ रहे हैं. अब तो लगने लगा है कि बिहार में चुनाव जैसे हालात होने वाले हैं. हालांकि राजनीतिक पार्टियों की तरफ से लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों में जुट गए हैं. स्थिति यह है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का भी दौरा बिहार में प्रस्तावित हो गया है. ऐसे में तो अब लगने लगा है कि बिहार में चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है. लेकिन इन सब के बीच में जदयू के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा अपनी ही पार्टी के विरोध में मुखर होकर बोल रहे हैं. वे लगातार पार्टी के विरोध में बोल रहे हैं. इतना ही नहीं वे अब जदयू में अपनी हिस्सेदारी की मांग भी कर रहे हैं. दरअसल कुशवाहा जब पहली बार पार्टी में हिस्सेदारी की मांग किये थे तो किसी को यह समझ में ही नहीं आया कि वे क्या कहना चाह रहे हैं लेकिन कुछ दिन के बाद उ्नहोंने फिर से उस बात को दोहराया और कहा कि हम साल 1994 में जो नीतीश कुमार लालू यादव से अपनी हिस्सेदारी मांग रहे थे वहीं हिस्सेदारी हमें आज चाहिए.

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नीतीश कुमार लालू यादव से किस तरह कि हिस्सेदारी की मांग कर रहे थे उसे हम आगे देखेंगे लेकिन पहले यह जान लेते हैं कि कुशवाहा ने नीतीश कुमार से हिस्सेदारी को लेकर क्या कहा है. ” बड़ा अच्छा कहा भाई साहब आपने…। ऐसे बड़े भाई के कहने से छोटा भाई घर छोड़कर जाने लगे तब तो हर बड़का भाई अपने छोटका को घर से भगाकर बाप-दादा की पूरी संपत्ति अकेले हड़प ले ऐसे कैसे चले जाएं अपना हिस्सा छोड़कर….? ” इस बयान के कुछ दिन के बाद कुशवाहा एक बार फिर से मीडिया के सामने आए और उन्होंने अपनी हिस्सेदारी को लेकर अपना पत्ता खोला जिसमें उन्होंने कहा कि जो हिस्सा कभी लालू यादव ने नीतीश कुमार को नहीं दिया था. उपेंद्र कुशवाहा 12 फरवरी 1994 को पटना के गांधी मैदान में आयोजित रैली में नीतीश कुमार ने लालू यादव से अपनी हिस्सेदारी की मांग की थी अब कुशवाहा उसी तरह से अपनी हिस्सेदारी की मांग कर रहे हैं.

तो चलिए अब चलते हैं 12 फरवरी 1994 के दिन उस सभा में आखिर नीतीश कुमार क्या बोले थे अपनी हिस्सेदारी को लेकर. दरअसल वह दिन नीतीश कुमार के लिए काफी ऐतिहासिक दिन था. इस दिन के बाद से नीतीश कुमार बिहार में एक चेहरा के रूप मे देखे जाने लगे थे. उस दिन मानों पूरी भीड़ नीतीश को देखने आई थी. वह दिन था कुर्मी चेतना रैली का. इस रैली के मंच पर चढते ही नीतीश के समर्थन में नारे लगने लगे थे नीतीश तुम संघर्ष करों हम तुम्हारे साथ हैं. इसी दौरान नीतीश कुमार ने लालू यादव के साथ के दिनों को याद करते हुए कहा था कि अगर आप उनकी अपेक्षा करेंगे तो आपको भयंकर परिणामों का सामना करना होगा. इन दिनों नीतीश कुमार के साथ के नेता साामजिक न्याय की बात कह रहे थे लेकिन लालू यादव इन नेताओं की बात सुन ही नहीं रहे थे. आपको याद दिला दें कि इस दौरान तक नीतीश कुमार एक वार विधानसभा चुनाव और एक बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके थे. ऐसे में नीतीश कुमार भी इच्छा थी कि वे पार्टी के साथ ही सरकार में भी सहभागी रहे. हालांकि ऐसा नहीं हो सका. बाद के दिनों में जो कुछ भी हुआ वह किसी से छिपा हुआ नहीं… अब उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार को उन्ही दिनों को याद करवा रहे हैं कि आप लालू यादव की पार्टी में थे लेकिन आपको वो सम्मान नहीं मिला जो मिलना चाहिए था. आज हम भी आपकी पार्टी में हैं लेकिन हमको भी वह सम्मान नहीं मिल पा रहा है. लेकिन हम अपना हक लेकर जाएंगे.

उपेंद्र कुशवाहा को यह नाराजगी रही है कि जब से वे जदयू के साथ मिले हैं जदयू में उन्हें उस तरह से तरजीह नहीं दी गई है. उन्हें इस बात का भी दुःख है कि पिछड़ा समाज से आने वाले नेताओं को आगे नहीं बढ़ाया गया. सरकार में उनकी हिस्सेदारी नहीं दी गई. ऐसे में पिछड़ा समाज के नेता और लोग दोनों ही नाराज चल रहे हैं. उपेंद्र कुशवाहा का इशारों इशारों में यह कहना है कि जदयू ने कुशवाहा समाज से आने वाले नेताओं को तरजीह नहीं दी है. उन्हें आगे नहीं बढ़ाया है. अब आने वाले समय में यह साफ हो पाएगा कि उपेंद्र कुशवाहा चाहते क्या हैं.

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