दरअसल पैसा चीज ही ऐसी है कि एक बार आ जाने के बाद देने का मन नहीं करता है. क्योंकि पैसा आपको पावर देता है. जब आप पावर में होते हैं तो कहां किसी की सुनते हैं. लेकिन पिसता है वह गरीब जिसने अपने पैसे दोगुने करने के लिए आप पर विश्वास किया था. आप पर भरोसा किया था. लेकिन वह गरीब आज एक एक रुपये के लिए मोहताज है. वह अपना ही पैसा आपसे मांग रहा है. लेकिन उसे अपना ही पैसा नहीं मिल रहा है. लेकिन आपका क्या बिगड़ गया आपके पास जो पैसा है वह तो दिन प्रति दिन तो बढ़ ही रहा है… जरा सोचिए उस एजेंट के बारे में जिसने गांव-गांव में जाकर अपनी साख का इस्तेमाल करते हुए यह कहा था कि इस फंड में पैसे लगा दिजिए और आपने क्या किया उस एजेंट के साथ जो आपके लिए पैसा ला रहा था वह आपकी जेब भर रहा था. लेकिन आपने तो उस एजेंट को कही का नहीं छोड़ा वह तो बेचारा हो गया… कईयों की तो जान चली गई. कईयों ने अपनी खुद ही जान ले लेगी लाज के मारे लेकिन आप हैं कि अपना पैसा बढ़ाते जा रहे हैं गरीब अपने पैसे के लिए सहारा इंडिया की तरफ आस भरी निगाहों से देख लेता है लेकिन उसे भी पता है यह पैसा कब उसके पास आएगा उसे खुद भी पता नहीं है.

सहारा इंडिया एक समय देश की बड़ी से बड़ी कंपनियों में इसका नाम था. सहारा एक साथ कई योजनाओं पर एक साथ काम रहा था. जैसे कि रियल एस्टेट, फाइनेंस, इंफ्रास्ट्रक्चर, मीडिया, एंटरटेनमेंट, हेल्थ केयर, हॉस्पिटैलिटी, रिटेल, इंफॉमेंशन टेक्नोलॉजी तक में सहारा अपना निवेश की हुई थी. इन सेक्टर में काम करते हुए सहारा का खुब डंका बजा. इतना ही नहीं सहारा ने रीयल एस्टेट कंपनी और हाउसिंग इनवेस्टमेंट कार्पोरेशन के जरिये बड़े स्तर पर देश भर में जमीन की खरीद हुई. कई इलाकों में घर भी बनाए गए. आपको जानकर हैरानी होगी कि इन पैसों से लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर, हैदराबाद, भोपाल, कोच्चि, गुड़गांव और पुणे में सहारा ने आवासीय योजनाएँ शुरू की थी. इन सब में उस आम गरीब लोगों का पैसा लगा था जिन्होंने अपने खुन पसीने की कमाई से अपने भविष्य का ध्यान में रखते हुए पैसे जमा किया था. लेकिन जब इन गरीब निवेशकों की मैच्योरिटी पूरी हो गई उसके बाद भी उनका पैसा उन्हें नहीं लौटाया गया है. ऐसे में थक हारकर गरीब निवेशक अब सड़कों पर आ कर आंदोलन कर रहे हैं थाने में रिपोर्ट दर्ज करवा रहे हैं और कंपनी अपने मजे में है.

सहारा के विरोध में अब आए दिन निवेशक सड़कों पर होते हैं. देश से अलग अलग हिस्सों में सहारा के विरोध में खबरें होती है. ऐसी ही एक खबर छत्तीगढ़ से सामने आई है जिसमें यह बताया जा रहा है कि सहारा इंडिया चिटफंड कंपनी ने करीब 15 हजार लोगों का 100 करोड़ से ज्यादा की रकम सहारा के पास जमा है. लेकिन मैच्योरिटी पूरा होने के बाद भी उनका पैसा उन्हें नहीं मिल रहा हैं.

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