skip to content

पानी-पूरी बेचने से, टेंट में सोने से लिस्ट ए क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाले सबसे युवा बल्लेबाज बनने तक का सफर, कहानी भारतीय क्रिकेट के योद्धा की !

Bihari News

संघर्षों ने बनाया जिसको भारतीय क्रिकेट का यशस्वी योद्धा !

योद्धा पैदा नहीं होते वो मुश्किल हालातों से तैयार होते हैं

ना खाने के लिए पैसे, ना रहने का ठिकाना बस जिसके मन में एक ही सपना था भारत के लिए खेलना

क्रिकेट के लिए छोड़ा घरबार, खुद को दिया झोंक

संघर्षों की आंधी में भी नहीं डगमगाया जिसका हौंसला, रहा बस एक ही जुनून

पानी-पूरी बेचने से, टेंट में सोने से लिस्ट ए क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाले सबसे युवा बल्लेबाज बनने तक के सफर पर आज आपको ले जाता हूं

दोस्तों, सफलता के भूके इंसान को फेल होने की चिंता नहीं होती है. उनके शब्दकोष में हार शब्द ही नहीं होता. या तो वो जीतते हैं या फिर सीखते हैं. राहुल द्रविड़ का एक कथन याद आ रहा है दोस्तों, द्रविड़ ने एक बार कहा था, “मैं कई बार असफल हुआ हूँ, लेकिन मैं कोशिश करना कभी नहीं छोड़ता”.

जैसा कि लोग कहते हैं कि कड़ी मेहनत हमेशा रंग लाती है, इस कथन का एक सटीक उदाहरण है भारत का ये प्रतिभाशाली क्रिकेटर और आगामी स्टार. आईपीएल और डोमेस्टिक क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन करने वाले इस खिलाड़ी को भारतीय क्रिकेट में अच्छी खासी इज्जत मिल रही है. लेकिन यहां तक का सफर इतना आसान नहीं था. इस खिलाड़ी को एक पहर के खाने के लिए एक समय संघर्ष करना पड़ता था, टेंट में सोता था यहां तक कि पानी-पूरी भी बेचे.

यह एक ऐसे लड़के की प्रेरणादायक कहानी है जो पानी-पूरी बेचने से लेकर भारतीय घरेलू क्रिकेट में रन मशीन बन गया. यह उस खिलाड़ी की कहानी है, जिसे दुनिया यशस्वी जायसवाल के नाम से जानती है. लिस्ट ए क्रिकेट में डबल सेंचुरी लगाने वाले सबसे युवा बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल का जन्म 28 दिसंबर, 2001 को उत्तर प्रदेश के भदोनी जिले के सुरियावान में हुआ था. पिता भूपेन्द्र जायसवाल और मां कंचन जायसवाल के 6 संतानों में यशस्वी चौथे नंबर पर आते थे. यशस्वी के पिता के एक छोटे से हार्डवेयर की दुकान थी. परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि यशस्वी जायसवाल को अपने चाचा के छोटे से घर में रहे लेकिन बाद में उन्हें वो स्थान भी छोड़नी पड़ी. उनके पिता ने उनके लिए एक गाय के बाड़े में रहने की व्यवस्था केवल इस शर्त पर की थी लेकिन एक शर्त पर, अगर वे दूधवाले के काम में मदद करेंगे तो ही.

