वनडे विश्व कप के उनतालीसवें मैच आस्ट्रेलिया बनाम अफगानिस्तान मैच मैक्सवेल नाम का तूफान फैंस को देखने को मिला, वानखेड़े स्टेडियम पर मैक्सी ने जो पारी खेली वह किसी सपने सपने से कम नहीं है, सपने में भी इस तरह की बल्लेबाजी करना और वीडियो गेम में भी इस तरह की बल्लेबाजी करना असंभव है, लेकिन मैक्सवेल ने जो आतंक मुंबई में मचाया, वो सदियों के लिए क्रिकेट इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो चूका है, यह पारी निश्चित रूप से वनडे इंटरनेशनल क्रिकेट की सर्वकालिक महान पारी घोषित होगी. वैसे तो कई और खिलाड़ियों ने बहुत शानदार पारियां खेली होगीं लेकिन आस्ट्रेलियाई allrounder ग्लेन मैक्सवेल की इस ऐतिहासिक पारी के अलग ही मायने हैं, तो चलिए अब हम आपको बताते हैं की इस पारी को क्यों कहा जाए वनडे का सर्वश्रेष्ठ पारी.
आस्ट्रेलिया के लिए वन मैन आर्मी बने मैक्सवेल
दरअसल मैक्सवेल ने यह पारी उस समय खेली जब आस्ट्रेलिया टीम का स्कोर तिरान्वें रनों पर सात विकेट हो गया था और जीत के लिए दो सौ रनों की जरूरत थी, तब मैक्सवेल ने छठे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए कप्तान पैट कमिंग्स के साथ आठवें विकेट के लिए दो सौ दो रनों की साझेदारी करते हुए आस्ट्रेलिया को अकेले दम पर सेमीफाइनल में पहुंचाया, दो सौ दो रनों की साझेदारी में पैट कमिंग्स ने सिर्फ बारह रन बनाए थे, वहीं मैक्सवेल एक सौ अठाईस गेंदों में इक्कीस चौके और दस छक्कों की मदद से नाबाद दो सौ एक रनों की पारी खेलने में सफल हुए, इस तरह वे छठे नंबर या इससे निचे खेलते हुए दोहरा शतक बनाने वाले पहले खिलाड़ी बन गए, और विश्व कप में सबसे तेज दोहरा शतक बनाने का रिकॅार्ड भी मैक्सी ने अपने नाम कर लिया. मैक्सवेल आस्ट्रेलिया के लिए सबसे बड़ी पारी खेलने वाले बल्लेबाज भी बन गए और वनडे में दोहरा शतक बनाने वाले आस्ट्रेलिया के पहले खिलाड़ी भी बने.
मैक्सवेल की पारी को सदियों तक याद रखा जायेगा
आपको बता दे की जब भी वनडे क्रिकेट में सर्वकालिक महान पारियों की बात होगी तब इसमें मैक्सवेल का नाम सबसे उप्पर आएगा, इससे पहले सभी क्रिकेट फैंस हर्शल गिब्स और कपिल देव की एक सौ पचहतर–एक सौ पचहतर रनों की पारियों की बात करते थे, लेकिन अब मैक्सवेल की नाबाद दो सौ एक रनों की पारियों को याद रखा जायेगा. इस मैच में मैक्सवेल ने सबसे पहले पचास ओवर फिलिडिंग की इसके साथ ही उन्होंने गेंदबाजी भी किए थे और फिर करीब तीन घंटे मुंबई की गर्मी में बल्लेबाजी किए, इससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात ये थी कि वे पूरी तरह फिट भी नहीं थे, जिस कारण वे फिल्ड पर ठीक से दौड़ भी नहीं पा रहे थे, वे एक छोर पर खड़े होकर सिर्फ चौके–छक्कों में डील कर रहे थे. मैक्सवेल को हर ओवर में फिजिओं का सहारा लेना पड़ रहा था, कप्तान और फिजिओं बार–बार उन्हें थोड़ा आराम करने के लिए भी सलाह दे रहे थे, लेकिन उन्होंने अपने क्रैम्प का परवाह किए बिना मैदान पर खड़े रहे.
आपको मैक्सवेल की यह पारी कैसी लगी और आप मैक्सवेल की इस पारी को दस में से कितना नंबर देंगे. हमें कमेंट कर जरुर बताएं. धन्यवाद.