गाय के बाड़े में सोने के लिए ना तो बेड था, ना खाने का ठिकाना यहां तक कि प्रॉपर टॉयलेट की व्यवस्था नहीं थी. इतना ही नहीं इसके बाद यशस्वी को सुबह 5 बजे उठकर दूधवाले के काम में उसका हाथ बटाना होता था. तब जाकर वो आजाद मैदान क्रिकेट ग्राउंड के चर्च गेट जाकर डेली प्रक्टीस कर पाते थे. एक दिन जब यशस्वी प्रक्टीस करके आए तो देखा दूधवाले ने उनका क्रिकेट किट बाहर फेंक दिया है, दूधवाले ने कहा अब इस जगह को खाली कर दो, तुम ठीक से काम नहीं कर पा रहे हो. नए शहर में बिलकुल अकेले यशस्वी को अब कुछ सूझ नहीं रहा था, तो उन्होंने उसी आजाद मैदान का रुख किया और वहीं सो गए. रहने के लिए जगह नहीं, खाने के लिए कुछ नहीं, अनजान शहर में बिलकुल अकेले यशस्वी जायसवाल को अब बस खुद से सवाल कर रहे थे.
तब कैंप के कोच ने यशस्वी के सामने एक ऑफर दिया कि यदि वो अच्छा प्रदर्शन करेंगे तो वो आजाद मैदान के अंदर बने टेंट में सो सकते हैं. यशस्वी ने कड़ी मेहनत की और प्रदर्शन किया और अब वो आजाद मैदान के अंदर टेंट में रहने लगे, यहां ना लाइट थी ना ही टॉयलेट. स्थिति ये थी कि यशस्वी को करीब आधे किलोमीटर तक पैदल जाना पड़ता था, पब्लिक टॉयलेट एक्सेस करने के लिए. और यशस्वी का संघर्ष जारी था. वो कहते हैं ना कि योद्धा पैदा नहीं होते वो मुश्किल हालातों में बनते हैं. ये समय था योद्धा के यशस्वी होने का.

पैसे नहीं थे, यशस्वी ग्राउंड में मैच देखने आए फैंस को पानी पूरी बेचने लगे. वो प्रक्टीस करते और दर्शकों को पानी पूरी खिलाते. मन में इंडिया के लिए खेलने का सपना लिए यशस्वी कुछ भी करने को तैयार थे क्योंकि उन्हें कुछ भी खोने का डर नहीं था. एक दिन कैंप में जब यशस्वी जायसवाल बल्लेबाजी कर रहे थे तो एक कोच ज्वाला सिंह की नजर उनपर पड़ी. युवा यशस्वी की बल्लेबाजी और उनके विल पावर से कोच बहुत प्रभावित हुए और उन्हें फ्री में कोचिंग देने को तैयार हो गए. ज्वाला सिंह यशस्वी को अपने घर ले आए और उनकी पूरी जिम्मेदारी ले ली. युवा यशस्वी जायसवाल के लिए ज्वाला सिंह गॉडफादर बन कर आए. यशस्वी ने अपनी मेहनत जारी रखी और अब उन्होंने अपना पूरा दम लगा दिया, यशस्वी ने खुद को झोंक दिया. कड़ी मेहनत और सच्ची लगन के दम पर यशस्वी ने सिर्फ 17 साल की उम्र में मुंबई क्रिकेट टीम में अपनी जगह बना ली. उस दिन के बाद से यशस्वी ने आज तक पीछे मुड़कर नहीं देखा है. यशस्वी ने रणजी ट्रॉफी में दोहरा शतक लगाकर नया कीर्तिमान रच दिया. रणजी ट्रॉफी में दोहरा शतक जड़ने वाले सबसे युवा खिलाड़ी बन गए यशस्वी जायसवाल.

वो 16 अक्टूबर, 2019 का दिन था, विजय हजारे ट्रॉफी खेली जा रही थी, झारखंड के खिलाफ मुकाबले में युवा यशस्वी जायसवाल ने 154 गेंदों पर 203 रन ठोक दिए. मात्र 17 साल और 292 दिनों की उम्र में दोहरा शतक ठोककर यशस्वी ने नया मुकाम हासिल कर लिया. उस टूर्नामेंट में जायसवाल ने सिर्फ 6 मैचों में 112.80 की शानदार औसत के साथ 564 रन बनाए थे. इसके बाद ही राष्ट्रीय चयनकर्ताओं की नजर इस प्रतिभाशाली बल्लेबाज पर पड़ी. रणजी में शानदार प्रदर्शन करने वाले यशस्वी जायसवाल को अंडर-19 वर्ल्ड कप के लिए टीम इंडिया से बुलावा आ गया.
यशस्वी को जब पता चला वो ख़ुशी से झूम उठे लेकिन यशस्वी काफी भावुक थे, उन्हें वो मुश्किल हालात याद आने लगे और उन्होंने माना कि कड़ी मेहनत कभी बेकार नहीं जाती. पहले दो मैचों में यशस्वी सिर्फ 15 और 1 रन पर आउट हो गए. और इसी चलते उनको फाइनल से पहले ड्रॉप कर दिया गया लेकिन बाद में उनको फाइनल के सेलेक्ट किया गया और तब जादू हुआ. यशस्वी ने एकतरफा बल्लेबाजी की और शतक जमा दिया. 114 रनों की पारी खेलकर यशस्वी जायसवाल ने अपना स्थान अब नेशनल टीम में पक्का कर लिया. अंडर-19 वर्ल्ड कप स्क्वाड के पहले ड्राफ्ट में यशस्वी जायसवाल का नाम था और यशस्वी ने अपने प्रदर्शन से दिखा भी दिया कि वो स्थान उन्हीं के लिए रिज़र्व था. मेगा टूर्नामेंट में यशस्वी के बल्ले की मार पूरी दुनिया ने देखी थी.

88, 105*, 62, 57*, 29*, 59 यशस्वी द्वारा खेली गई पारियां, टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज बन गए. पूरे टूर्नामेंट में शानदार बल्लेबाजी के चलते यशस्वी जायसवाल को ‘मैन ऑफ द टूर्नामेंट’ चुना गया था. वर्ल्ड कप में भारत के शानदार प्रदर्शन के पीछे यशस्वी का लाजवाब प्रदर्शन था, इसमें कोई दो राय नहीं है. ये और बात है कि फाइनल में भारत को बांग्लादेश के हाथों हार का सामना करना पड़ा था लेकिन भारत को एक फ्यूचर सुपरस्टार मिल गया था.

अब यशस्वी ने विश्व के सबसे बड़े और लोकप्रिय टी20 लीग में कदम रखा. और अंडर-19 में उम्दा प्रदर्शन के बाद ये तो तय था कि वो आईपीएल खेलेंगे और उन्हें ऑक्शन में निश्चित ही ख़रीदा जाएगा. साल 2020 में राजस्थान रॉयल्स ने 2.40 करोड़ रूपए में खरीदा. यशस्वी ने उस साल 13 मैचों में 289 रन बनाए थे. अब यह सुरक्षित रूप से माना जा सकता था कि आईपीएल के भविष्य में, वह किसी भी टीम के लिए मैच विजेता साबित होंगे. 2021 आईपीएल में यशस्वी ने 10 मैचों में 249 रन बनाए. फिर आईपीएल 2022 में यशस्वी ने 10 मैचों में 258 रन बनाए. निरंतर बढ़िया प्रदर्शन के चलते जायसवाल का स्थान राजस्थान की टीम में एक सलामी बल्लेबाज के तौर पर पक्की है. आईपीएल 2022 में राजस्थान की टीम रनर-अप रही थी.

एक बार जब यशस्वी से उनके संघर्ष के दिनों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “अब अगर मैं मुश्किल स्थिति में हूं तो मुझे अच्छा प्रदर्शन करने का भरोसा है. मैं परिणामों पर ज्यादा ध्यान नहीं देता. मेरे नियंत्रण में जो कुछ भी होगा मैं करूंगा. संघर्ष आज भी है और हमेशा रहेगा. मैं बस बहुत दिल से खेलता हूं और मैं ऐसा करना जारी रखूंगा.”

7 जनवरी, 2019 को अपना फर्स्ट क्लास डेब्यू करने वाले यशस्वी जायसवाल ने अबतक 11 मैचों में 87.31 की औसत से 1397 रन बनाए हैं, इस दौरान उनके बल्ले से 7 शतक और 1 अर्धशतक निकले हैं साथ 32 लिस्ट ए मैचों में यशस्वी ने 53.96 की औसत से 1511 रन बनाए हैं. इस दौरान उन्होंने 5 शतकीय और 7 अर्धशतकीय पारी खेली है. अब तक 43 टी20 के 41 पारियों में यशस्वी ने 953 रन बनाए हैं, जिसमें उनके नाम 4 अर्धशतक शामिल हैं.

हम यशस्वी जायसवाल को उनके भविष्य के मैचों के लिए शुभकामनाएं देते हैं और हम कामना करते हैं कि वह अपने भविष्य के प्रयास में अच्छा प्रदर्शन करें. हम उन्हें ‘यशस्वी भव’ की कामना करते हैं. आपके अनुसार यशस्वी जायसवाल टीम इंडिया में डेब्यू करने के हक़दार हैं या नहीं ? कमेंट में हमें बताएं.

Leave a Comment